बायोलॉजी

Ribosome In Hindi

Ribosome In Hindi | राइबोसोम की संरचना, प्रकार एवं कार्य

राइबोसोम क्या है? | Ribosome In Hindi

सभी सजीव कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली असंख्य छोटी-छोटी राई या कणों के समान संरचनाएं राइबोसोम (Ribosome In Hindi) कहलाते हैं। इसके अतिरिक्त राइबोसोम कोशिका के कोशिकांग जैसे-माइटोकॉन्ड्रिया के द्रव्य तथा एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम और क्लोरोप्लास्ट (हरितलवक) मैं पाई जाती हैं। राइबोसोम कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं। इसीलिए इन्हें प्रोटीन की फैक्ट्री के नाम से जाना जाता है।

राइबोसोम एक संदेशधारक राइबोस न्यूक्लिक अम्ल (एमआरएनए) के साथ जुडा रहता है। जिसमें किसी विशेष प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल को सही क्रमानुसार लगाने का संदेश रहता है। अमीनो अम्ल संदेशवाहक आरएनए अणुओं के साथ संलग्न रहते हैं। इस प्रकार राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है लिपिड की उपापचयी क्रियाओं में भी सहायता करता है।

राइबोसोम की खोज 1955 के दशक में रुमानिया के वैज्ञानिक जॉर्ज पैलेड के द्वारा इसकी खोज की गई यह इतने छोटे कोशिकांग थे की इन को खोजने के लिए इन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ी और इन्हें इस खोज के लिए इन्हैं नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया इन सूक्ष्म कणों को राइबोसोम नाम वैज्ञानिक रिचर्ड बी राॅबर्ट्स ने दिया।

राइबोसोम पर अनेक शोधों के द्वारा पाया गया कि इनकी दो उपइकाइयां आपस में मिलकर प्रोटीन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं हैं। राइबोसोम की दोनों इकाइयों का गठन यूकैरियोटिक एवं प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में अलग अलग होता है।

Ribosome In Hindi के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

राइबोसोम की परिभाषा | Ribosome Definition In Hindi

राइबोसोम आरएनए और प्रोटीन से बने सबसे महत्वपूर्ण कोशिकांग में से एक हैं, जो आनुवंशिक कोड को अमीनो अम्ल की श्रृंखला में परिवर्तित करते हैं।

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राइबोसोम की संरचना | Structure of Ribosome In Hindi

Ribosome In Hindi
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राइबोसोम की संरचना दो उप इकाइयों से मिलकर बनी होती है। छोटी इकाई 70S की आकृति अण्डाकार एवं बड़ी इकाई 80S की आकृति गुंबद के आकार जैसी होती है। छोटी उप इकाई व बड़ी उप इकाई क्रमशः m- RNA को t- RNA से जोड़ने का काम करती है। राइबोसोम (Ribosome) का निर्माण न्यूक्लियोलस (केन्द्रक) में 40-60% प्रोटीन और 60-40% आरएनए द्वारा होता है। न्यूक्लियोलस को राइबोसोमल उत्पादक फैक्टरी (Ribosomal Manufactring Factory) कहा जाता है। 50S उपइकाई – 34% प्रोटीन + 23S और 5S आर-आरएनए 30S उपइकाई – 21% प्रोटीन + 16S आर-आरएनए 60S उपइकाई – 40% प्रोटीन + 28S, 5.8S और 5S आर-आरएनए40S उपइकाई 33% प्रोटीन + 18S आरआरएनए Ribosome का निर्माण न्यूक्लियोलस (केन्द्रक) में 40-60% प्रोटीन और 60-40% आरएनए द्वारा होता है।

राइबोसोम के प्रकार | Types of Ribosome In Hindi

राइबोसोम प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं के आधार पर दो प्रकार के होते हैं।

1-70S राइबोसोम

2-80S राइबोसोम

1-70S राइबोसोम (प्रोकैरियोटिक राइबोसोम)

प्रोकैरियोटिक कोशिका में 70S प्रकार के राइबोसोम पाए जाते हैं। जो दो उप इकाइयों 50S एवं 30S में होते हैं। 50S उपइकाई बड़ी होती है, जो 25S एवं 5S से मिलकर बनी होती है। छोटी उप इकाई 30S होती है ,जो 16S से मिलकर बनी होती है।

70S राइबोसोम की संरचना | Diagram of 70s Ribosome In Hindi

70S Ribosome In Hindi

2-80S राइबोसोम (यूकैरियोटिक राइबोसोम)

