March 2023

डायरिया

डायरिया: लक्षण, कारण, निदान, इलाज व रोकथाम 2023

डायरिया क्या है? (What is Diarrhoea In Hindi)

डायरिया को आम भाषा में दस्त लगना या लूज मोशन भी कहते हैं। डायरिया एक पाचन संबंधी बीमारी है, जो अक्सर हमारे खाने-पीने की गड़बड़ी से उत्पन्न होती है। वैसे डायरिया होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि वायरल इनफेक्शन, बैक्टीरियल इनफेक्शन, अशुद्ध भोजन या पानी का सेवन करने से, आवश्यकता से अधिक भोजन करना या पाचन संबंधी कोई बीमारी होने के कारण यह समस्या हो सकती है। अन्य शब्दों में- जब भोजन पेट में पच नहीं पाता है और बिना पचा हुआ भोजन watery stool के रूप में आने लगता है तो उसे डायरिया कहते हैं।

Acute Diarrhoea में मल (stool) बार-बार तेजी से आता है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डायरिया सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। वैसे तो डायरिया किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। डायरिया के साथ-साथ किसी किसी व्यक्ति को पेचिश की समस्या भी होने लगती है। डायरिया से पीड़ित मरीज को मल त्याग करते समय उदर में ऐठन युक्त पीड़ा होती है। यह बीमारी पूरी दुनिया में फैली हुई है, परंतु यह बीमारी गर्मी वाले स्थानों में ज्यादा होती है। विशेषकर भारत में सबसे ज्यादा यह समस्या होती है।

यह बीमारी भीड़-भाड़ वाली जगह पर तथा गंदगी वाली जगह पर सबसे ज्यादा फैलती है। जो लोग मल त्याग करने के बाद हाथ नहीं धोते हैं और उन्हीं हाथों से सभी काम करते रहते हैं वह लोग इस बीमारी को सबसे ज्यादा फैलाते हैं। कभी-कभी डायरिया महामारी के रूप में भी फैलता है। डायरिया उन जगहों पर ज्यादा फैलती है। जहां साफ सफाई नहीं होती है या जहां बहुत ज्यादा लोग इकट्ठे होते हैं। जैसे मेला, तीर्थ स्थान, शादी फंक्शन आदि।

डायरिया

डायरिया के कारण क्या हैं? (Causes Of Diarrhoea In Hindi)

डायरिया के कारण निम्नलिखित हैं।

  • बैक्टीरियल इनफेक्शन
  • वायरल इनफेक्शन
  • अशुद्ध भोजन का सेवन
  • अशुद्ध पानी का सेवन
  • ओवर ईटिंग
  • पाचन संबंधी विकार
  • लीवर की बीमारी
  • आंतों की अवशोषण क्षमता में कमी
  • एंटीबायोटिक दवाइयों के साइड इफेक्ट
  • फूड पॉइजनिंग
  • किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी होना
  • मौसम में बदलाव
  • तीखे मिर्च मसालेदार भोजन का अधिक सेवन
  • गरिष्ठ, तली हुई चीजों का अधिक सेवन
  • पेट में कृमि होना
  • डर, दुख, मानसिक संताप
  • रात्रि में देर तक जागना

डायरिया के लक्षण क्या हैं? (Symptoms Of Diarrhoea In Hindi)

डायरिया के लक्षण निम्नलिखित हैं।

  • कभी गाढ़ा कभी पतला पानी के समान मल विसर्जन होना
  • शारीरिक कमजोरी
  • मुंह सूखना
  • पेट में दर्द होना
  • जी मिचलाना
  • शरीर में पानी की कमी होना
  • उल्टी आना
  • मल के साथ खून आना
  • पेट में भारीपन
  • थकान व बेहोशी
  • ब्लड प्रेशर कम होना
  • पेशाब की मात्रा कमी होना
  • वजन घटना
  • प्यास अधिक लगना

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दस्त कितने प्रकार के होते हैं? (Types Of Diarrhoea In Hindi)

डायरिया दो प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित है।

(1) एक्यूट डायरिया (Acute Diarrhoea)

(2) क्रॉनिक डायरिया (Chronic Diarrhoea)

(1) एक्यूट डायरिया (Acute Diarrhoea) क्या हैं?

एक्यूट डायरिया में मरीज को बार-बार दस्त लगते हैं। एक्यूट डायरिया की समस्या सिगेला (Shigella) जाति के जीवाणुओं के कारण उत्पन्न होती है। रोगी के मल के साथ-साथ बड़ी मात्रा में यह जीवाणु बाहर निकलते हैं। मरीज ठीक होने के बाद भी कई महीनों तक यह जीवाणु बाहर निकलते रहते हैं।

गर्मी तथा वर्षा ऋतु में या बीमारी सबसे ज्यादा फैलती है। और भीड़भाड़ वाली जगह में तेजी से फैलती है। मक्खियों का और संक्रमित व्यक्तियों का इस बीमारी को फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह समस्या सामान्य रूप से 24 से 28 घंटे तक रहती है। दस्त से पीड़ित व्यक्ति को पेट में बहुत ज्यादा दर्द होता है और दिन भर में 5 से 25 बार मल त्याग करना पड़ सकता है।

अतिसार के कारण डीहाइड्रेशन की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। दस्तों की संख्या अधिक होने पर रोगी को बहुत ज्यादा कमजोरी आ जाती है। जैसे जैसे रोग बढ़ता है। वैसे वैसे शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है। दस्त से पीड़ित व्यक्ति को मतली, उल्टी, अधिक प्यास तथा बेचैनी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

(2) क्रॉनिक डायरिया (Chronic Diarrhoea) क्या है?

