लवक / Plastids

लवक / Plastids क्या है? प्रकार, संरचना एवं कार्य

लवक / Plastids क्या है? | What Is Plastid In Hindi

लवक / Plastids पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव में पाए जाने वाले गोल या अंडाकार संरचना हैं। इनमें पादपों के लिए महत्त्वपूर्ण रसायनों का निर्माण होता है। क्लोरोप्लास्ट नामक हरे रंग के लवक में जीव जगत की सबसे महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक क्रिया प्रकाश-संश्लेषण होती है। लवक की खोज सर्वप्रथम सन् 1865 में हैकेल ने की। लवक / Plastids शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ए.एफ.डब्ल्यू.एस. शिम्पर ने किया। क्रोमोप्लास्ट सामान्यतः पुष्पों के दलों या रंगीन फलों की भित्तियों में पाये जाते हैं। एमैलोप्लास्ट शर्करा को स्टार्च में परवर्तित करके अपने अंदर सञ्चित करते हैं।

लवक / Plastids के प्रकार | Plastid Type In Hindi

पादप कोशिका में लवक / Plastids तीन प्रकार के होते हैं।

1-वर्णी लवक (Chromoplasts)

2-अवर्णी लवक (Leucoplasts)

3-हरित लवक (Chloroplast)

1-वर्णी लवक क्या है? | Chromoplasts In Hindi

इन्हें रंगीन या क्रोमोप्लास्ट लवक भी कहते हैं। पेड़ पौधों में इसी लवक के कारण पुष्प, फल एवं पंखुड़ियों का एक विशेष रंग होता है। अतः सभी पादपों के पुष्पों एवं फलों के रंगीन होने में किसी न किसी लवक का विशेष योगदान होता है। जैसे- टमाटर का लाल रंग लाइकोपीन (Lycopene) लवक के कारण होता है। गाजर में कैरोटीन (Carotine) लवक के कारण होता है। चुकन्दर में बिटानीन (Betanin) लवक के कारण होता है। मिर्च का लाल रंग कैप्सेथीन लवक के कारण होता है।

वर्णी लवक की संरचना | Chromoplasts Diagram In Hindi

यह रंगीन लवक होते हैं। लाल-नारंगी रंग के होते हैं। इनमें जैनथोफिल और कैरोटीन वर्णक होते हैं ।

Chromoplasts

2-अवर्णी लवक क्या है? | Leucoplasts In Hindi

यह एक रंगहीन लवक है, जो जड़ों और भूमिगत तनों में पाए जाते हैं। ये स्टार्च के रूप में भोजन का संग्रह करते हैं। अतः इस लवक के कारण पेड पौधों का कोई विशेष रंग नहीं होता है। ये मुख्यतया तीन ये प्रकार के होते हैं।

अवर्णी लवक की संरचना | Leucoplasts Diagram In Hindi

अवर्णी लवक (ल्यूकोप्लास्ट) को तीन भागों में बांटा गया है।

a. एमाइलोप्लास्ट (Amyloplast)
b. एलयुरोप्लास्ट (Aleuroplast)
c. इलियोप्लास्ट (Eleoplast)

अवर्णी लवक

3-हरित लवक क्या है? | Chloroplast In Hindi

हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) को पादप कोशिका का रसोईघर कहा जाता है। जिस लवक में पर्णहरिम (क्लोरोफिल) वर्णक होता है, उसे हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट) कहते है। इनके कारण पत्तियों का रंग हरा होता है। जिससे पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते है। हरितलवक के रासायनिक विश्लेषण में पाया गया है कि इसके शुष्क भार में 30-35% प्रोटीन होता है। जिसमें 80% अघुलनशील प्रोटीन होता है। लिपिड्स में वसा 50% स्टीरॉल 20%, मोम 16% तथा फॉस्फेट 2.7% तक होते हैं। दो प्रकार के पर्णहरिम-a (पीला) 75% एवं पर्णहरिम-b (हरा-कला) 25% होता है। जैन्थोफिल 75% व कैरीटीन 25% होता है। हरितलवक में RNA 3-4% तक तथा DNA 0.02-0.1% तक होता है।

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हरित लवक की संरचना | Chloroplast Diagram In Hindi

लवक / Plastids

उच्च विकसित पौधों में ये गोलाकार, अण्डाकार लम्बे या बिम्बाकार होते हैं। ये 2μ से 8μ तक या कभी-कभी 100μ तक लम्बे तथा 3μ से 6μ तक व्यास वाले (मोटे) होते हैं। इसकी बाहरी झिल्ली सपाट परन्तु भीतरी झिल्ली गोल होती है। शैवालों में यह सर्पिलाकार, फीतासदृश, प्यालेनुमा, ताराकार, मेखला या पट्टिकावत या बिम्ब सदृश होते हैं। वस्तुतः इसमें बाहरी झिल्ली सपाट परन्तु भीतरी झिल्ली गोल पटलिका होती है, जिसे थायलेकॉइड कहते हैं। अनेक स्थानों पर यह थायलेकॉइड एक के ऊपर लगी होती है, जो ग्रेनम कहलाती है।

ग्रेनाओं को जोड़ने वाली पटलिकाएँ स्ट्रोमा पटलिकाएँ कहलाती हैं। हरे रंग के पदार्थ हरितलवक के कारण इसका रंग हरा होता है। यह हरितलवक दोहरे झिल्ली से घिरे होते हैं, जो लाइपोप्रोटीन की बनी होती है। इसके अन्दर की ओर एक तरल पारदर्शी पदार्थ होता है, जिसे स्ट्रोमा कहा जाता है। इस स्ट्रोमा में अनेक एन्जाइम, राइबोसोम आदि पदार्थ पाए जाते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया की तरह लवक में अपना DNA और राइबोसोम होते हैं।

लवक / Plastids के कार्य | Plastids Functions In Hindi

लवक / Plastids के कार्य निम्नलिखित है।

  • पेड़ पौधों की पत्तियों का रंग हरा क्लोरोफिल या हरित लवक के कारण होता है।
  • पादपों में पुष्पों एवं फलों का विशेष रंग वर्णी लवक के कारण होता है।
  • कोशिका में हरित लवक कोशिका की रसोई इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि यह कार्बोहाइड्रेट का संचय करता है।
  • क्लोरोप्लास्ट प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करता है तथा प्रकृति में O₂ और CO₂ का संतुलन बनाये रखने का कार्य करता है।
  • पादपों की जड़ों एवं काष्ठ आदि का रंगहीन होना अवर्णी लवक का विशेष लक्षण होता है।
  • क्रोमोप्लास्ट का रूपांतरण फल पकने का संकेत होता है।
  • हरित लवक प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेटस का निर्माण करते हैं। इनमें ग्लूकोज से मण्ड, प्रोटीन, वसाएँ, विटामिन हार्मोन्स आदि का निर्माण भी होता है।
  • ल्यूकोप्लास्ट खाद्य पदार्थ जैसे स्टार्च, प्रोटीन और वसा का भण्डारण करता है।
  • जल का आयनीकरण एवं CO2 अपचयन के लिए NADPH+, H+ की उपलब्धि कराना हरितलवक का ही कार्य होता है।

लवक / Plastids के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions From Plastids In Hindi

लवक / Plastids कितने प्रकार के होते हैं ?

लवक तीन प्रकार के होते हैं- (1) वर्णी लवक(2) अवर्णी लवक (3) हरित लवक

वर्णी लवक कहां पाया जाता है?

वर्णी लवक पेड़-पौधों के पुष्पों एवं फलों में पाया जाता है।

पादपों अवर्णी लवक कहां पाया है?

पादपों में अवर्णी लवक जड़ों एवं तने में पाया जाता है।

ल्यूकोप्लास्ट का प्राथमिक कार्य क्या है?

ल्यूकोप्लास्ट प्लास्टिड्स हैं, जो वसा, तेल, स्टार्च, प्रोटीन इत्यादि जैसे पौधों के खाद्य पदार्थों को स्टोर करते हैं। क्लोरोप्लास्ट पौधों के प्रकाश संश्लेषक अंग हैं।

हरित लवक किसे कहते हैं?

पौधों की पत्तियों में पाए जाने वाले वर्णक को हरित लवक कहते हैं।

पपीता में कौन सा लवक पाया जाता है?

पिगमेंट अर्थात् कैरीकाक्संथिन की उपस्थिति के कारण पपीते पीले होते हैं।

ल्यूकोप्लास्ट कितने प्रकार के होते हैं?

ल्यूकोप्लास्ट्स 3 प्रकार के होते हैं। एमाइलोप्लास्ट्स, एल्यूरोप्लास्ट्स और इलायोप्लास्ट्स। एमाइलोप्लास्ट स्टार्च को स्टोर करते हैं।

प्लास्टिड शब्द किसने दिया?

प्लास्टिड शब्द हैकल के द्वारा दिया गया।

प्लास्टिड को क्लोरोप्लास्ट नाम किसने दिया?

प्लास्टिड को क्लोरोप्लास्ट नाम शिम्पर (Schimper) के द्वारा दिया गया।

लवक की आंतरिक एवं बाह्य संरचना किस पदार्थ की बनी होती है?