यूकैरियोटिक कोशिका अर्थात केंद्रकयुक्त कोशिकाओं में देखने को मिलते हैं। यह राइबोसोम भी दो प्रकार की सब यूनिट जिनमें छोटी 40S और बड़ी 60S सब यूनिट्स से मिलकर बने होते हैं। यह सब यूनिट एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम की बाहरी सतह से चिपके रहते हैं तथा प्रत्येक सब यूनिट पर t-RNA की जांच होती है, जिनको p-site और A-site कहा जाता है। p-site के t-RNA अणु पर पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला और A-site पर t-RNA अणु पर पेप्टाइड श्रंखला से जुड़ने वाला अमीनो अम्ल का अणु लगा रहता है। m-RNA दोनों के बीच छोटे सब यूनिट के बीच छोटे सब यूनिट से संलग्न रहता है।

80S राइबोसोम की संरचना | Diagram of 80s Ribosome In Hindi

80S Ribosome In Hindi

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राइबोसोम के कार्य | Functions of Ribosome In Hindi

  • राइबोसोम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य प्रोटीन संश्लेषण करना होता है इसके साथ ही राइबोसोम के द्वारा प्रोटीन का निर्माण होता है।
  • प्रोटीन की छोटी इकाई अमीनो अम्ल होती है अतः अमीनो अम्ल को जोड़ने का कार्य राइबोसोम करता है।
  • 20 प्रकार के अमीनो अम्ल को श्रृंखलाबद्ध तरीके से जोड़ने का काम राइबोसोम करता है
  • राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है साथ में लिपिड की उपापचयी क्रियाओं को भी करता है।
  • ये आनुवांशिक पदार्थों (डीएनए या आरएनए) के संकेतों को प्रोटीन शृंखला में परिवर्तित करते हैं।
  • राइबोसोम कोशिका में कोशिका द्रव और कोशिकांगो के बीच समन्वय स्थापित करता है।

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राइबोसोम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about ribosomes In Hindi

राइबोसोम का मुख्य कार्य क्या होता है?

राइबोसोम का मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण करना होता है।

70S प्रकार के राइबोसोम किस में पाए जाते हैं?

70S प्रकार के राइबोसोम प्रोकैरियोटिक कोशिका में पाए जाते है।

पर्णहरित का सूत्र क्या होता है?

C55H72O5N4Mg

किसको केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है?

राइबोसोम

70S राइबोसोम के कौन से दो उप-भाग है?

70S राइबोसोम के दो भाग 50S और 30S होते हैं।

80S राइबोसोम के कौन से दो भाग होते हैं।

80S राइबोसोम के दो भाग 60S व 40S होते हैं।

राइबोसोम का सामान्य व्यास कितना होता है?

राइबोसोम का सामान्य व्यास 200-300A होता है।

केंद्रिका का कार्य क्या होता है?

केंद्रिका का मुख्य कार्य राइबोसोम का संश्लेषण करना होता है।

राइबोसोम के जनक कौन है?

राइबोसोम के जनक Jonathan R. Warner (1936–2019)

राइबोसोम का दूसरा नाम क्या है?

पैलेड कण

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Mitochondria Diagram

Mitochondria (माइटोकाॅण्ड्रिया) क्या है? खोज, संरचना व कार्य

माइटोकाॅण्ड्रिया क्या है? | Mitochondria In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड की बनी होती है। इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। माइटोकॉण्ड्रिया की खोज 1890 ई. में अल्टमेन (Altman) नामक वैज्ञानिक ने की थी। अल्टमेन ने इसे बायोब्लास्ट तथा बेण्डा ने माइटोकॉण्डिया कहा। जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहा जाता हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।

माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना | Structure Of Mitochondria In Hindi

Mitochondria

माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। कोशिका के अंदर एक नलिकाकार, वेलनाकार, अंडाकार संरचना कोशिका द्रव्य में बिखरी अवस्था में पड़ी रहती है तथा कोशिका में यह दो प्रकार की झिल्लियों से घिरी रहती है। बाह्य झिल्ली (outer membrane) तथा आंतरिक झिल्ली (inner membrane) कहलाती है। भिन्न-भिन्न कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी संरचना भिन्न-भिन्न हो सकती है, परन्तु निम्नलिखित भाग हमेशा पाए जाते हैं।