क्रॉनिक डायरिया की समस्या में रोगी को दिन में 3 से 4 बार दस्त आते हैं। और यह दस्त 3 से 4 हफ्ते तक आ सकते हैं। दस्त के साथ-साथ म्यूकस की अधिकता अधिक होती है। कभी-कभी लाल रंग का मल आ सकता है। रोगी के पेट में हल्का मरोड़ उठता है और उसे दस्त भी जाना पड़ता है। रोगी को बुखार नहीं आता है।

रोगी के शरीर में विटामिन तथा प्रोटीन की कमी हो जाती है। पतला और ढीला मल हफ्तों तक आता रहता है। क्रॉनिक डायरिया आंतों में संक्रमण होने के कारण उत्पन्न होता है। दूषित खान पान की वजह से आंतों में संक्रमण हो जाता है। किसी खाद्य पदार्थ की एलर्जी से भी डायरिया की समस्या हो सकती है।

कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट से भी क्रॉनिक डायरिया की समस्या हो सकती है। क्रॉनिक डायरिया से पीड़ित व्यक्ति को पेट में ऐठन, पेट में दर्द, सूजन, मतली, उल्टी और लूज मोशन की समस्या हो सकती है।

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डायरिया का निदान क्या हैं? (Diagnosis Of Diarrhoea In Hindi)

डायरिया के निदान के लिए कुछ विशिष्ट लक्षणों को पहचाना जाता है तथा कुछ टेस्ट भी किए जाते हैं। एक ही परिवार के कई सदस्यों का एक साथ बीमार होने का इतिहास, बुखार के साथ मरोड़ युक्त व रक्त युक्त मल का उत्सर्जन, डिहाईड्रेशन, विषमता के लक्षण आदि। प्राथमिक तौर पर इन लक्षणों के आधार पर डायरिया का निदान किया जा सकता है। इन लक्षणों के अलावा कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं।

  • रक्त परीक्षण (Blood Test)-इस टेस्ट में श्वेत कोशिकाओं की अधिकता मिलती है। तथा पॉलीमोर्फ्स में वृद्धि मिलती है।
  • मूत्र परीक्षण (Urine Test)-पेशाब की मात्रा में कमी हो सकती है। तथा एल्बुमिनुरिया भी मिल सकती है।
  • मल परीक्षण (Stool Test)-मल में ब्लड तथा श्लेष्मा की उपस्थिति हो सकती है। मल की प्रतिक्रिया क्षारीय हो सकती है। माइक्रोस्कोप से देखने pus सेल दिखाई देते हैं।

डायरिया का इलाज क्या हैं? (Treatment Of Diarrhoea In Hindi)

लक्षणों के आधार पर डायरिया का इलाज किया जाता है। आपके डॉक्टर अलग-अलग तरीके से इसका इलाज करते हैं। डायरिया के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाइयां निम्नलिखित हैं।

  • ORS (इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस के लिए)
  • Loperamide Hydrochloride (एंटीडायरियल)
  • Norfloxacin (एंटीबायोटिक)
  • Lactic Acid bacillus
  • Tinidazole (एंटीबायोटिक)
  • Cloramphenicol (एंटीबायोटिक)
  • Streptomycin (एंटीबायोटिक)
  • Cotrimoxazole (एंटीबायोटिक)
  • Ampicillin (एंटीबायोटिक)
  • Tetracycline (एंटीबायोटिक)
  • Aceclofenac (पेट दर्द के लिए)
  • Drotaverine (पेट दर्द के लिए)
  • Rebeprazole (गैस के लिए)
  • Domperidone (गैस व उल्टी के लिए)
  • Rececadotril (एंटीडायरियल)
  • Gentamicin (एंटीबायोटिक)
  • Diclofenac sodium (पेट दर्द के लिए)
  • Dicyclomine (पेट दर्द व मरोड़ के लिए)
  • Ondasetron (उल्टी के लिए)
  • Metronidazole (एंटीबायोटिक)
  • Ciprofloxacin (एंटीबायोटिक)
  • Inj NS 500 (ब्लड प्रेशर संतुलित करने के लिए)
  • Inj DNS 500 (ब्लड प्रेशर संतुलित करने के लिए)
  • Inj RL 500 (ब्लड प्रेशर संतुलित करने के लिए)