लवक की आंतरिक एवं बाह्य संरचना फाॅस्फोलिपिड की बनी होती है।

Mitochondria Diagram

Mitochondria (माइटोकाॅण्ड्रिया) क्या है? खोज, संरचना व कार्य

माइटोकाॅण्ड्रिया क्या है? | Mitochondria In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड की बनी होती है। इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। माइटोकॉण्ड्रिया की खोज 1890 ई. में अल्टमेन (Altman) नामक वैज्ञानिक ने की थी। अल्टमेन ने इसे बायोब्लास्ट तथा बेण्डा ने माइटोकॉण्डिया कहा। जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहा जाता हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।

माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना | Structure Of Mitochondria In Hindi

Mitochondria

माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। कोशिका के अंदर एक नलिकाकार, वेलनाकार, अंडाकार संरचना कोशिका द्रव्य में बिखरी अवस्था में पड़ी रहती है तथा कोशिका में यह दो प्रकार की झिल्लियों से घिरी रहती है। बाह्य झिल्ली (outer membrane) तथा आंतरिक झिल्ली (inner membrane) कहलाती है। भिन्न-भिन्न कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी संरचना भिन्न-भिन्न हो सकती है, परन्तु निम्नलिखित भाग हमेशा पाए जाते हैं।

  • बाहरी झिल्ली (Outer Membrane)
  • आन्तरिक झिल्ली (Inner Membrane)
  • क्रिस्टी (Cristae)
  • आधात्री (Matrix)
  • माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA)
  • राइबोसोम (Ribosome)

बाहरी झिल्ली (Outer Membrane) क्या होती है? | Mitochondria Outer Membrane In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड की बनी होती है। इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। इसकी मोटाई 60-70 Å होती है। माइटोकॉन्ड्रिया की यह भित्ति लचीली अर्ध पारगम्य तथा अणुओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाली होती है, जो अपने आंतरिक भागों में पोषक पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज, बसा, प्रोटीन आदि को क्रेब साइकिल तथा ग्लाइकोलाइसिस के माध्यम से जाने देती है। माइटोकॉन्ड्रिया में बड़ी संख्या में धंसे हुए प्रोटीन (Integral Proteins) होते हैं, जिन्हें पोरिन (Porins) कहा जाता है।

आंतरिक झिल्ली (Inner Membrane) क्या होती है? | Mitochondria Inner Membrane In Hindi

यह आन्तरिक झिल्ली है जिसके बीच में एक रिक्त स्थान होता है जिसमें आन्तरिक रूप से उंगलियों के समान बहुत से उभार पाये जाते हैं। इन उँगली सदृश उभारों को माइटोकान्ड्रियल क्रेस्ट या क्रिस्टी कहते हैं। क्रस्टी केन्द्रीय रिक्त स्थान को आपसी सम्बन्धित कोष्ठकों में विभाजित करती है। आन्तरिक झिल्ली में दो सतह होती है जिन्हें क्रमशः बाह्य तथा आन्तरिक सतह (Outer and inner surface) कहते हैं।

क्रिस्टी (Cristae) क्या होती हैं? | Mitochondria Cristae In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया में अंगुलाकार प्रवर्धों में अनेक छोटे-छोटे कणों के समान संरचनाएं लगी होती है। जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं। इन्हीं कृस्टियों में क्रेब्स साइकिल संचालित होती है। जो शरीर को लगातार संचालित करने के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराती है अतः क्रिस्टी माइटोकॉन्ड्रिया एवं मानव शरीर का एक विशेष अंग है। क्रिस्टी में टेनिस के रेकेट के समान संरचना होती है। जिन्हें ऑक्सीसोम या F2 कण या आंतरिक झिल्लिका उप इकाई (inner membrane subunit) कहा जाता है।

आधात्री (Matrix) क्या होता है? | Mitochondrial Matrix In Hindi

माइटोकांड्रिया के अंदर द्रव के रूप में एक पदार्थ भरा रहता है। जो माइटोकॉन्ड्रिया में उपस्थित माइटोकॉन्ड्रियल अंगक जैसे (माइटोकॉन्ड्रियल DNA, राइबोसोम) आदि को एक दूसरे से अलग करता है एवं उन्हें एक दूसरे में घिसने से बचाता है। अतः यह माइटोकॉन्ड्रिया में इंजन ऑयल (Engine Oil) की भांति काम करता है। माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स या द्रव पदार्थ कहलाता है।

माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA) क्या होता है? | Mitochondrial DNA In Hindi

मानव शरीर की समस्त कोशिकाओं में डीएनए कोशिका की कुल डीएनए का 1% मात्रा में उपस्थित होता है अतः इसमें भी दोनों क्षारकें प्यूरीन एवं पाइरामिडीन समान अनुपात में होती हैं। जैसे- (एडीनिन-ग्वानिन) एवं (साइटोसिन-थायमीन) माइटोकॉन्ड्रिया में माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mt-DNA) उपस्थित होता है। जिसके कारण यह अपने प्रोटीन एवं एंजाइमों का निर्माण खुद कर सकता है।

राइबोसोम (Ribosome) क्या होते है? | Mitochondrial Ribosome In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया के मैट्रिक्स में अनेक छोटे-छोटे दानेदार कणों के रूप में संरचनाएं पड़ी रहती हैं जिन्हें राइबोसोम कहते हैं। राइबोसोम समस्त कोशिकाओं के कोशिका द्रव एवं माइट्रोकांड्रियल द्रव्य में उपस्थित होते हैं, यह दो उप इकाइयों 70S एवं 80S हो सकती हैं। राइबोसोम में प्रोटीन का निर्माण होता है अतः राइबोसोम को प्रोटीन की फैक्ट्री के नाम से जाना जाता है।

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माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य क्या है? | Functions Of Mitochondria In Hindi

  • माइटोकॉन्ड्रिया का सबसे महत्वपूर्ण कार्य ऑक्सीडेटिव फास्फारिलीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन करना है । यह निम्नलिखित प्रक्रिया में भी शामिल है।
  • कोशिका की चयापचय गतिविधि को नियंत्रित करता है।
  • नई कोशिकाओं और से गुणन के विकास को बढ़ावा देता है।
  • लीवर की कोशिकाओं में अमोनिया को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
  • एपोप्टोसिस या प्रोग्राम्ड सेल डेथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • रक्त के कुछ हिस्सों और विभिन्न हार्मोन जैसे टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन के निर्माण के लिए जिम्मेदार सेल के डिब्बों के भीतर कैल्शियम आयनों की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह विभिन्न कोशिकीय गतिविधियों जैसे कोशिकीय विभेदन, कोशिका संकेतन, कोशिका जीर्णता, कोशिका चक्र को नियंत्रित करने और कोशिका वृद्धि में भी शामिल है।
  • कोशिका के अंदर यही कोशिकांग कोशिकीय श्वसन संपन्न कराता है एवं एटीपी का निर्माण करता है।
  • क्रेब्स साइकिल का संचालन माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर क्रिस्टी में होता है। जिससे ऊर्जा मुक्त होती है।
  • ग्लूकोस के एक अणु के ऑक्सीकरण से 673 किलो कैलोरी या 38 एटीपी का निर्माण होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about Mitochondria In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की खोज किसके द्वारा की गई।

माइटोकांड्रिया की खोज अल्टमैन ने 1886 में की थी।

माइटोकॉन्ड्रिया का दूसरा नाम क्या है?

माइटोकॉन्ड्रिया को अन्य दूसरे नाम सूत्रकणिका के नाम से भी जाना जाता है। माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा का पावर हाउस भी कहते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा का पावर हाउस क्यों कहते हैं?

क्योंकि माइटोकॉन्ड्रिया की क्रिस्टी में ऊर्जा एटीपी के रूप में संरक्षित रहती है। अतः इस प्रकार इसे ऊर्जा का पावर हाउस कहते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया को ग्रीक भाषा में क्या कहते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया नाम 1898 में बेंडा द्वारा पेश किया गया था और शुक्राणुजनन के दौरान इन संरचनाओं की उपस्थिति का जिक्र करते हुए ग्रीक “मिटोस” (धागा) और “चोंड्रोस” (ग्रेन्युल) से उत्पन्न होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम कहां स्थित होते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम माइटोकॉन्ड्रिया के द्रव में स्थित होते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया में क्रिस्टी किसे कहते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक भित्ति में अनेक उभार समान संरचनाए पाई जाती हैं, जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं।

अपच

अपच / बदहजमी के लक्षण, कारण, निदान व उपाय 2023

अपच को अजीर्ण या बदहजमी भी कहते हैं। भोजन के रूप में लिया गया आहार अच्छी तरह से ना पचना या हजम ना होना अपच कहलाता है। अपच किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है। जैसे कि पेप्टिक अल्सर, GERD, पेट में संक्रमण व गलग्रंथि की बीमारी आदि।

अपच होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि गरिष्ठ भोजन करना, रात्रि में अधिक जागना, अधिक मिर्च मसालेदार भोजन करना, चाय, कॉफी, शराब व तंबाकू का सेवन अधिक करना, शारीरिक परिश्रम ना करना, मानसिक परिश्रम ज्यादा करना, बिना समय भोजन करना, खाना चबा चबा चबाकर न खाना, अधिक मात्रा में खाना, भोजन के तुरंत बाद पानी पीना आदि।