  • बाहरी झिल्ली (Outer Membrane)
  • आन्तरिक झिल्ली (Inner Membrane)
  • क्रिस्टी (Cristae)
  • आधात्री (Matrix)
  • माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA)
  • राइबोसोम (Ribosome)

बाहरी झिल्ली (Outer Membrane) क्या होती है? | Mitochondria Outer Membrane In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड की बनी होती है। इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। इसकी मोटाई 60-70 Å होती है। माइटोकॉन्ड्रिया की यह भित्ति लचीली अर्ध पारगम्य तथा अणुओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाली होती है, जो अपने आंतरिक भागों में पोषक पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज, बसा, प्रोटीन आदि को क्रेब साइकिल तथा ग्लाइकोलाइसिस के माध्यम से जाने देती है। माइटोकॉन्ड्रिया में बड़ी संख्या में धंसे हुए प्रोटीन (Integral Proteins) होते हैं, जिन्हें पोरिन (Porins) कहा जाता है।

आंतरिक झिल्ली (Inner Membrane) क्या होती है? | Mitochondria Inner Membrane In Hindi

यह आन्तरिक झिल्ली है जिसके बीच में एक रिक्त स्थान होता है जिसमें आन्तरिक रूप से उंगलियों के समान बहुत से उभार पाये जाते हैं। इन उँगली सदृश उभारों को माइटोकान्ड्रियल क्रेस्ट या क्रिस्टी कहते हैं। क्रस्टी केन्द्रीय रिक्त स्थान को आपसी सम्बन्धित कोष्ठकों में विभाजित करती है। आन्तरिक झिल्ली में दो सतह होती है जिन्हें क्रमशः बाह्य तथा आन्तरिक सतह (Outer and inner surface) कहते हैं।

क्रिस्टी (Cristae) क्या होती हैं? | Mitochondria Cristae In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया में अंगुलाकार प्रवर्धों में अनेक छोटे-छोटे कणों के समान संरचनाएं लगी होती है। जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं। इन्हीं कृस्टियों में क्रेब्स साइकिल संचालित होती है। जो शरीर को लगातार संचालित करने के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराती है अतः क्रिस्टी माइटोकॉन्ड्रिया एवं मानव शरीर का एक विशेष अंग है। क्रिस्टी में टेनिस के रेकेट के समान संरचना होती है। जिन्हें ऑक्सीसोम या F2 कण या आंतरिक झिल्लिका उप इकाई (inner membrane subunit) कहा जाता है।

आधात्री (Matrix) क्या होता है? | Mitochondrial Matrix In Hindi

माइटोकांड्रिया के अंदर द्रव के रूप में एक पदार्थ भरा रहता है। जो माइटोकॉन्ड्रिया में उपस्थित माइटोकॉन्ड्रियल अंगक जैसे (माइटोकॉन्ड्रियल DNA, राइबोसोम) आदि को एक दूसरे से अलग करता है एवं उन्हें एक दूसरे में घिसने से बचाता है। अतः यह माइटोकॉन्ड्रिया में इंजन ऑयल (Engine Oil) की भांति काम करता है। माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स या द्रव पदार्थ कहलाता है।

माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA) क्या होता है? | Mitochondrial DNA In Hindi

मानव शरीर की समस्त कोशिकाओं में डीएनए कोशिका की कुल डीएनए का 1% मात्रा में उपस्थित होता है अतः इसमें भी दोनों क्षारकें प्यूरीन एवं पाइरामिडीन समान अनुपात में होती हैं। जैसे- (एडीनिन-ग्वानिन) एवं (साइटोसिन-थायमीन) माइटोकॉन्ड्रिया में माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mt-DNA) उपस्थित होता है। जिसके कारण यह अपने प्रोटीन एवं एंजाइमों का निर्माण खुद कर सकता है।

राइबोसोम (Ribosome) क्या होते है? | Mitochondrial Ribosome In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया के मैट्रिक्स में अनेक छोटे-छोटे दानेदार कणों के रूप में संरचनाएं पड़ी रहती हैं जिन्हें राइबोसोम कहते हैं। राइबोसोम समस्त कोशिकाओं के कोशिका द्रव एवं माइट्रोकांड्रियल द्रव्य में उपस्थित होते हैं, यह दो उप इकाइयों 70S एवं 80S हो सकती हैं। राइबोसोम में प्रोटीन का निर्माण होता है अतः राइबोसोम को प्रोटीन की फैक्ट्री के नाम से जाना जाता है।