Disclaimer- यह जानकारी केवल जनरल इनफार्मेशन के लिए दी गई है। अपनी मर्जी से किसी भी दवा का इस्तेमाल नहीं करना है। अगर किसी भी व्यक्ति को डायरिया की समस्या है, तो वह अपने नजदीकी डॉक्टर को दिखाएं।

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दस्त की रोकथाम कैसे करें? (Prevention of Diarrhoea In Hindi)

  • रोगी को शर्करा युक्त पानी का अधिक सेवन कराना चाहिए। जिससे डायरिया में तुरंत राहत मिलती है।
  • दस्त लगने के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए रोगी को प्रतिदिन 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए।
  • संक्रमित व्यक्ति को शौच के बाद अच्छी तरह से हाथ धोने चाहिए।
  • अनजाने में संक्रमित व्यक्ति से यह बीमारी अधिक फैलती है। इसलिए अपनी तथा अपने आसपास की साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
  • संक्रमित व्यक्ति को खुले में शौच जाने से मना करना चाहिए।
  • हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ करना चाहिए।
  • हाथों को सैनिटाइज करना चाहिए।
  • स्वास्थ की जानकारी रखना चाहिए जैसे कि संक्रमण कैसे फैलता है और कैसे संक्रमण से बचें।
  • रोटावायरस की वैक्सीन लगवानी चाहिए।

दस्त के घरेलू उपाय क्या हैं? (Home Remedies For Diarrhoea In Hindi)

  • ORS का घोल या फिर एक गिलास पानी में एक चम्मच चीनी और चुटकी भर नमक मिलाकर पीना चाहिए।
  • भोजन के रूप में दही चावल का सेवन करना चाहिए।
  • पके हुए चावल का पानी, मूंग, मसूर की दाल का सूप सेवन करना चाहिए।
  • दोपहर में लौकी का रायता पीना चाहिए।
  • घर पर दही की लस्सी बनाकर भी पी सकते हैं।
  • रोगी को पूर्ण विश्राम करना चाहिए।
  • साफ स्रोत का पानी पीना चाहिए तथा पानी छानकर पीना चाहिए।
  • भोजन पकाने वाले बर्तनों को अच्छे से साफ करना चाहिए।
  • फल, सब्जियां, अनाज आदि को साफ करके ही इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पानी को उबालकर, ठंडा करके पीना चाहिए।
  • हाथों के नाखून को काटकर रखें क्योंकि बड़े नाखून से संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है।
  • भोजन करने से पहले हाथों की अच्छी सफाई करें।
  • रात्रि में देर तक ना जागे।
  • गंदा व बासी पानी ना पिएं।
  • तली, भारी, मिर्च मसालेदार चीजों का सेवन ना करें।
  • चाय, शराब, कॉफी, दूध आदि का सेवन ना करें।
  • बिना ढकी हुई खाने वाली चीजों का उपयोग ना करें। या मक्खियां बैठी हुई खाने वाली चीजों का उपयोग ना करें।
  • फ्रिज में रखे हुए खाद्य पदार्थ को निकालकर तुरंत सेवन नहीं करना चाहिए।
  • केले का सेवन सुबह दोपहर शाम कर सकते हैं इससे भी डायरिया में तुरंत राहत मिलती है।
  • नींबू, संतरा, मौसमी, अनार, गन्ने का रस पीने से भी डायरिया में राहत मिलती है।
  • पपीता, मीठा सेब खाने से भी डायरिया में राहत मिलती है।
  • दावतों में पहले से कटी हुई सलाद का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • आवश्यकता से अधिक भोजन नहीं करना चाहिए।
  • अरुचिकर भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

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डायरिया से अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently asked questions from Diarrhoea In Hindi)

डायरिया का मुख्य कारण क्या है? What is the main cause of diarrhoea?

दूषित खान पान की वजह से डायरिया की समस्या सबसे अधिक होती है।

डायरिया के 3 प्रकार क्या हैं? What are the 3 types of diarrhea?

(1) एक्यूट डायरिया (2) परसिस्टेंट डायरिया (3) क्रॉनिक डायरिया

अतिसार का क्या अर्थ है? What is meant by diarrhoea?

अतिसार को दस्त लगना या लूज मोशन भी कहते हैं। असमान रूप से पतले, पानी युक्त, मरोड़ के साथ या बिना मरोड़ के साथ मल का बार बार आना अतिसार कहलाता है।

डायरिया होने का मुख्य कारण क्या है? What is the main Causes for diarrhea?

वैसे दस्त होने के अनेक कारण हो सकते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा वायरल इनफेक्शन , बैक्टीरियल इनफेक्शन, गंदे खानपान, ज्यादा मिर्च मसालेदार भोजन के सेवन की वजह से होता है।

कौन से खाद्य पदार्थ डायरिया को तेजी से रोकते हैं? Which Foods Stop Diarrhea Faster?

ORS, दही, चावल, खिचड़ी, मूंग, मसूर की दाल का सूप, अखरोट, साबूदाना, लौकी का रायता, दही की लस्सी, सेव, केला, नींबू, संतरा, अनार, पपीता आदि तेजी से अतिसार को रोकते हैं।

मैं अपने डायरिया को कैसे रोक सकता हूँ? How can I stop my diarrhea?