अपच से ग्रसित व्यक्ति में कई तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं। जैसे कि पेट में गैस बनना, शरीर में आलस, जी मिचलाना, दिल की धड़कन बढ़ना, सिर में भारीपन, पेट फूलना, उल्टी होना, छाती में जलन होना, खट्टी डकार आना, भूख ना लगना आदि।

अपच
Indigestion

अपच के कारण क्या हैं | Indigestion Causes In Hindi

बदहजमी के कारण निम्नलिखित हैं।

  • पेप्टिक अल्सर
  • एसिड रिफ्लक्स
  • हेलीकोबेक्टर पाईलोरी संक्रमण
  • पेट में संक्रमण
  • पेट में सूजन
  • मोटापा
  • चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू का अधिक सेवन
  • बासी भोजन
  • अत्यधिक मिर्च मसालेदार भोजन
  • रात्रि में अधिक जागना
  • भय, क्रोध, ईर्ष्या, मन में गिलानी
  • अरुचिकर भोजन जबरदस्ती सेवन करना
  • भोजन के बाद अधिक मात्रा में पानी पीना
  • मानसिक परिश्रम अधिक करना
  • शारीरिक परिश्रम कम करना
  • बिना चबाए भोजन निगलना
  • कुसमय भोजन करना
  • गरिष्ठ भोजन करना
  • पेट का कैंसर

अपच के लक्षण क्या हैं | Indigestion Symptoms In Hindi

बदहजमी के लक्षण निम्नलिखित है।

  • जी मिचलाना
  • उल्टी आना
  • गैस पेट में जलन
  • पेट में दर्द
  • पेट में भारीपन
  • वजन घटना
  • भूख न लगना
  • छाती में जलन
  • खट्टी डकार आना
  • मुंह में पानी भर आना
  • ह्रदय में जलन होना
  • खट्टी उल्टी आना
  • गले में जलन होना
  • कब्ज की समस्या होना

अपच का निदान कैसे किया जाता है | Indigestion Diagnosis In Hindi

सबसे पहले आपके डॉक्टर आपसे आपके खानपान की आदतों के बारे में व चिकित्सा संबंधी इतिहास के बारे में पूछताछ करेंगे। कुछ लक्षणों के आधार पर निदान कर सकते हैं या फिर समस्या गंभीर होने पर कुछ टेस्ट भी करा सकते हैं। अपच की समस्या का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट व नमूनों का सहारा ले सकते हैं, जैसे कि रक्त, मल के नमूने, एंडोस्कोपी, एक्स-रे, सांस परीक्षण, एंटीजन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, USG abdomen आदि।

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अपच का इलाज क्या है | Indigestion Treatment In Hindi

अपच की समस्या को ठीक करने के लिए मार्केट में बहुत सारी दवाइयां उपलब्ध है। जिनमें से कुछ आयुर्वेदिक और कुछ एलोपैथिक दवाइयां सबसे ज्यादा उपयोग में लाई जाती है। अपच से पीड़ित व्यक्ति के लिए अलग-अलग दवाइयां दी जा सकती है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की मेडिकल कंडीशन अलग-अलग हो सकती है। इसलिए मेडिकल कंडीशन के आधार पर अलग-अलग दवाइयां दी जाती है। कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां जो अधिकतर मामलों में दी जाती है, वह निम्नलिखित हैं।

  • Unienzyme Tablet/Syrup
  • Albendazole Tablet/Syrup
  • Iron Supplement
  • Folic Acid Supplement
  • Zinc Supplement
  • Cyproheptadine Hydrochloride
  • Protein Supplement
  • Proton Pump Inhibitors
  • Simethicon
  • Some Other Antacids

अपच की रोकथाम | अपच से बचाव कैसे करें?

अपच की समस्या से बचने के लिए कुछ आदतों में सुधार लाना चाहिए। जिससे ना केवल अपच से ही बल्कि कई तरह की अन्य बीमारियों से बच सकते हैं।

  • रात में देर तक नहीं जागना चाहिए।
  • भोजन को चबा चबा कर खाना चाहिए।
  • भोजन के बीच बीच में पानी नहीं पीना चाहिए।
  • मानसिक तनाव से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए।
  • सुबह सूर्योदय से पहले घूमने जाना चाहिए।
  • शारीरिक व्यायाम करना चाहिए।
  • सुबह खाली पेट एक से दो गिलास पानी पीना चाहिए।
  • भोजन के बाद कॉफी पीने से हल्कापन और स्फूर्ति आ जाती है।
  • रात में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • गुटखा, बीड़ी, तंबाकू, सिगरेट व शराब आदि से बचना चाहिए।
  • अधिक मिर्च मसालेदार भोजन से बचना चाहिए।
  • अधिक वसायुक्त भोजन, बासी भोजन, अधपका भोजन नहीं खाना करना चाहिए।
  • देर से बचने वाले गरिष्ठ भोजन को नहीं खाना चाहिए।

बदहजमी के जोखिम कारक क्या क्या हो सकते हैं | Indigestion Risk Factors In Hindi

  • मिर्च मसालेदार भोजन
  • अधिक वसायुक्त गरिष्ठ भोजन
  • गुटखा, तंबाकू, पान मसाला, चाय, कॉफी, शराब आदि का सेवन
  • आरामदायक जीवन व्यतीत करना
  • शारीरिक मेहनत बिल्कुल भी नहीं करना
  • देर रात तक जागते रहना
  • कुछ बीमारी का संक्रमण

बदहजमी की जटिलताएं क्या है | Indigestion Complications In Hindi

वैसे तो बदहजमी एक मामूली सी समस्या मानी जाती है। लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज ना किया जाए, तो बहुत सारी कॉम्प्लिकेशंस हो सकती हैं। जैसे कि भोजन की नली का सिकुड़ना, GERd की समस्या होना, सीने में दर्द, निगलने में कठिनाई होना, पायलोरिक स्टेनोसिस, एसोफैगस कैंसर आदि।

बदहजमी या अपच में परहेज क्या करें | What To Avoid In indigestion in Hindi

बदहजमी से पीड़ित मरीजों के लिए निम्नलिखित चीजों को नहीं खाना चाहिए।

  • दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • बीड़ी, गुटखा, पान मसाला, सिगरेट, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
  • भोजन करने के तुरंत बाद पानी ना पिए।
  • तेज मिर्च मसालेदार, अधिक वसायुक्त भोजन का सेवन ना करें।
  • भोजन जल्दी जल्दी ना करें।

अपच के घरेलू उपाय क्या हैं | Home Remedies For Indigestion In Hindi

  • शारीरिक व्यायाम करें।
  • सूरज उगने से पहले घूमने जरूर जाएं।
  • सुबह दो से तीन गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।
  • भोजन के बाद कॉफी का सेवन करना चाहिए।
  • दिन भर खूब पानी पिए।
  • हल्का व सुपाच्य भोजन करना चाहिए।
  • नींबू का पानी पीना चाहिए।
  • अदरक को किसी भी रूप में खा सकते हैं।

बदहजमी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Indigestion Frequently Asked Questions In Hindi

अपच क्या है?

बदहजमी या अपच एक पाचन संबंधी रोग है। इस बीमारी में व्यक्ति का भोजन अच्छे तरीके से नहीं पचता है। तथा पेट में भारीपन, पेट में दर्द, जलन, छाती में जलन, गैस बनना, उल्टी आना आदि समस्याएं होने लगती हैं।

अपच क्यों होता है?

बदहजमी होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि कुसमय भोजन करना, अधिक मिर्च मसालेदार भोजन करना, भोजन के तुरंत बाद पानी पीना, पेप्टिक अल्सर की समस्या होना, पेट में संक्रमण होना, देर रात तक जागना, परिश्रम ना करना, मानसिक परिश्रम ज्यादा करना व अन्य कारण हो सकते हैं।

अपच जल्दी कैसे ठीक करें?

नींबू का पानी पीने से अपच जल्दी राहत मिलती है। लॉन्ग को चबाने से अपच से तुरंत राहत मिलती है। अदरक को किसी भी रूप में खाया जा सकता है। अदरक अपच में बहुत ही फायदेमंद है।

अपच की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

बदहजमी के लिए बहुत सारी दवाइयां उपलब्ध है लेकिन हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह से ही इस्तेमाल करना चाहिए। घरेलू दवा के रूप में आप अदरक का सेवन कर सकते हैं।

अपच के साथ आप कैसे सोते हैं?

सोने से 2 घण्टे पूर्व भोजन करना चाहिए तथा बाई तरफ करवट लेकर सोना चाहिए।

खाना न पचने का कारण क्या है?

खाना ना पचने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि तीखे मिर्च मसालेदार भोजन, किसी बीमारी का संक्रमण, तनाव भरा जीवन व्यतीत करना, शारीरिक मेहनत ना करना, देर रात तक जागना, और भी कई कारण हो सकते हैं।

बदहजमी की गोलियाँ क्या करती हैं?