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माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य क्या है? | Functions Of Mitochondria In Hindi

  • माइटोकॉन्ड्रिया का सबसे महत्वपूर्ण कार्य ऑक्सीडेटिव फास्फारिलीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन करना है । यह निम्नलिखित प्रक्रिया में भी शामिल है।
  • कोशिका की चयापचय गतिविधि को नियंत्रित करता है।
  • नई कोशिकाओं और से गुणन के विकास को बढ़ावा देता है।
  • लीवर की कोशिकाओं में अमोनिया को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
  • एपोप्टोसिस या प्रोग्राम्ड सेल डेथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • रक्त के कुछ हिस्सों और विभिन्न हार्मोन जैसे टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन के निर्माण के लिए जिम्मेदार सेल के डिब्बों के भीतर कैल्शियम आयनों की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह विभिन्न कोशिकीय गतिविधियों जैसे कोशिकीय विभेदन, कोशिका संकेतन, कोशिका जीर्णता, कोशिका चक्र को नियंत्रित करने और कोशिका वृद्धि में भी शामिल है।
  • कोशिका के अंदर यही कोशिकांग कोशिकीय श्वसन संपन्न कराता है एवं एटीपी का निर्माण करता है।
  • क्रेब्स साइकिल का संचालन माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर क्रिस्टी में होता है। जिससे ऊर्जा मुक्त होती है।
  • ग्लूकोस के एक अणु के ऑक्सीकरण से 673 किलो कैलोरी या 38 एटीपी का निर्माण होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about Mitochondria In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की खोज किसके द्वारा की गई।

माइटोकांड्रिया की खोज अल्टमैन ने 1886 में की थी।

माइटोकॉन्ड्रिया का दूसरा नाम क्या है?

माइटोकॉन्ड्रिया को अन्य दूसरे नाम सूत्रकणिका के नाम से भी जाना जाता है। माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा का पावर हाउस भी कहते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा का पावर हाउस क्यों कहते हैं?

क्योंकि माइटोकॉन्ड्रिया की क्रिस्टी में ऊर्जा एटीपी के रूप में संरक्षित रहती है। अतः इस प्रकार इसे ऊर्जा का पावर हाउस कहते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया को ग्रीक भाषा में क्या कहते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया नाम 1898 में बेंडा द्वारा पेश किया गया था और शुक्राणुजनन के दौरान इन संरचनाओं की उपस्थिति का जिक्र करते हुए ग्रीक “मिटोस” (धागा) और “चोंड्रोस” (ग्रेन्युल) से उत्पन्न होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम कहां स्थित होते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम माइटोकॉन्ड्रिया के द्रव में स्थित होते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया में क्रिस्टी किसे कहते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक भित्ति में अनेक उभार समान संरचनाए पाई जाती हैं, जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं।

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Endoplasmic Reticulum क्या है? संरचना, प्रकार व कार्य

Endoplasmic Reticulum (अंत: प्रद्रव्ययी जालिका) कोशिकांग सभी सुकेंद्रकीय कोशिकाओं (यूकैरियोटिक कोशिका) में पाया जाता है इसका अध्ययन सर्वप्रथम सूक्ष्मदर्शी से कीथ आर पोर्टर के द्वारा किया गया था। यह उपापचयी रूप से सक्रिय कोशिकांग है जो सभी केंद्रक युक्त कोशिका में पाया जाता है। यह कोशिका में केंद्रक एवं कोशिका झिल्ली दोनों को जोड़ने वाली नलिकायें होती हैं, इन्हें कोशिका में थैली के नाम से जाना जाता है।

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका की संरचना | Structure of Endoplasmic Reticulum In Hindi

यह कोशिका में एक सतत तंत्र की तरह फैली रहती है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर यह चपटी नलिकाओं का जाल-सा प्रतीत होता है। इसमें एकल झिल्लियाॅ होती है, जो प्रोटीन एवं फास्फोलिपिड की बनी होती हैं।

Structure of Endoplasmic Reticulum

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका के भाग | Parts Of Endoplasmic Reticulum In Hindi

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका निम्नलिखित तीन भिन्न संरचनाओं से मिलकर बनी होती है।

  • 1-सिस्टर्नी(Cisternae)
  • 2-पुटिका (Vesicle)
  • 3-नलिकाएँ (Tubule)

1-सिस्टर्नी (Cisternae) क्या होती है?