एक गिलास पानी में एक चम्मच शक्कर और चुटकी भर नमक मिलाकर पीने से दस्त को रोक सकते हैं। या सुबह, दोपहर, शाम को केले का सेवन करने से भी दस्त को रोका जा सकता है।

डायरिया कब तक रह सकता है? How long can diarrhea last?

डायरिया की समस्या तीन से चार हफ्ते तक रह सकती है। लेकिन इस दौरान आपको इलाज की जरूरत होती है।

डायरिया कब गंभीर होता है? When is diarrhea serious?

जब इसका समय रहते इलाज न किया जाए तो डायरिया गंभीर हो सकता है।

क्या खाद्य पदार्थ डायरिया का कारण बनते हैं? What Foods Cause Diarrhea?

हां। अधिक मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन करने से, किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी होने पर, दूषित फल, सब्जियां, पानी, खाना आदि का सेवन करने से, अधपका मांस खाने से दस्त लग सकते हैं।

क्या डायरिया अपने आप दूर हो सकता है? Can diarrhea go away on its own?

अगर डायरिया वायरल इंफेक्शन या बैक्टीरियल इंफेक्शन से नहीं हुआ है। तो शायद डायरिया अपने आप ठीक हो सकता है। लेकिन आपको अपने आप ठीक होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए और अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

डायरिया का पहला चरण क्या है? What is the first stage of diarrhea?

लूज मोशन की समस्या होना।

डायरिया कब पानीदार होता है? When is the diarrhea watery?

एक्यूट डायरिया की कंडीशन में दस्त पानीदार हो सकते हैं।

कितना डायरिया सामान्य है? How much diarrhea is normal?

दिन में 4 से 5 बार दस्त लगना सामान्य हो सकता है। लेकिन कभी कभी रोगी को 20 से 25 बार दस्त लग जाते हैं।

डायरिया के 3 लक्षण क्या हैं? What are the 3 symptoms of diarrhea?

लूज मोशन, पेट में दर्द व मरोड़ होना वा शरीर में पानी की कमी होना मुख्य लक्षण हैं।

डायरिया होने पर क्या नहीं खाना चाहिए? What should not be eaten when having diarrhea?

दूध, शराब, चाय, कॉफी, भारी, तली, मिर्च मसालेदार चीजें, अचार, इमली, बैगन, घुइयाँ, फ्रीज में रखी चीजें, पहले कटी हुई बिना ढकी सलाद आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

डायरिया के लिए सबसे अच्छा पेय कौन सा है? Which is the best drink for diarrhea?

ORS, फलों का जूस, दही की लस्सी आदि।

कौन से 12 खाद्य पदार्थ डायरिया को रोकते हैं? Which 12 Foods Stop Diarrhea?

1-चीनी व नमक का घोल
2-दही चावल
3-मूंग, मसूर का सूप
4-अखरोट
5-साबूदाना
6-रायता
7-केला
8-नींबू
9-मौसमी
10-संतरा
11-अनार
12-बेल का मुरब्बा

क्या एंटीबायोटिक्स डायरिया का इलाज करते हैं? Do Antibiotics Treat Diarrhea?

हां। एंटीबायोटिक दवाएं दस्त की समस्या को दूर करती हैं।

क्या डायरिया से वजन घटता है? Does Diarrhea Cause Weight Loss?

हां। डायरिया होने से पर वजन कम होने लगता है।

खराब पेट के लिए अच्छा खाना क्या है? What Are The Good Foods For An Upset Stomach?

दही चावल, खिचड़ी, मूंग की दाल का सूप, अखरोट, साबूदाना, दही की लस्सी, लौकी का रायता आदि।

क्या मुझे दस्त के बाद पानी पीना चाहिए? Should I drink water after diarrhea?

हां। बिल्कुल दस्त होने पर पानी पीना चाहिए। एक गिलास पानी में चुटकी भर नमक और एक चम्मच चीनी मिलाकर पीने से और अधिक फायदा मिलता है।

क्या दही दस्त के लिए अच्छा है? Is Yogurt Good For Diarrhea?

हां। दही दस्त के लिए बहुत अच्छा है।

क्या दस्त के लिए चाय अच्छी है? Is tea good for diarrhea?

दस्त में चाय पीने से दस्त की समस्या और अधिक बढ़ जाती है। इसीलिए दस्त में चाय का सेवन नुकसानदायक होता है।

दस्त रोकने के लिए आप कितने केले खा सकते हैं? How Many Bananas Can You Eat to Stop Diarrhea?

दस्त रोकने के लिए दो से तीन केले सुबह, दोपहर, शाम सेवन करना फायदेमंद है।

अगर मुझे दस्त हो तो क्या मैं दूध पी सकता हूँ? Can I drink milk if I have diarrhoea?

नहीं।

डायरिया के लिए कौन से फल अच्छे हैं? Which fruits are good for diarrhea?