बदहजमी और एसीडिटी की समस्या को दूर करने के लिए एंटासिड दवाइयां दी जाती है, जो एसिड को न्यूट्रलाइज करती है। जिस कारण अपच और एसीडिटी से राहत मिलती है।

Endoplasmic Reticulum क्या है? संरचना, प्रकार व कार्य

Endoplasmic Reticulum (अंत: प्रद्रव्ययी जालिका) कोशिकांग सभी सुकेंद्रकीय कोशिकाओं (यूकैरियोटिक कोशिका) में पाया जाता है इसका अध्ययन सर्वप्रथम सूक्ष्मदर्शी से कीथ आर पोर्टर के द्वारा किया गया था। यह उपापचयी रूप से सक्रिय कोशिकांग है जो सभी केंद्रक युक्त कोशिका में पाया जाता है। यह कोशिका में केंद्रक एवं कोशिका झिल्ली दोनों को जोड़ने वाली नलिकायें होती हैं, इन्हें कोशिका में थैली के नाम से जाना जाता है।

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका की संरचना | Structure of Endoplasmic Reticulum In Hindi

यह कोशिका में एक सतत तंत्र की तरह फैली रहती है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर यह चपटी नलिकाओं का जाल-सा प्रतीत होता है। इसमें एकल झिल्लियाॅ होती है, जो प्रोटीन एवं फास्फोलिपिड की बनी होती हैं।

Structure of Endoplasmic Reticulum

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका के भाग | Parts Of Endoplasmic Reticulum In Hindi

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका निम्नलिखित तीन भिन्न संरचनाओं से मिलकर बनी होती है।

  • 1-सिस्टर्नी(Cisternae)
  • 2-पुटिका (Vesicle)
  • 3-नलिकाएँ (Tubule)

1-सिस्टर्नी (Cisternae) क्या होती है?

यह लंबी चपटी एवं समानांतर नलिकाएँ (Tubule) होती हैं। जो एक दूसरे के समानांतर व्यवस्थित होकर लैमिली (lamellae) का निर्माण करती हैं। इनका व्यास 30 से 50 माइक्रोमीटर होता है। यह खुरदरी खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) में अच्छी तरह से विकसित होती है।

2-पुटिका (Vesicle) क्या होती है?

यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में बिखरी पड़ी हुई थैलेनुमा गोल अंडाकार संरचनाएं होती है, जो चिकनी अन्तः प्रदव्ययीजालिका (Smooth endoplasmic reticulum– SER) में प्रचुर मात्रा में पायी जाती हैं। इनका व्यास 25 से 500 माइक्रोमीटर तक हो सकता है।

3-नलिकाएँ (Tubule) क्या होती है?

ये पुटिका तथा सिस्टर्नी से अलग-थलग और शाखित संरचना हैं, जो चिकनी अन्तः प्रदव्यीजालिका में अच्छी तरह से विकसित है। इनका व्यास 50 से 100 माइक्रोमीटर तक हो सकता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के प्रकार | Types of Endoplasmic Reticulum In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका निम्नलखित दो प्रकार की होती है।

1-खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum)

2-चिकनी अन्तः प्रदव्यीजालिका (Smooth endoplasmic reticulum)

1-खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Rough Endoplasmic Reticulum)

खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (RER) का खुरदरापन उस पर स्थित राइबोसोम के कारण होता है। राइवोसोम पर प्रोटीन का संश्लेषण होता है। RER में राइबोसोम की बड़ी इकाई पाई जाती है। RER में राइबोसोम जालिका के सभी भागों पर उपस्थित होते हैं, जिससे इनका आकार छिद्र युक्त दिखाई देता है।

2-चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Smooth Endoplasmic Reticulum)

ऐसी जालिका जिसमें राइबोसोम नहीं पाए जाते हैं।जिसके कारण इनकी सतह चिकनी होती है। अतः इन्हें चिकनी जालिका भी कहा जाता है। अतः इसमें प्रोटीन संश्लेषण नहीं होता है और यह कोशिकाएं अनेक कार्यों में प्रयोग की जाती है। टेस्टोस्टेरोन तथा प्रोजेस्ट्रोन का स्राव करने वाली कोशिकाओं में पाया जाता है। अतः यह कोशिकाओं में जनन कोशिका में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य | Endoplasmic Reticulum Functions In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य निम्नलिखित होते हैं।

1 प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करना

2 कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना

3 पदार्थों का विनिमय करना

4 कोशिका उपापचय

5 कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण

6 कोशिका ढांचा तैयार करना

1-प्रोटीन संश्लेषण

कोशिका झिल्ली का निर्माण करने वाले प्रोटीन, कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा संश्लेषित होती है। लिपिड का निर्माण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका द्वारा कार्बनिक कणों के स्रवण से होता है। ये प्रोटीन व लिपिड़ ही कोशिका झिल्ली का निर्माण करते हैं।

2-कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना

कोशिका में उपस्थित खुरदरी एवं चिकनी जालिका केंद्रक एवं कोशिका झिल्ली से लगी होती है। अतः कोशिका में उपस्थित कोशिकांग एवं कोशिका झिल्ली को संकुचित होने से बचाती है एवं उसको यांत्रिक सहारा प्रदान करती है।

3-पदार्थों का विनिमय करना

चूँकि ER मैट्रिक्स को अनेक कक्षों में बाँटता है, इन कक्षों में भिन्न सान्द्रता वाले कोष्ठ बनते हैं, जो ER की अर्द्ध-पारगम्य (Semi-permeable) झिल्ली की वजह से सम्भव होता है, इसी झिल्ली से भिन्न कक्षों के बीच आयनों व पदार्थों का विनिमय होता है।

4-कोशिका उपापचय

कोशिका में उपस्थित प्रोटीन अनेक क्रियाओ जैसे कोशिका झिल्ली का संकुचन, कोशिकांग तथा कोशिका की गति, कोशिका में उपस्थित एंजाइम एवं हार्मोन आदि का नियंत्रण कोशिका के द्वारा किया जाता है।

5-कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण

कोशिका में उपस्थित भोज्य पदार्थों के अवयवी कण जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि का भी संश्लेषण कोशिका में उपस्थित अन्तः प्रदृव्ययी जालिका में होता है।

6-कोशिका ढांचा तैयार करना

कोशिकाद्रव्य में ER नलिकाओं का जाल-सा फैला होता है। यह मैट्रिक्स को अनेक कक्षों में बाँटता है और कोलॉइडी मैट्रिक्स को अवलम्बन प्रदान करता है। अतः इस प्रकार यह कोशिका को एक नियमित स्वरूप प्रदान करने का कार्य भी करता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about endoplasmic reticulum In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कितने प्रकार की होती है?

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है।
1-खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका
2-चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम क्या है?

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम झिल्ली का एक ट्यूबलर नेटवर्क है, जो यूकेरियोटिक कोशिका के साइटोप्लाज्म के भीतर पाया जाता है।

Rough endoplasmic reticulum (RER) क्या है?

राइबोसोम युक्त जालिका को Rough endoplasmic reticulum (खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका) कहते हैं।

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज किसने की?

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज एमिलियो वेराट्टी ने 1902 में की गयी। लेकिन कुछ सालों बाद कीथ आर पोर्टर ने इसे पहली बार इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप से देखा और इसका एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम नाम रखा।

चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका क्या है?

ऐसी जालिका जिस पर राइबोसोम नहीं होते हैं, वह चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कहलाती है।

सिस्टर्नी कहां स्थित होती हैं?

ये खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) में अच्छी तरह से विकसित होती है।

आप यह भी पढ़ सकते हैं – कोशिका क्या है? कोशिका के प्रकार, कार्य व विशेषताएं

एसिडिटी

Acidity क्या है? कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपाय

एसिडिटी क्या है? | Acidity In Hindi

Acidity एक ऐसा रोग है, जो आमाशय में एसिड की मात्रा बढ़ जाने के कारण उत्पन्न होता है। दूसरे शब्दों में जब पेट की गैस्ट्रिक ग्लैंड एसिड का उत्पादन आवश्यकता से अधिक करने लगती है, तब एसिडिटी की समस्या उत्पन्न जाती है। फास्ट फूड के इस जमाने में हर तीसरा व्यक्ति एसिडिटी से पीड़ित रहता है।

Acidity की समस्या कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जैसे कि अधिक मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन करना, चाय, कॉफी, तंबाकू, गुटखा, सिगरेट, चिंता, क्रोध, देर रात तक जागना, लंबे समय तक खाली पेट रहना, मानसिक तनाव, अधपका भोजन व अन्य कारण आदि।

Acidity से पीड़ित व्यक्ति में पेट व छाती में जलन, खट्टी डकार, मुंह में पानी भर आना, पेट में दर्द, भारीपन, गैस की शिकायत होना, कलेजा जलता प्रतीत होना, खट्टी उल्टी आना, गले में जलन होना, जी मिचलाना, कब्ज की समस्या होना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।

Acidity

एसिडिटी के कारण क्या हैं? | Acidity Couses In Hindi

एसिडिटी के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

  • एसिड रिफ्लक्स
  • नॉनवेज फूड
  • मिर्च मसालेदार भोजन
  • अधपका का खाना
  • मानसिक तनाव
  • अधिक समय तक भूखा रहने
  • दर्द निवारक गोलियों का सेवन
  • देर रात तक जागने
  • क्रोध
  • चिंता
  • चाय
  • कॉफी
  • तंबाकू
  • गुटखा
  • सिगरेट
  • पेप्टिक अल्सर
  • शराब
  • किसी बीमारी का संक्रमण होना आदि।