यह लंबी चपटी एवं समानांतर नलिकाएँ (Tubule) होती हैं। जो एक दूसरे के समानांतर व्यवस्थित होकर लैमिली (lamellae) का निर्माण करती हैं। इनका व्यास 30 से 50 माइक्रोमीटर होता है। यह खुरदरी खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) में अच्छी तरह से विकसित होती है।

2-पुटिका (Vesicle) क्या होती है?

यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में बिखरी पड़ी हुई थैलेनुमा गोल अंडाकार संरचनाएं होती है, जो चिकनी अन्तः प्रदव्ययीजालिका (Smooth endoplasmic reticulum– SER) में प्रचुर मात्रा में पायी जाती हैं। इनका व्यास 25 से 500 माइक्रोमीटर तक हो सकता है।

3-नलिकाएँ (Tubule) क्या होती है?

ये पुटिका तथा सिस्टर्नी से अलग-थलग और शाखित संरचना हैं, जो चिकनी अन्तः प्रदव्यीजालिका में अच्छी तरह से विकसित है। इनका व्यास 50 से 100 माइक्रोमीटर तक हो सकता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के प्रकार | Types of Endoplasmic Reticulum In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका निम्नलखित दो प्रकार की होती है।

1-खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum)

2-चिकनी अन्तः प्रदव्यीजालिका (Smooth endoplasmic reticulum)

1-खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Rough Endoplasmic Reticulum)

खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (RER) का खुरदरापन उस पर स्थित राइबोसोम के कारण होता है। राइवोसोम पर प्रोटीन का संश्लेषण होता है। RER में राइबोसोम की बड़ी इकाई पाई जाती है। RER में राइबोसोम जालिका के सभी भागों पर उपस्थित होते हैं, जिससे इनका आकार छिद्र युक्त दिखाई देता है।

2-चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Smooth Endoplasmic Reticulum)

ऐसी जालिका जिसमें राइबोसोम नहीं पाए जाते हैं।जिसके कारण इनकी सतह चिकनी होती है। अतः इन्हें चिकनी जालिका भी कहा जाता है। अतः इसमें प्रोटीन संश्लेषण नहीं होता है और यह कोशिकाएं अनेक कार्यों में प्रयोग की जाती है। टेस्टोस्टेरोन तथा प्रोजेस्ट्रोन का स्राव करने वाली कोशिकाओं में पाया जाता है। अतः यह कोशिकाओं में जनन कोशिका में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य | Endoplasmic Reticulum Functions In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य निम्नलिखित होते हैं।

1 प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करना

2 कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना

3 पदार्थों का विनिमय करना

4 कोशिका उपापचय

5 कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण

6 कोशिका ढांचा तैयार करना

1-प्रोटीन संश्लेषण

कोशिका झिल्ली का निर्माण करने वाले प्रोटीन, कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा संश्लेषित होती है। लिपिड का निर्माण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका द्वारा कार्बनिक कणों के स्रवण से होता है। ये प्रोटीन व लिपिड़ ही कोशिका झिल्ली का निर्माण करते हैं।

2-कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना

कोशिका में उपस्थित खुरदरी एवं चिकनी जालिका केंद्रक एवं कोशिका झिल्ली से लगी होती है। अतः कोशिका में उपस्थित कोशिकांग एवं कोशिका झिल्ली को संकुचित होने से बचाती है एवं उसको यांत्रिक सहारा प्रदान करती है।

3-पदार्थों का विनिमय करना

चूँकि ER मैट्रिक्स को अनेक कक्षों में बाँटता है, इन कक्षों में भिन्न सान्द्रता वाले कोष्ठ बनते हैं, जो ER की अर्द्ध-पारगम्य (Semi-permeable) झिल्ली की वजह से सम्भव होता है, इसी झिल्ली से भिन्न कक्षों के बीच आयनों व पदार्थों का विनिमय होता है।

4-कोशिका उपापचय

कोशिका में उपस्थित प्रोटीन अनेक क्रियाओ जैसे कोशिका झिल्ली का संकुचन, कोशिकांग तथा कोशिका की गति, कोशिका में उपस्थित एंजाइम एवं हार्मोन आदि का नियंत्रण कोशिका के द्वारा किया जाता है।

5-कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण

कोशिका में उपस्थित भोज्य पदार्थों के अवयवी कण जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि का भी संश्लेषण कोशिका में उपस्थित अन्तः प्रदृव्ययी जालिका में होता है।

6-कोशिका ढांचा तैयार करना

कोशिकाद्रव्य में ER नलिकाओं का जाल-सा फैला होता है। यह मैट्रिक्स को अनेक कक्षों में बाँटता है और कोलॉइडी मैट्रिक्स को अवलम्बन प्रदान करता है। अतः इस प्रकार यह कोशिका को एक नियमित स्वरूप प्रदान करने का कार्य भी करता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about endoplasmic reticulum In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कितने प्रकार की होती है?