केला, नींबू, मौसमी, संतरा, अनार, पपीता, गन्ने का रस, मीठा सेब, बेल का मुरब्बा आदि डायरिया के लिए फायदेमंद है।

क्या नींबू डायरिया के लिए अच्छा है? Is Lemon Good For Diarrhea?

हां ।

आपको कैसे पता चलेगा कि डायरिया बैक्टीरियल है या वायरल? How do you know if diarrhea is bacterial or viral?

कुछ लक्षणों के आधार पर या फिर रक्त परीक्षण से, मल परीक्षण से, मूत्र परीक्षण से पता कर सकते हैं कि डायरिया बैक्टीरियल है या वायरल है।

डायरिया के लिए पसंद की दवा कौन सी है? Which is the drug of choice for diarrhea?

एंटीडायरियल और एंटीबैक्टीरियल दवाइयां दस्त की समस्या को दूर करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

पेट और डायरिया के लिए कौन सी दवाई अच्छी है? Which medicine is good for stomach and diarrhea?

एनाल्जेसिक, एंटीडायरियल और एंटीबैक्टीरियल

मुझे डायरिया से कमजोरी क्यों महसूस होती है? Why do I feel weak with diarrhea?

क्योंकि शरीर में विटामिन, इलेक्ट्रोलाइट, पानी और प्रोटीन की कमी आ जाती है।

क्या डायरिया का मतलब आप बीमार हैं? Does Diarrhea Mean You’re Sick?

हां।

मुझे दस्त से कमजोरी और थकान क्यों महसूस होती है? Why do I feel weak and tired with diarrhea?

क्योंकि शरीर में पानी की कमी, विटामिन की कमी और प्रोटीन की कमी हो जाती है। इसलिए शरीर में कमजोरी तथा थकान महसूस होती है।

क्या पानी डायरिया को तेजी से रोक सकता है? Can Water Stop Diarrhea Faster?

दिन में 3 से 4 लीटर पानी पीने पर दस्त से तुरंत राहत मिलती है। या एक गिलास पानी में चुटकी भर नमक और एक चम्मच चीनी मिलाकर पीने से दस्त को तेजी से रोका जा सकता है।

निर्जलीकरण के 5 लक्षण क्या हैं? What are the 5 symptoms of dehydration?

शरीर में 1-इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना, 2-विटामिंस की कमी होना, 3-प्रोटीन की कमी होना, 4-कमजोरी व थकान महसूस होना, 5-ब्लड प्रेशर कम होना आदि लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

डायरिया के बाद क्या नहीं पीना चाहिए? What not to drink after diarrhea?

चाय, शराब, कॉफी, दूध आदि नहीं पीना चाहिए

क्या दस्त में दाल खा सकते हैं? Can we eat pulses in diarrhea?

हां। कम मात्रा में दाल का सेवन कर सकते हैं। या खिचड़ी का सेवन कर सकते हैं।

क्या अंडा डायरिया के लिए अच्छा है? Are Eggs Good for Diarrhea?

नहीं। अंडा गर्मी पैदा करता है और दस्त की समस्या बढ़ सकती है। इसलिए डायरिया की समस्या में अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए।

क्या शहद डायरिया को ठीक कर सकता है? Can Honey Cure Diarrhea?

हां ।

डायरिया के लिए चावल क्यों अच्छा है? Why is rice good for diarrhea?

चावल आसानी से जल्दी पच जाते हैं तथा पानी की कमी को भी पूरा करते हैं। इसलिए डायरिया में चावल खाना फायदेमंद है।

क्या लूज मोशन में केला खा सकते हैं? Can you eat banana while loose motion?

केला में प्रचुर मात्रा में फाइबर होते हैं। जो आंतों में पानी का अवशोषण बढ़ा देते हैं। जिस कारण लूज मोशन या दस्त की समस्या दूर हो जाती है।

डायरिया के बाद किस फल से बचना चाहिए? Which fruits should be avoided after diarrhea?

इमली, आम, दूषित व कच्चे फलों के सेवन से बचना चाहिए।

क्या डायरिया में पपीता खा सकते हैं? Can we eat papaya in diarrhea?

हां ।

डायरिया का त्वरित उपाय क्या है? What is the quick remedy for diarrhoea?

डायरिया की समस्या से तुरंत राहत पाने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच चीनी तथा चुटकी भर नमक मिलाकर पीना चाहिए। यह घरेलू नुस्खा डायरिया या अतिसार में तुरंत आराम देता है।

डायरिया कब गंभीर होता है? When is diarrhea serious?

डायरिया का समय पर इलाज ना किया जाए या इस समस्या को लंबे समय तक बिना ध्यान दिए छोड़ दिया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है।

लूज मोशन के लिए सबसे अच्छी गोली कौन सी है? Which is the best tablet for loose motion?