एसिडिटी के लक्षण क्या है? | Acidity Symptoms In Hindi

एसिडिटी के लक्षण निम्नलिखित है-

  • जी मिचलाना
  • पेट में जलन होना
  • छाती में जलन होना
  • खट्टी डकारें आना
  • मुंह में पानी भर आना
  • पेट में दर्द
  • पेट में भारीपन
  • गैस की समस्या
  • हृदय में जलन
  • खट्टी उल्टी आना
  • गले में जलन होना
  • कब्ज की समस्या होना

एसिडिटी से बचने के उपाय | Prevention Of Acidity In Hindi

एसिडिटी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

  • मिर्च मसालेदार भोजन के सेवन से बचना चाहिए
  • गरिष्ठ आहार नहीं लेना चाहिए।
  • तेल से तली हुई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • चटपटी तथा अधिक नमक युक्त पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • शराब, चाय, कॉफी, तंबाकू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अचार, चटनी, मांस, मछली, अंडा आदि का सेवन कब करना चाहिए।
  • भोजन के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
  • मिठाईयां व सॉफ्ट ड्रिंक्स के सेवन से बचना चाहिए।
  • देर रात तक नहीं जागना चाहिए।
  • लंबे समय तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए।
  • खाली पेट दर्द निवारक दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • क्रोध, चिंता, मानसिक तनाव से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए।
  • सुबह खाली पेट नियमित घूमने जाना चाहिए।

एसिडिटी से राहत पाने के घरेलू उपचार | Home Remedies For Acidity And Gas Problem In Hindi

एसिडिटी से राहत पाने के लिए घर पर यह उपाय जरूर अपनाएं।

  • नारियल पानी– इसमें बायोएक्टिव एंजाइम व पाए जाते हैं, जो कि पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसमें पोटेशियम व इलेक्ट्रोलाइट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एसिडिटी में नारियल पानी का सेवन किया जा सकता है।
  • दालचीनी– दालचीनी के पानी में इम्यूनिटी बूस्टर एंटीफंगल, एंटीवायरल तथा एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी पाई जाती है। दालचीनी का पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर होती है। इसीलिए यह एसिडिटी की समस्या में भी लाभदायक है।
  • गुड– इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है, आंखों की कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी तथा पाचन संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है।
  • तुलसी– तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से तुरंत राहत मिलती है।
  • केला-केले का सेवन किया जा सकता है, क्योंकि केले में भरपूर मात्रा में पोटेशियम तथा अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं केला पेट में अधिक एसिड बनने को रोकता है।
  • ठंडा दूध– दूध में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो पीएच स्तर को मेंटेन करता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है तथा पेट में होने वाली जलन तथा एसिड रिफ्लक्स से होने वाली जलन से तुरंत राहत देता है।
  • जीरा– जीरे में प्राकृतिक तेल पाए जाते हैं, जो हमारी लार ग्रंथियों को एक्टिवेट करते हैं और पेट एसिड की वजह से होने वाली जलन को कम करते है। दस्त और पेट फूलने की समस्या में भी जीरे का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • अजवाइन– इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल्स तथा पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे हैं। अजवाइन के नियमित सेवन से पेट में दर्द, पेट में गैस, पेट में जलन, भारीपन, पेट फूलना आदि समस्याएं दूर हो जाती है।
  • सौंफ– सौंफ को पूरी रात के लिए पानी में भिगोकर रखें और सुबह उठकर सौंफ का पानी पीएं। इसके नियमित इस्तेमाल से एसिडिटी तथा पाचन संबंधी अन्य समस्याएं भी दूर होगी।
  • पपीता– पपीता का सेवन करने से जल्दी राहत मिलती है। सुबह प्रतिदिन खाली पेट पपीता के सेवन से पेट की जलन तथा पेट से संबंधित अन्य समस्याएं दूर होती है।
  • खीरा– खीरे में भरपूर मात्रा में पानी पाया जाता है, जो शरीर को हाइड्रेट करता है। यह पेट में जलन, गैस और एसिड रिफ्लक्स की समस्या को दूर करता है।
  • लौकी– लौकी का रस पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है तथा पाचन तंत्र संबंधी अनेकों समस्याओं को दूर करता है। लौकी के रस को पीने से एसिडिटी, पेट में जलन, कब्ज, बेड कोलेस्ट्रॉल आदि समस्याएं दूर हो जाती हैं।
  • सुबह खाली पेट पानी– एसिडिटी का रामबाण उपाय माना जाता है। क्योंकि सुबह खाली पेट पानी पीने से ना केवल एसिडिटी की समस्या दूर होती है बल्कि 50 प्रकार से ज्यादा बीमारियों से बचे रहते हैं।

एसिडिटी का इलाज क्या है? | Treatment Of Acidity In Hindi

एसिडिटी की समस्या का इलाज आयुर्वेदिक, एलोपैथिक, होम्योपैथिक व अन्य पद्धतियां में मौजूद है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित एलोपैथिक पद्धति में कुछ दवाइयां एसिडिटी में दी जाती है, जो कि निम्नलिखित है।

  • Ranitidine
  • Omeprazole
  • Pantaprazole
  • Lansoprazole
  • Rabeprazole
  • Esomeprazole
  • Sodium Bicarbonate
  • Dexlansoprazole
  • Alluminium Hydroxide
  • Magnesium Carbohydrates
  • Magnesium Hydroxide
  • Magnesium Trisilicate
  • Calcium Carbonate
  • Others

एसिडिटी से पीड़ित लोगों के लिए शारीरिक व्यायाम

  • पवनमुक्तासन
  • हलासन
  • उष्ट्रासन
  • वज्रासन
  • तिर्यक ताड़ासन
  • रनिंग
  • तैराकी
  • टहलना
  • हल्का वजन उठाना

एसिडिटी कम करने के प्राकृतिक तरीके क्या है? | Natural Ways To Reduce Acidity In Hindi

प्रकृति में तरह-तरह की फल, सब्जियां, अनाज, आयुर्वेदिक औषधियां पाई जाती हैं। जो हमारे शरीर को प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ रखने के लिए सक्षम होती है। जिनमें से कुछ चीजें निम्नलिखित हैं जो एसिडिटी में लाभदायक सिद्ध होती हैं।

  • नारियल का पानी
  • तुलसी के पत्ते
  • अदरक
  • केला
  • सेब
  • पपीता
  • ठंडा दूध
  • अजवाइन
  • सौंफ व
  • अन्य खाद्य पदार्थ

एसिडिटी का निदान कैसे किया जाता है? | Acidity Diagnosis In Hindi

एसिडिटी के निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं।

  • एंडोस्कोपी
  • Ph मॉनिटरिंग
  • बेरियम एक्स-रे
  • सोनोग्राफी

क्या एसिडिटी के लिए तत्काल देखभाल के लिए जाना चाहिए? | When To Go For Acidity Care In Hindi

यदि व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है, निगलने में कठिनाई होती है, घुटन, ब्लैक स्टूल, पेट में असहनीय दर्द आदि समस्याएं होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

एसिडिटी और गैस में क्या अंतर है?

जब हमारे पेट में आवश्यकता से अधिक एसिड बनने लगता है, तो इस कंडीशन को एसिडिटी कहते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद या कार्बोहाइड्रेट के किण्वन के बाद डकार आना, पेट फूलना इस प्रकार की समस्या की समस्या को गैस कहते हैं।

एसिडिटी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

एसिडिटी से आपके शरीर में क्या होता है?

एसिडिटी होने के बाद हमारे शरीर में पेट में जलन, छाती में जलन, पेट भारी होना, पेट फूलना, खट्टी डकार आना, पेट दर्द हृदय में जलन आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं।

एसिडिटी का क्या कारण है?

एसिडिटी के मुख्य कारण तेज मिर्च मसालेदार भोजन, तले हुए भोजन का सेवन करना, चाय, कॉफी, शराब का अधिक सेवन, मानसिक तनाव आदि हो सकते हैं।

एसिडिटी कैसे होती है?

हमारे गलत खानपान की वजह से पेट में आवश्यकता से अधिक एसिड बनने लगता है, तो इस कंडीशन को एसिडिटी कहा जाता है।

एसिडिटी का खतरा किसे होता है?

एसिडिटी का खतरा किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, जो व्यक्ति तेज मिर्च मसालेदार भोजन, मांसाहारी भोजन, तले हुए खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफी, शराब, धूम्रपान का आवश्यकता से अधिक सेवन करता है।

एसिडिटी की जांच कैसे की जाती है?

एसिडिटी की जांच कुछ लक्षणों से भी की जा सकती है। या कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं जैसे कि एंडोस्कोपी, सोनोग्राफी, पीएच मॉनिटरिंग व बेरियम x-ray आदि।

एसिडिटी के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

एसिडिटी की दवा लक्षणों के आधार पर डॉक्टर द्वारा अलग-अलग दवा लिखी की जा सकती है।

एसिडिटी होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

एसिडिटी को उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे कि तेज मिर्च मसालेदार भोजन तले हुए खाद्य पदार्थ अचार चटनी अधपका हुआ खाना, चाय, कॉफी, शराब व खाद्य पदार्थ आदि।

एसिडिटी में कौन सा फल खाना चाहिए?