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है।
1-खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका
2-चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम क्या है?

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम झिल्ली का एक ट्यूबलर नेटवर्क है, जो यूकेरियोटिक कोशिका के साइटोप्लाज्म के भीतर पाया जाता है।

Rough endoplasmic reticulum (RER) क्या है?

राइबोसोम युक्त जालिका को Rough endoplasmic reticulum (खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका) कहते हैं।

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज किसने की?

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज एमिलियो वेराट्टी ने 1902 में की गयी। लेकिन कुछ सालों बाद कीथ आर पोर्टर ने इसे पहली बार इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप से देखा और इसका एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम नाम रखा।

चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका क्या है?

ऐसी जालिका जिस पर राइबोसोम नहीं होते हैं, वह चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कहलाती है।

सिस्टर्नी कहां स्थित होती हैं?

ये खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) में अच्छी तरह से विकसित होती है।

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कोशिका क्या है?

कोशिका (Cell) क्या है? कोशिका के प्रकार, कार्य व विशेषताएं

कोशिका (Cell) क्या होती है?

कोशिका (Cell) जीवन की मूलभूत इकाई है। यह शरीर की मूलभूत क्रियात्मक व रचनात्मक इकाई है। मानव शरीर असंघ छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। कोशिकाएं हमारे शरीर को व शरीर की क्रियाओं को चलाने के लिए स्वतंत्र रूप से सक्षम होती हैं। शरीर के विभिन्न अंगों में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं पाई जाती है लेकिन सभी की संरचना एक जैसी होती है और कार्य अलग-अलग होते हैं।

कोशिकाएं इतनी सूक्ष्म होती हैं कि इन्हें नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है। इन्हें केवल माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है।

कोशिका (Cell)

कोशिका (Cell) के प्रकार | Koshika ke prakar

कोशिका दो प्रकार की होती हैं

  • प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell)
  • यूकैरियोटिक कोशिका (Pukaryotic Cell)

प्रोकैरियोटिक कोशिका (Cell) क्या है?

प्रोकैरियोटिक कोशिका (Cell) एककोशिकीय प्राणियों में पाई जाती है। यह कोशिकायेँ प्राय: स्वतंत्र होती है तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट नहीं होता है।

यूकैरियोटिक कोशिका (Cell) क्या है?

यूकैरियोटिक कोशिका (Cell) में केंद्रक स्पष्ट होता है और यह कोशिकाएं बहुकोशिकीय प्राणियों में पाई जाती हैं। पेड़ पौधों में व जंतुओं में यूकैरियोटिक कोशिकाएं पाई जाती है।

कोशिका (Cell) की संरचना

प्रत्येक कोशिका को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है ।

1-कोशिका कला या भित्ति (Cell wall or Cell membrane)

2-कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)

3-केंद्रक (Nucleus)

1-कोशिका कला या भित्ति (Cell wall or Cell membrane)

कोशिका कला कोशिका की सबसे बाहरी परत होती है, इसे प्लाज्मा मेंब्रेन भी कहा जाता है। यह वसा प्रोटीन लवणों से मिलकर बनी होती है. इसकी उत्पत्ति कोशिकाद्रव्य से होती है। कोशिका कला से समस्त कोशिकाओं को सहारा मिलता है तथा सभी कोशिकाएं एक दूसरे से पृथक होती है, यह पारदर्शी तथा अर्धपारगम्य होती है।

कोशिका कला या भित्ति के कार्य

  • कोशिका कला यांत्रिक हानियां व संक्रमण से बचाती है।
  • कोमल संरचनाओं की रक्षा करती है।
  • कोशिका भित्ति से होकर जल, पोषक तत्व व ऑक्सीजन आदि ग्रहण होता है।
  • कोशिका भित्ति से होकर कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकाली जाती है।
  • कोशिका भित्ति से होकर शरीर से विकारों का निष्कासन किया जाता है।
  • जीवद्रव्य की रासायनिक संरचना बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
  • कोशिका के बाहर- अंदर जाने वाले हर एक पदार्थों पर नियंत्रण होता है।