लोपरामाइड (एंटीडायरियल) और मैट्रोनिडाज़ोल (एंटीबायोटिक) । यह दवाइयां केवल इनिशियल स्टेज पर काम करती है। लेकिन लूज मोशन या डायरिया का इलाज मरीज की मेडिकल कंडीशन के आधार पर किया जाता है और इलाज में कई तरह की अलग अलग दवाइयों का प्रयोग किया जाता है।

क्या डायरिया से वजन कम हो सकता है? Can Diarrhea Cause Weight Loss?

हां। डायरिया से वजन कम हो सकता है।

पानी वाले दस्त का क्या कारण हो सकता है? What can cause watery diarrhea?

वायरल इनफेक्शन या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण

क्या डायरिया कोविड का शुरुआती लक्षण है? Is diarrhea an early symptoms of Covid?

नहीं।

दस्त के बाद क्या खाना चाहिए? What to eat after diarrhea?

फाइबर युक्त भोजन, खिचड़ी, केला, अनार, सेब, पपीता, संतरा, मौसमी, मूंग की दाल, चावल आदि का सेवन करना चाहिए।

क्या दस्त से आपको भूख लगती है? Does diarrhea make you hungry?

नहीं ।

Ribosome In Hindi

Ribosome In Hindi | राइबोसोम की संरचना, प्रकार एवं कार्य

राइबोसोम क्या है? | Ribosome In Hindi

सभी सजीव कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली असंख्य छोटी-छोटी राई या कणों के समान संरचनाएं राइबोसोम (Ribosome In Hindi) कहलाते हैं। इसके अतिरिक्त राइबोसोम कोशिका के कोशिकांग जैसे-माइटोकॉन्ड्रिया के द्रव्य तथा एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम और क्लोरोप्लास्ट (हरितलवक) मैं पाई जाती हैं। राइबोसोम कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं। इसीलिए इन्हें प्रोटीन की फैक्ट्री के नाम से जाना जाता है।

राइबोसोम एक संदेशधारक राइबोस न्यूक्लिक अम्ल (एमआरएनए) के साथ जुडा रहता है। जिसमें किसी विशेष प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल को सही क्रमानुसार लगाने का संदेश रहता है। अमीनो अम्ल संदेशवाहक आरएनए अणुओं के साथ संलग्न रहते हैं। इस प्रकार राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है लिपिड की उपापचयी क्रियाओं में भी सहायता करता है।

राइबोसोम की खोज 1955 के दशक में रुमानिया के वैज्ञानिक जॉर्ज पैलेड के द्वारा इसकी खोज की गई यह इतने छोटे कोशिकांग थे की इन को खोजने के लिए इन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ी और इन्हें इस खोज के लिए इन्हैं नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया इन सूक्ष्म कणों को राइबोसोम नाम वैज्ञानिक रिचर्ड बी राॅबर्ट्स ने दिया।

राइबोसोम पर अनेक शोधों के द्वारा पाया गया कि इनकी दो उपइकाइयां आपस में मिलकर प्रोटीन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं हैं। राइबोसोम की दोनों इकाइयों का गठन यूकैरियोटिक एवं प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में अलग अलग होता है।

Ribosome In Hindi के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

राइबोसोम की परिभाषा | Ribosome Definition In Hindi

राइबोसोम आरएनए और प्रोटीन से बने सबसे महत्वपूर्ण कोशिकांग में से एक हैं, जो आनुवंशिक कोड को अमीनो अम्ल की श्रृंखला में परिवर्तित करते हैं।

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राइबोसोम की संरचना | Structure of Ribosome In Hindi

Ribosome In Hindi
Image Credit-Shutterstock

राइबोसोम की संरचना दो उप इकाइयों से मिलकर बनी होती है। छोटी इकाई 70S की आकृति अण्डाकार एवं बड़ी इकाई 80S की आकृति गुंबद के आकार जैसी होती है। छोटी उप इकाई व बड़ी उप इकाई क्रमशः m- RNA को t- RNA से जोड़ने का काम करती है। राइबोसोम (Ribosome) का निर्माण न्यूक्लियोलस (केन्द्रक) में 40-60% प्रोटीन और 60-40% आरएनए द्वारा होता है। न्यूक्लियोलस को राइबोसोमल उत्पादक फैक्टरी (Ribosomal Manufactring Factory) कहा जाता है। 50S उपइकाई – 34% प्रोटीन + 23S और 5S आर-आरएनए 30S उपइकाई – 21% प्रोटीन + 16S आर-आरएनए 60S उपइकाई – 40% प्रोटीन + 28S, 5.8S और 5S आर-आरएनए40S उपइकाई 33% प्रोटीन + 18S आरआरएनए Ribosome का निर्माण न्यूक्लियोलस (केन्द्रक) में 40-60% प्रोटीन और 60-40% आरएनए द्वारा होता है।

राइबोसोम के प्रकार | Types of Ribosome In Hindi

राइबोसोम प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं के आधार पर दो प्रकार के होते हैं।

1-70S राइबोसोम

2-80S राइबोसोम

1-70S राइबोसोम (प्रोकैरियोटिक राइबोसोम)