केला

एसिडिटी से तुरंत राहत कैसे पाएं?

एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के लिए ठंडा दूध, जीरा, अजवाइन, सौंफ, दालचीनी, केला, नारियल पानी, तुलसी, आंवला आदि। इनमें से किसी एक का सेवन करने से एसिडिटी में तुरंत राहत मिलेगी।

एसिडिटी बढ़ने से क्या होता है?

एसिडिटी बढ़ने से पेट में जलन, छाती में जलन, पेट में दर्द, खट्टी डकार आना, खट्टी उल्टी आना, गले में जलन, हृदय में जलन, पेट फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

एसिडिटी को जड़ से कैसे खत्म करें?

एसिडिटी को जड़ से खत्म करने के लिए अपनी जीवन शैली में बदलाव करें।

क्या विटामिन सी एसिडिटी के लिए अच्छा है?

विटामिन सी पहले से एसिडिक होता है। यह आपकी एसिडिटी को और अधिक बढ़ा सकता है।

कौन से खाद्य पदार्थ एसिडिटी को कम करते हैं?

ठंडा दूध, अजवाइन, जीरा, दालचीनी, गुड़, केला नारियल पानी, तुलसी, आंवला, सोंठ, गिलोय व अन्य पदार्थ एसिडिटी को कम कर सकते हैं।

दूध पीने से एसिडिटी होती है क्या?

ठंडा दूध पीने से एसिडिटी कम होती है।

क्या चाय पीने से एसिडिटी बढ़ती है?

हां। चाय पीने से एसिडिटी बढ़ती है।

क्या मीठा खाने से एसिडिटी बढ़ती है?

कुछ चीजों से एसिडिटी बढ़ती है और कुछ चीजें जैसे फल खाने से एसिडिटी कम भी होती है।

आप अपने शरीर में एसिड कैसे कम करते हैं?

रोज सुबह खाली पेट पानी पीने से एसिडिटी कम हो जाती है

मुझे रात में एसिडिटी क्यों होती है?

एसिडिटी होने के कई कारण हो सकते हैं, या तो आपका गलत खानपान या फिर कोई बीमारी का संकेत।

पेट का एसिड कैसे चेक करें?

पेट में एसिड का पीएच मॉनिटरिंग, बेरियम x-ray, एंडोस्कोपी, सोनोग्राफी या लक्षणों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है।

गैस और एसिडिटी को खत्म कैसे करें?

अपनी जीवनशैली में बदलाव करके, एसिडिटी और गैस उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों से बचाव करके या डॉक्टर से इलाज कराके भी एसिडिटी को खत्म कर सकते हैं?

बार बार एसिडिटी क्यों होती है?

एसिड को उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों को बार-बार खाने से एसिडिटी की समस्या हो सकती है या फिर किसी बीमारी के कारण एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

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IGCON Acne Cream

IGCON Acne Cream 20g के बारे में पूरी जानकारी

IGCON Acne Cream का इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे कि एक्ने, पिंपल्स तथा बैक्टीरियल इनफेक्शन आदि। IGCON Acne Cream एक कॉम्बिनेशन दवा है, इसमें ट्रेटिनोइन, क्लिंडामाइसिन, निकोटिनामाइड का संयोजन है। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream में मौजूद ट्रेटिनोइन दवा एक विटामिन का रूप है जो कि एक्ने की समस्या को दूर करती है। क्लिंडामाइसिन एक एंटीबायोटिक दवा है जो कि बैक्टीरियल इनफेक्शन को खत्म करती है तथा निकोटिनामाइड एक विटामिन B3 का रूप है जो कि मुंहासे तथा मुंहासे की सूजन को कम करती है। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream एक प्रिसक्रिप्शन दवा है। IGCON Acne Cream उपयोग करने का तरीका और खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि मरीज की उम्र, वजन, लिंग, पुरानी मेडिकल कंडीशन, रोग की गंभीरता, रोग का प्रकार, उपचार की प्रतिक्रिया, दवा देने का तरीका, टेस्ट की रिपोर्ट्स व अन्य कारक आदि। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जैसे कि लगाने वाली जगह पर जलन, सूजन, रेडनेस, खुजली, ड्राई स्किन आदि। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream का इस्तेमाल करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में जरूर रखना चाहिए जैसे कि गर्भवती महिलाओं के लिए, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए, लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारी, किडनी से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी, शुगर की बीमारी, मिर्गी की बीमारी, अस्थमा की बीमारी, ड्राइविंग करते समय, अल्कोहल का सेवन करते समय इस दवा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream का कुछ अन्य दवाइयों के साथ इंटरेक्शन हो सकता है जिस कारण आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती है इसीलिए इस दवा के साथ साथ कोई भी दूसरी की दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

Igcon Acne cream
Igcon Acne cream
Product NameIGCON Acne Cream
Manufacturer/MarketerLifecom Pharmaceuticals (india) Pvt.Ltd.
CompositionsTretinoin, Clindamycin, Nicotinamide
PriceRs 150.00/20 g
Category/Properties Anti acne, Antibacterial
Dosage FormCream
StorageBelow 30°c
Prescription/OTCPrescription
Uses and BenefitsFor Acne, Pimples, Bacterial Infections
Dosage/How to UseAs Directed by the Physician
Works/Mode of ActionSee below
Side EffectsBurning, Itching, Redness, Swelling, Irritation
PrecautionsConsult your Doctor
Interactions withConsult Your Doctor
IGCON Acne Cream

IGCON Acne Cream Composition in Hindi | आईजीकॉन एक्ने क्रीम का कम्पोजीशन

Tretinoin B.P.0.025% w/w
Clindamycin Phosphate I.P. 1.0% w/w
Nicotinamide I.P.4.0 % w/w

IGCON Acne Cream Uses In Hindi | आईजीकॉन एक्ने क्रीम के उपयोग व फायदे

IGCON Acne Cream का इस्तेमाल निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जा सकता है।

  • ऐक्ने
  • पिंपल्स तथा
  • बैक्टीरियल इनफेक्शन

IGCON Acne Cream Dosage and How to Use in Hindi | आइजीकोन ऐक्ने क्रीम की खुराक व उपयोग करने का तरीका

IGCON Acne Cream को कैसे लगाएं?

  • IGCON Acne Cream का उपयोग करने का तरीका व खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि मरीज की उम्र, वजन, लिंग, पुरानी मेडिकल कंडीशन, रोग की गंभीरता, रोग का प्रकार, दवा देने का तरीका, उपचार की प्रतिक्रिया व अन्य कारक आदि। इसीलिए हमेशा आपको अपने चिकित्सक के अनुसार उपयोग करना चाहिए।
  • सबसे पहले आप किसी फेसवॉश से अपनी स्किन को साफ करें, फिर सुखाएं और फिर इस क्रीम को लगाएं। इस क्रीम को पतली परत बनाते हुए व मसाज करते हुए लगाएं। मसाज तब तक करते रहे जब तक कि क्रीम पूरी तरह से स्किन में अवशोषित ना हो जाए।
  • ओवर मात्रा लेने से बचना चाहिए।
  • यदि कोई खुराक छूट जाती है तो उसे जल्दी से जल्दी लेने की कोशिश करना चाहिए लेकिन ध्यान रहे यदि दूसरी खुराक का समय नजदीक हो तो क्षतिपूर्ति करने के लिए दोनों खुराक एक साथ नहीं लेना चाहिए।
  • इस दवा से आंख, नाक, कान और मुंह को बचा कर रखें।
  • इस दवा को केवल प्रभावित त्वचा पर ही लगाना चाहिए।
  • इस क्रीम को लगाने के बाद लंबे समय तक धूप में नहीं रहना चाहिए।
  • इस क्रीम का अच्छा फायदा पाने के लिए प्रतिदिन लगाना चाहिए।
  • यह दवा केवल बाहरी स्किन पर लगाना चाहिए।
  • डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देश अनुसार इस दवा का प्रयोग करना चाहिए।
  • इस क्रीम को दिन में 2 बार लगाया जा सकता है। लेकिन आपको हमेशा अपने चिकित्सक के अनुसार इस्तेमाल करना चाहिए।
  • इस दवा को ठंडे, सूखे व 30 डिग्री से कम तापमान वाली जगह पर रखना चाहिए।

IGCON Acne Cream Works In Hindi | आइजीकोन ऐक्ने क्रीम कैसे काम करती है?