2-कोशिकाद्रव्य ( Cytoplasm)

कोशिका भित्ति के अंदर पाये जाने वाले तरल व चिपचिपे पदार्थ को कोशिकाद्रव्य कहते हैं। कोशिका का जीवन साइटोप्लाज्म पर आधारित होता है। कोशिकाद्रव्य में ही कोशिका की सभी जीवन क्रियाएं, वृद्धि, स्वशन, गतिशीलता,पाचन, उत्सर्जन, उपापचय क्रिया, उत्तेजकशीलता तथा प्रजनन आदि निर्भर करती है।

जीवित अवस्था में कोशिका द्रव्य में अनेक रासायनिक क्रियाएं बहुत ही तेज गति से होती हैं जिसके कारण ही कोशिकाएं जीवित रह पाती हैं। जीवित अवस्था में साइटोप्लाज्म की संरचना तथा रासायनिक क्रियाओं का पता लगाना कठिन होता है। अगर इसके बारे में पता लगाने का प्रयास किया जाए तो यह या तो नष्ट हो जाता है या इसमें रासायनिक परिवर्तन हो जाते हैं।

जिस कारण इसकी सटीक जानकारी प्राप्त करना मुश्किल है। केंद्रक को छोड़कर इसमें बहुत सारे घटक होते हैं जिन्हें कोशिकांग कहते हैं।

कोशिकांग निम्नलिखित होते हैं

1-प्लाज्मा मेंब्रेन

2-अंतर्द्रव्यीय जालिका

3-गोल्जी उपकरण

4-माइटोकॉन्ड्रिया

5-लाइसोसोम

1-प्लाज्मा मेंब्रेन – इसकी उत्पत्ति कोशिका द्रव्य से होती है। यह एक पतली झिल्ली है जो कोशिका की सबसे बाहरी परत को बनाती है, इसे प्लाज्मा मेंब्रेन कहते हैं। यह वसा, प्रोटीन तथा लवणों की परत वाली झिल्ली होती है।

2-अंतर्द्रव्यीय जालिका -यह साइटोप्लाज्म में विद्यमान कलामय नलिकाओं की जाल के समान एक संरचना है। यह दो प्रकार की होती है, एक खुरदरी और दूसरी चिकनी सतह वाली। खुरदरी सतह वाली एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम पर राइबोसोम के कण पंक्तियों में सटे रहते हैं। दूसरी चिकनी एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम में लिपिड्स एवं स्टेरॉयड हारमोंस का निर्माण होता है।

3-गोल्जी उपकरण– यह साइटोप्लाज्म में स्थित कलाओं का एक समूह है जो भौतिक रूप से एवं क्रियात्मक रूप से एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम से संबंध होता है। यह प्राय: कोशिकाओं के केंद्र के समीप स्थित होते हैं। इनकी रासायनिक रचना में लाइको प्रोटीन अधिक रहता है गोल्जी उपकरण का संबंध कोशिका की रासायनिक क्रियाओं, विशेषकर स्रावण क्रिया से होता है।

यह ग्लाइकोप्रोटींस स्राव के पॉलिसैकराइड अंश का निर्माण भी करता है । इसकी आकृति, आकार एवं स्थिति समस्त कोशिका की सक्रियता के अनुसार बदलती रहती है। कोशिका में उत्पन्न हुई स्रावी उत्पाद इसी गोल्जी उपकरण में एकत्रित होते हैं तथा कोशिका कला तक ले जाकर इन्हें बाहर छोड़ दिया जाता है।

4-माइटोकॉन्ड्रिया-साइटोप्लाज्म में विभिन्न आकारों की अनेकों छोटी-छोटी रचनाएं अंडाकार या रॉड के समान चारों ओर बिखरी रहती हैं, जिन्हें माइटोकॉन्ड्रिया कहते हैं। एक जीवित कोशिका में माइटोकॉन्ड्रिया इधर-उधर घूमती रहती है तथा इनकी संख्या में, आकार में परिवर्तन होता रहता है। कभी-कभी यह विभाजित भी होती हैं तथा समूह के रूप में एकत्रित भी रहती हैं ।

माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का पावर हाउस भी कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका के भीतर पचकर आए हुए भोजन का ऑक्सीकरण करके उसकी संग्रहित उर्जा को विमुक्त कर एटीपी में संग्रहित करते हैं। जिससे कोशिका को विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा मिलती है। कोशिका का यही अंग कोशिका स्वशन के लिए उत्तरदायी होता है। इनका प्रोटीन संश्लेषण तथा लिपिड चयापचय के साथ भी संबंध होता है।

5-लाइसोसोम-लाइसोसोम साइटोप्लाज्म में स्थित कलामयी स्फोटिकाएं होती है, जो अंडाकार या गोलाकार थैली के समान होती हैं। इन रचनाओं में हाइड्रोलाइटिक एंजाइम्स उत्पन्न होते हैं।

जो कोशिका के भीतर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा एवं न्यूक्लिक एसिड के बड़े-बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं जो बाद में माइट्रोकांड्रिया द्वारा ऑक्सीकृत किए जाते हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में लाइसोसोम अपने भीतर के पदार्थों को भी पचा जाते हैं इसलिए इन्हें आत्महत्या की थैली भी कहा जाता है।

3-केंद्रक (Nucleus)

शरीर की समस्त कोशिकाओं के मध्य एक गोलाकार रचना होती है जिसे केंद्रक कहा जाता है। यह एक गोलाकार संरचना होती है। लाल रुधिर कोशिकाओं को छोड़कर समस्त कोशिका में केंद्रक पाया जाता है। कंकालीय पेशियों तथा कुछ अन्य कोशिकाओं में एक से अधिक केंद्रक पाए जाते हैं। केंद्रक कोशिका का सबसे बड़ा अंगक होता है।

यह प्लाज्मा मेंब्रेन की तरह केंद्रक कला से चारों तरफ से घिरा रहता है। न्यूक्लियस के भीतर विद्वान द्रव को न्यूक्लियोप्लाज्म या केंद्रक द्रव्य कहते हैं। न्यूक्लियस के भीतर न्यूक्लियोप्लाज्म में सूत्रवत रचनाएं पाई जाती हैं जिन्हें गुणसूत्र कहते हैं।

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कोशिका किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?

कोशिका शरीर की एक मूलभूत इकाई है। असंख छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर हमारा शरीर बना होता है, जिन्हें कोशिकाएं कहते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों की कोशिकाओं में भिन्नता होती है परंतु समस्त कोशिकाओं की मूलभूत संरचना एक समान ही होती है। यह इतनी सूक्ष्म होती है कि इन्हें केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। कोशिका दो प्रकार की होती हैं 1-प्रोकैरियोटिक कोशिका 2-यूकैरियोटिक कोशिका

मनुष्य के शरीर में कितनी कोशिकाएं होती हैं?

मनुष्य के शरीर में असंख्य कोशिकाएं पाई जाती हैं। इन्हीं कोशिकाओं से मानव शरीर का निर्माण होता है।

कोशिका किससे बनती है?

कोशिका प्रमुख तीन अंगक से मिलकर बनी होती है 1-कोशिकाकला या भित्ति 2-कोशिकाद्रव्य 3-केंद्रक

सबसे छोटी कोशिका का नाम क्या है?

शुक्राणु कोशिका शरीर की सबसे छोटी कोशिका होती है, इसे नर जनन कोशिका भी कहते हैं

कोशिका का जनक कौन है?

वैज्ञानिक रॉबर्ट हुक ने 1665 ई. में कोशिका की खोज की थी

लाइसोसोम क्या है ?

लाइसोसोम को आत्महत्या की थैली भी कहते हैं, क्योंकि इसमें एक हाइड्रोलाइट एंजाइम पाया जाता है जो कभी-कभी आवश्यकता पड़ने पर खुद के ही अंदर पाए जाने वाले पदार्थों को नष्ट कर देता है इसलिए इसे आत्महत्या की थैली भी कहते हैं।

गोलजी उपकरण के कार्य क्या है?

गोलजी उपकरण पुटिका में पदार्थों को संचयन करना, रूपांतरण करना, नए-नए प्रोटींस व लिपिड के अणुओं का निर्माण करना आदि शामिल है।

प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell) क्या होती है?

प्रोकैरियोटिक कोशिका एककोशिकीय प्राणियों में पाई जाती है। यह कोशिकायेँ प्राय: स्वतंत्र होती है तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में केंद्रक स्पष्ट नहीं होता है।

कोशिका (Cell) क्या है? कोशिका के प्रकार, कार्य व विशेषताएं Read More »

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