प्रोकैरियोटिक कोशिका में 70S प्रकार के राइबोसोम पाए जाते हैं। जो दो उप इकाइयों 50S एवं 30S में होते हैं। 50S उपइकाई बड़ी होती है, जो 25S एवं 5S से मिलकर बनी होती है। छोटी उप इकाई 30S होती है ,जो 16S से मिलकर बनी होती है।

70S राइबोसोम की संरचना | Diagram of 70s Ribosome In Hindi

70S Ribosome In Hindi

2-80S राइबोसोम (यूकैरियोटिक राइबोसोम)

यूकैरियोटिक कोशिका अर्थात केंद्रकयुक्त कोशिकाओं में देखने को मिलते हैं। यह राइबोसोम भी दो प्रकार की सब यूनिट जिनमें छोटी 40S और बड़ी 60S सब यूनिट्स से मिलकर बने होते हैं। यह सब यूनिट एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम की बाहरी सतह से चिपके रहते हैं तथा प्रत्येक सब यूनिट पर t-RNA की जांच होती है, जिनको p-site और A-site कहा जाता है। p-site के t-RNA अणु पर पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला और A-site पर t-RNA अणु पर पेप्टाइड श्रंखला से जुड़ने वाला अमीनो अम्ल का अणु लगा रहता है। m-RNA दोनों के बीच छोटे सब यूनिट के बीच छोटे सब यूनिट से संलग्न रहता है।

80S राइबोसोम की संरचना | Diagram of 80s Ribosome In Hindi

80S Ribosome In Hindi

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राइबोसोम के कार्य | Functions of Ribosome In Hindi

  • राइबोसोम का सबसे महत्वपूर्ण कार्य प्रोटीन संश्लेषण करना होता है इसके साथ ही राइबोसोम के द्वारा प्रोटीन का निर्माण होता है।
  • प्रोटीन की छोटी इकाई अमीनो अम्ल होती है अतः अमीनो अम्ल को जोड़ने का कार्य राइबोसोम करता है।
  • 20 प्रकार के अमीनो अम्ल को श्रृंखलाबद्ध तरीके से जोड़ने का काम राइबोसोम करता है
  • राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है साथ में लिपिड की उपापचयी क्रियाओं को भी करता है।
  • ये आनुवांशिक पदार्थों (डीएनए या आरएनए) के संकेतों को प्रोटीन शृंखला में परिवर्तित करते हैं।
  • राइबोसोम कोशिका में कोशिका द्रव और कोशिकांगो के बीच समन्वय स्थापित करता है।

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राइबोसोम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about ribosomes In Hindi

राइबोसोम का मुख्य कार्य क्या होता है?

राइबोसोम का मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण करना होता है।

70S प्रकार के राइबोसोम किस में पाए जाते हैं?

70S प्रकार के राइबोसोम प्रोकैरियोटिक कोशिका में पाए जाते है।

पर्णहरित का सूत्र क्या होता है?

C55H72O5N4Mg

किसको केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है?

राइबोसोम

70S राइबोसोम के कौन से दो उप-भाग है?

70S राइबोसोम के दो भाग 50S और 30S होते हैं।

80S राइबोसोम के कौन से दो भाग होते हैं।

80S राइबोसोम के दो भाग 60S व 40S होते हैं।

राइबोसोम का सामान्य व्यास कितना होता है?

राइबोसोम का सामान्य व्यास 200-300A होता है।

केंद्रिका का कार्य क्या होता है?

केंद्रिका का मुख्य कार्य राइबोसोम का संश्लेषण करना होता है।

राइबोसोम के जनक कौन है?

राइबोसोम के जनक Jonathan R. Warner (1936–2019)

राइबोसोम का दूसरा नाम क्या है?

पैलेड कण

Top 5 Cream For Pigmentation In India

Top 5 Cream For Pigmentation In India

Top 5 Cream For Pigmentation In India के बारे जानकारी- हाइपरपिगमेंटेशन एक आम समस्या बनती जा रही है। हर कोई व्यक्ति कभी ना कभी हाइपरपिगमेंटेशन/मेलाज्मा/झाइयां की समस्या से पीड़ित जरूर हुआ है। हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या से बचने के लिए फार्मा कंपनियों तथा कॉस्मेटिक कंपनियों ने तरह-तरह की क्रीम व दवाइयों का निर्माण किया है। मार्केट में तमाम प्रकार की क्रीम व दवाइयां उपलब्ध है, जिनमें से कुछ क्रीम बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। उनमें से 5 क्रीम के बारे में जानकारी आप को मिलेगी। पांचों क्रीम के बारे में जानने से पहले आपको हाइपरपिगमेंटेशन के बारे में जानना होगा। आखिर हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या क्या होती है।