IGCON Acne Cream इन तीन (Tretinoin, Clindamycin Phosphate, Nicotinamide) दवाओं से मिलकर बनी है l तीनों का work व mode of action निम्नलिखित है।

Tretinoin– यह एक विटामिन A का रूप है। जो विषेश रूप से एक्ने व मुंहासे की समस्या को दूर करती है। Tretinoin स्किन को नवीकृत होने में मदद करती है।

Clindamycin Phosphate- यह एक एंटीबायोटिक दवा है जो बैक्टीरियल इंफेक्शन को खत्म करती है। यह बैक्टीरिया की प्रोटीन संश्लेषण क्रिया को रोकती है जिस कारण बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।

Nicotinamide– यह एक बिटामिन B3 का रूप है। जो मुहाँसे तथा मुहाँसे की सूजन को कम करती है। Nicotinamide नई कोशिकाओं के निर्माण में मदद करती है तथा सूरज की रोशनी, प्रदूषण, जहरीले पदार्थों के नकारात्मक प्रभाव से भी बचाती है। निकोटिनामाइड Niacin की कमी को भी पूरा करती है।

IGCON Acne Cream Side Effects In Hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के साइड इफेक्ट्स

  • सूजन (Swelling)
  • जलन (Irritation)
  • खुजली (Itching)
  • लालिमा (Redness)
  • सूखी त्वचा (Dry Skin)

IGCON Acne Cream Related Precautions And Warning in hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम से जुड़ी सावधानियां व चेतावनियां

  • एलर्जी की समस्या में- Tretinoin, Clindamycin Phosphate, Nicotinamide ड्रग से एलर्जिक व्यक्तियों को इस दवा का उपयोग नही करना चाहिए।
  • गर्भावस्था में- इस दवा से गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसान हो सकता है। इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • स्तनपान में – स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित हो सकती है, लेकिन हमेशा चिकित्सक की सलाह के बाद ही इस्तेमाल करें।
  • लिवर से जुड़ी बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति को लिवर से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • किडनी से जुड़ी बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति की किडनी खराब है या अच्छे तरीके से काम नहीं कर रही है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए भी इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारी में- अगर किसी व्यक्ति को हृदय से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है जैसे कि हार्ट फैलियर, हर्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, लो ब्लड प्रेशर आदि अगर इस प्रकार की कोई बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
  • शुगर की बीमारी में – डायबिटीज के मरीजों के लिए भी इस दवा का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
  • अस्थमा की बीमारी में – अस्थमा के मरीजों के लिए भी डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
  • दौरे की बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति को दौरे की समस्या है या मिर्गी की बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए भी इस दवा का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
  • एल्कोहल – इस दवा का प्रयोग करते समय शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • ओवरडोज – ओवर मात्रा में इस्तेमाल करने पर कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं, इसीलिए कभी भी ओवर मात्रा में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • ड्राइविंग करते समय – इसका प्रयोग करने के बाद ड्राइविंग करने में कोई परेशानी नहीं होती है लेकिन अगर किसी व्यक्ति को ड्राइविंग करते समय कोई परेशानी होती है । जैसे कि नींद आना, चक्कर आना तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए या इस क्रीम का उपयोग करने के बाद ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए।
  • अन्य दवाइयों का सेवन करते समय – अगर किसी व्यक्ति की पहले से कोई दवाइयां चल रही है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए इस दवा का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

Interaction Of IGCON Acne Cream with Other Medications In Hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का अन्य दवाइयों के साथ इंटरेक्शन

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का कई प्रकार की दवाइयों के साथ इंटरेक्शन हो सकता है तथा कुछ गंभीर साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें

1. ड्रग-ड्रग का इंटरेक्शन (Drug-Drug Interactions)

कुछ ड्रग्स के साथ इंटरेक्शन हो सकता है। जो निम्नलिखित हैं।

  • Warferin
  • Methotrexate
  • Herbal Supplements
  • Clarithromycin
  • Aminolevulinic acid
  • Aminolevulinic acid topical
  • Benzoyl peroxide topical
  • Clascoterone topical
  • Isotretinoin
  • Methoxsalen
  • Methyl aminolevulinate topical
  • Porfimer
  • Alcohol
  • Others medicine

2. फूड-ड्रग का इंटरेक्शन (Food -Drug Interactions)

कोई भी इंटरेक्शन नहीं देखा गया है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

3. ड्रग-बीमारी का इंटरेक्शन (Drug-Disease Interactions)

अस्थमा की बीमारी में, डायबिटीज की बीमारी में, लिवर की बीमारी में, किडनी की बीमारी में, हृदय की बीमारी में, ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या में, कोलाइटिस की समस्या में, दौरे की समस्या में इस दवा के प्रयोग से नुकसान हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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Frequently Asked Questions From I GCON Acne Cream In Hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का उपयोग किस लिए किया जाता है?

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का इस्तेमाल ऐक्ने, मुंहासे तथा बैक्टिरियल इंफेक्शन के इलाज के लिए किया जाता है

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम त्वचा के लिए अच्छी है?

हां

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का कोई साइड इफेक्ट है?

हां। आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हो जैसे कि खुजली, जलन, सूजन, रेडनेस आदि।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का इस्तेमाल कैसे करें? 

डॉक्टर की सलाह अनुसार इस्तेमाल करना चाहिए।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम निर्धारित से अधिक लेने पर अधिक प्रभावी होगी?

नहीं। शायद और अधिक नुकसान हो सकता है।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम मुंहासों को दूर कर सकती है?

हां ।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम काम करती है?

हां

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का साइड इफेक्ट क्या है?

कुछ लोगों को लगाने वाली जगह पर यह साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे कि खुजली, जलन, सूजन, रेडनेस, ड्राई स्किन आदि।

क्या मैं रोजाना आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का इस्तेमाल कर सकता हूं?

हां

हम कब तक आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं?

जब तक आपकी समस्या दूर ना हो जाए तब तक आप इस क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। या अपने चिकित्सक की सलाह अनुसार।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम कितनी अच्छी है? 

बहुत अच्छी। आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम से एक्ने, पिंपल्स की समस्या दूर की जा सकती है।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम को काम करने में कितना समय लगता है? 

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम 1 से 2 घंटे में अपना काम करना शुरू कर देती है।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम पुराने निशान मिटा सकती है?

नहीं।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम डार्क स्पॉट्स को दूर कर सकती है? 

नहीं ।

क्या चेहरे पर आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम लगा सकते हैं? 

हां ।

भारत में आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम की कीमत कितनी है? 

₹130/20g

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम डार्क सर्कल्स के लिए अच्छा है? 

नहीं ।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम अच्छी या बुरी है

अधिकतर मामलों अच्छी होती है।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम परिणाम क्या है?

कुछ लोगों के लिए शानदार रिजल्ट मिलते हैं। लेकिन कुछ लोगों के लिए नुकसानदायक भी हो सकती है।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के फायदे क्या है?

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम से एक्ने, पिंपल्स तथा बैक्टेरियल संक्रमण की समस्या दूर की जा सकती है।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम बैन ?

अभी तक तो नहीं

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम कब लगाये?

सुबह शाम लगा सकते हैं। या डॉक्टर की सलाह अनुसार

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम एक ब्लीचिंग क्रीम है?

नहीं ।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम त्वचा के लिए अच्छी है?

हां ।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का उपयोग क्या है?

एक्ने, पिंपल्स की समस्या को दूर करने के लिए उपयोग की जाती है।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम हानिकारक है?

कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है लेकिन सभी के लिए नहीं।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम त्वचा को गोरा करती है?

नहीं ।

कोशिका क्या है?

कोशिका क्या है? कोशिका के प्रकार, कार्य व विशेषताएं

कोशिका क्या होती है?

कोशिका जीवन की मूलभूत इकाई है। यह शरीर की मूलभूत क्रियात्मक व रचनात्मक इकाई है। मानव शरीर असंघ छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। कोशिकाएं हमारे शरीर को व शरीर की क्रियाओं को चलाने के लिए स्वतंत्र रूप से सक्षम होती हैं। शरीर के विभिन्न अंगों में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती है लेकिन सभी की संरचना एक जैसी होती है और कार्य अलग-अलग होते हैं।

कोशिकाएं इतनी सूक्ष्म होती हैं कि इन्हें नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है। इन्हें केवल माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है।

कोशिका क्या है?

कोशिका के प्रकार | Koshika ke prakar

कोशिका दो प्रकार की होती हैं

  • प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell)
  • यूकैरियोटिक कोशिका (Pukaryotic Cell)

प्रोकैरियोटिक कोशिका क्या है?

प्रोकैरियोटिक कोशिका एककोशिकीय प्राणियों में पाई जाती है। यह कोशिकायेँ प्राय: स्वतंत्र होती है तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट नहीं होता है।

यूकैरियोटिक कोशिका क्या है?

यूकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक स्पष्ट होता है और यह कोशिकाएं बहुकोशिकीय प्राणियों में पाई जाती हैं। पेड़ पौधों में व जंतुओं में यूकैरियोटिक कोशिकाएं पाई जाती है।

कोशिका की संरचना

प्रत्येक कोशिका को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है ।

1-कोशिका कला या भित्ति (Cell wall or Cell membrane)

2-कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)

3-केंद्रक (Nucleus)

1-कोशिका कला या भित्ति (Cell wall or Cell membrane)

कोशिका कला कोशिका की सबसे बाहरी परत होती है, इसे प्लाज्मा मेंब्रेन भी कहा जाता है। यह वसा प्रोटीन लवणों से मिलकर बनी होती है. इसकी उत्पत्ति कोशिकाद्रव्य से होती है। कोशिका कला से समस्त कोशिकाओं को सहारा मिलता है तथा सभी कोशिकाएं एक दूसरे से पृथक होती है, यह पारदर्शी तथा अर्धपारगम्य होती है।

कोशिका कला या भित्ति के कार्य

  • कोशिका कला यांत्रिक हानियां व संक्रमण से बचाती है।
  • कोमल संरचनाओं की रक्षा करती है।
  • कोशिका भित्ति से होकर जल, पोषक तत्व व ऑक्सीजन आदि ग्रहण होता है।
  • कोशिका भित्ति से होकर कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाली जाती है।
  • कोशिका भित्ति से होकर शरीर से विकारों का निष्कासन किया जाता है।
  • जीवद्रव्य की रासायनिक संरचना बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
  • कोशिका के बाहर- अंदर जाने वाले हर एक पदार्थों पर नियंत्रण होता है।

2-कोशिकाद्रव्य ( Cytoplasm)

कोशिका भित्ति के अंदर पाये जाने वाले तरल व चिपचिपे पदार्थ को कोशिकाद्रव्य कहते हैं। कोशिका का जीवन साइटोप्लाज्म पर आधारित होता है। कोशिकाद्रव्य में ही कोशिका की सभी जीवन क्रियाएं, वृद्धि, स्वशन, गतिशीलता,पाचन, उत्सर्जन, उपापचय क्रिया, उत्तेजकशीलता तथा प्रजनन आदि निर्भर करती है।

जीवित अवस्था में कोशिका द्रव्य में अनेक रासायनिक क्रियाएं बहुत ही तेज गति से होती हैं जिसके कारण ही कोशिकाएं जीवित रह पाती हैं। जीवित अवस्था में साइटोप्लाज्म की संरचना तथा रासायनिक क्रियाओं का पता लगाना कठिन होता है। अगर इसके बारे में पता लगाने का प्रयास किया जाए तो यह या तो नष्ट हो जाता है या इसमें रासायनिक परिवर्तन हो जाते हैं।

जिस कारण इसकी सटीक जानकारी प्राप्त करना मुश्किल है। केंद्रक को छोड़कर इसमें बहुत सारे घटक होते हैं जिन्हें कोशिकांग कहते हैं।

कोशिकांग निम्नलिखित होते हैं

1-प्लाज्मा मेंब्रेन

2-अंतर्द्रव्यीय जालिका

3-गोल्जी उपकरण

4-माइटोकॉन्ड्रिया

5-लाइसोसोम

1-प्लाज्मा मेंब्रेन – इसकी उत्पत्ति कोशिका द्रव्य से होती है। यह एक पतली झिल्ली है जो कोशिका की सबसे बाहरी परत को बनाती है, इसे प्लाज्मा मेंब्रेन कहते हैं। यह वसा, प्रोटीन तथा लवणों की परत वाली झिल्ली होती है।

2-अंतर्द्रव्यीय जालिका -यह साइटोप्लाज्म में विद्यमान कलामय नलिकाओं की जाल के समान एक संरचना है। यह दो प्रकार की होती है, एक खुरदरी और दूसरी चिकनी सतह वाली। खुरदरी सतह वाली एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम पर राइबोसोम के कण पंक्तियों में सटे रहते हैं। दूसरी चिकनी एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम में लिपिड्स एवं स्टेरॉयड हारमोंस का निर्माण होता है।

3-गोल्जी उपकरण– यह साइटोप्लाज्म में स्थित कलाओं का एक समूह है जो भौतिक रूप से एवं क्रियात्मक रूप से एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम से संबंध होता है। यह प्राय: कोशिकाओं के केंद्र के समीप स्थित होते हैं। इनकी रासायनिक रचना में लाइको प्रोटीन अधिक रहता है गोल्जी उपकरण का संबंध कोशिका की रासायनिक क्रियाओं, विशेषकर स्रावण क्रिया से होता है।

यह ग्लाइकोप्रोटींस स्राव के पॉलिसैकराइड अंश का निर्माण भी करता है । इसकी आकृति, आकार एवं स्थिति समस्त कोशिका की सक्रियता के अनुसार बदलती रहती है। कोशिका में उत्पन्न हुई स्रावी उत्पाद इसी गोल्जी उपकरण में एकत्रित होते हैं तथा कोशिका कला तक ले जाकर इन्हें बाहर छोड़ दिया जाता है।

4-माइटोकॉन्ड्रिया-साइटोप्लाज्म में विभिन्न आकारों की अनेकों छोटी-छोटी रचनाएं अंडाकार या रॉड के समान चारों ओर बिखरी रहती हैं, जिन्हें माइटोकॉन्ड्रिया कहते हैं। एक जीवित कोशिका में माइटोकॉन्ड्रिया इधर-उधर घूमती रहती है तथा इनकी संख्या में, आकार में परिवर्तन होता रहता है। कभी-कभी यह विभाजित भी होती हैं तथा समूह के रूप में एकत्रित भी रहती हैं ।

माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका के भीतर पचकर आए हुए भोजन का ऑक्सीकरण करके उसकी संग्रहित उर्जा को विमुक्त कर एटीपी में संग्रहित करते हैं। जिससे कोशिका को विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा मिलती है। कोशिका का यही अंग कोशिका स्वशन के लिए उत्तरदायी होता है। इनका प्रोटीन संश्लेषण तथा लिपिड चयापचय के साथ भी संबंध होता है।

5-लाइसोसोम-लाइसोसोम साइटोप्लाज्म में स्थित कलामयी स्फोटिकाएं होती है, जो अंडाकार या गोलाकार थैली के समान होती हैं। इन रचनाओं में हाइड्रोलाइटिक एंजाइम्स उत्पन्न होते हैं।

जो कोशिका के भीतर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं न्यूक्लिक एसिड के बड़े-बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं जो बाद में माइट्रोकांड्रिया द्वारा ऑक्सीकृत किए जाते हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में लाइसोसोम अपने भीतर के पदार्थों को भी पचा जाते हैं इसलिए इन्हें आत्महत्या की थैली भी कहा जाता है।

3-केंद्रक (Nucleus)

शरीर की समस्त कोशिकाओं के मध्य एक गोलाकार रचना होती है जिसे केंद्रक कहा जाता है। यह एक गोलाकार संरचना होती है। लाल रुधिर कोशिकाओं को छोड़कर समस्त कोशिका में केंद्रक पाया जाता है। कंकालीय पेशियों तथा कुछ अन्य कोशिकाओं में एक से अधिक केंद्रक पाए जाते हैं। केंद्रक कोशिका का सबसे बड़ा अंगक होता है।

यह प्लाज्मा मेंब्रेन की तरह केंद्रक कला से चारों तरफ से घिरा रहता है। न्यूक्लियस के भीतर विद्वान द्रव को न्यूक्लियोप्लाज्म या केंद्रक द्रव्य कहते हैं। न्यूक्लियस के भीतर न्यूक्लियोप्लाज्म में सूत्रवत रचनाएं पाई जाती हैं जिन्हें गुणसूत्र कहते हैं।

कोशिका किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?

कोशिका शरीर की एक मूलभूत इकाई है। असंख छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर हमारा शरीर बना होता है, जिन्हें कोशिकाएं कहते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं में भिन्नता होती है परंतु समस्त कोशिकाओं की मूलभूत संरचना एक समान ही होती है। यह इतनी सूक्ष्म होती है कि इन्हें केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। कोशिका दो प्रकार की होती हैं 1-प्रोकैरियोटिक कोशिका 2-यूकैरियोटिक कोशिका

मनुष्य के शरीर में कितनी कोशिकाएं होती हैं?

मनुष्य के शरीर में असंख्य कोशिकाएं पाई जाती हैं। इन्हीं कोशिकाओं से मानव शरीर का निर्माण होता है।

कोशिका किससे बनती है?

कोशिका प्रमुख तीन अंगक से मिलकर बनी होती है 1-कोशिकाकला या भित्ति 2-कोशिकाद्रव्य 3-केंद्रक

सबसे छोटी कोशिका का नाम क्या है?

शुक्राणु कोशिका शरीर की सबसे छोटी कोशिका होती है, इसे नर जनन कोशिका भी कहते हैं

कोशिका का जनक कौन है?

वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने 1665 ई. में कोशिका की खोज की थी

लाइसोसोम क्या है ?

लाइसोसोम को आत्महत्या की थैली भी कहते हैं, क्योंकि इसमें एक हाइड्रोलाइट एंजाइम पाया जाता है जो कभी-कभी आवश्यकता पड़ने पर खुद के ही अंदर पाए जाने वाले पदार्थों को नष्ट कर देता है इसलिए इसे आत्महत्या की थैली भी कहते हैं।

गोलजी उपकरण के कार्य क्या है?

गोलजी उपकरण पुटिका में पदार्थों को संचयन करना, रूपांतरण करना, नए-नए प्रोटींस व लिपिड के अणुओं का निर्माण करना आदि शामिल है।

प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell) क्या होती है?

प्रोकैरियोटिक कोशिका एककोशिकीय प्राणियों में पाई जाती है। यह कोशिकायेँ प्राय: स्वतंत्र होती है तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट नहीं होता है।

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