हाइपरपिगमेंटेशन/पिगमेंटेशन क्या है? | Hyperpigmentation In Hindi

हमारी स्किन में एक विशेष प्रकार के पिगमेंट का उत्पादन होता है, जिसे मेलानिन कहते हैं। जब हमारी स्किन में मेलानिन का उत्पादन अधिक होता है, तो हमारी त्वचा का रंग डार्क या सावला होता है। लेकिन जब मेलानिन का उत्पादन कम होता है। तो हमारी त्वचा का रंग फेयर या गोरा होता है। हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या होने पर व्यक्ति की त्वचा का रंग काला या सावला हो जाता है या त्वचा पर झाइयां, काले दाग धब्बे, निशान, डार्क सर्कल की समस्या होने लगती है। तो इसी समस्या को दूर करने के लिए एंटी पिगमेंटेशन क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। तो इस पोस्ट में आप Top 5 Cream For Pigmentation In India के बारे में जानेंगे।

ये रही Top 5 Cream For Pigmentation

स्किन लाइट क्रीम, नो स्कार्स क्रीम, नाइस ग्लो क्रीम, आईजीकौन ब्यूटी क्रीम, मेलाज अलफा क्रीम,

1-स्किनलाइट क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 1 पर

Skinlite Cream
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Skinlite Cream Compositions

Hydroquinone 2%w/w
Tretinoin 0.025%w/w
Mometasone Furoate 0.1%w/w

स्किनलाइट क्रीम तीन दवाओं से मिलकर बनी है, हाइड्रोक्नोन, ट्रेटिनोइन और मोमेटासोन फुरोएट। स्किन लाइट क्रीम हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या को दूर करती है। साथ ही साथ ऐक्ने तथा कुछ एलर्जिक समस्याओं को भी दूर करती है। जैसे कि खुजली, जलन, सूजन, रेडनेस, एग्जिमा, सोरायसिस, डर्मेटाइटिस आदि। यह क्रीम zudus Geo Company द्वारा मार्केटेड की जाती है।

2-नो स्कार्स क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 2 पर

No Scars Cream For Pigmentation
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Hydroquinone2%w/w
Tretinoin0.025%w/w
Mometasone Furoate0.1%w/w

नो स्कार्स क्रीम भी हाइड्रोक्नोन, ट्रेटिनोइन और मोमेटासोन फुरोएट से मिलकर बनी है। यह क्रीम भी मेलाजमा या हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या को दूर करती है। इस क्रीम के इस्तेमाल से काले डार्क सर्कल, काले निशान, धब्बे, स्ट्रेच मार्क आदि की समस्या दूर होती है। नो स्कार्स क्रीम Torque फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का प्रोडक्ट है।

3-आईजीकोन ब्यूटी क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 3 पर

Igcon Beauty Cream
Hydroquinone2%w/w
Tretinoin0.025%w/w
Mometasone Furoate0.1%w/w

आईजीकौन ब्यूटी क्रीम भी त्वचा की हाइपरपिगमेंटेशन यानी मेलाज्मा की समस्या को दूर करती है। यह एक नाइट क्रीम है। इस क्रीम से काले दाग, निशान, धब्बे, डार्क सर्कल, स्ट्रेच मार्क आदि की समस्या दूर की जा सकती है। इस क्रीम को भी केवल रात में इस्तेमाल किया जाता है। आईजीकौन ब्यूटी क्रीम लाइफकॉम फार्मास्यूटिकल कंपनी का प्रोडक्ट है।

4-नाइस ग्लो क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 4 पर

Nice Glow Cream For Pigmentation
Nice Glow Cream
Hydroquinone2%w/w
Tretinoin0.025%w/w
Mometasone Furoate0.1%w/w

नाइस ग्लो क्रीम एक नाइट क्रीम है, जो त्वचा और निशान के हाइपरपिग्मेंटेशन जैसी विभिन्न समस्याओं में त्वचा के रंग को हल्का करती है। इसके अलावा यह क्रीम काले दाग, धब्बे निशान, डार्क सर्कल, स्ट्रेच मार्क की समस्या को भी दूर करती है यह क्रीम निक्स फार्मा कंपनी द्वारा मार्केट की जाती है।

5-मेलाज अल्फा क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 5 पर

Top 5 Cream For Pigmentation
Melas Alfa Cream
Hydroquinone2%w/w
Tretinoin0.025%w/w
Mometasone Furoate 0.1%w/w

मेलाज अल्फा क्रीम त्वचा और निशान के हाइपरपिग्मेंटेशन जैसी विभिन्न समस्याओं में त्वचा के रंग को हल्का करता है। यह एक नाइट क्रीम है। सभी क्रीम जैसा कंपोजीशन इस क्रीम में भी है। जैसे कि हाइड्रोक्नोन, ट्रेटिनोइन और मोमेटासोन फुरोएट। इस क्रीम का इस्तेमाल केवल रात में ही करना चाहिए। मेलाज अलफा क्रीम mediaid हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का प्रोडक्ट है।

इस्तेमाल करने का सही तरीका

सबसे पहले आपको अपने हाथों को व त्वचा को साफ करना है। साफ करने के बाद क्रीम को हल्की मसाज करते हुए लगाना है। मसाज तब तक करते रहना है, जब तक कि क्रीम स्किन में पूरी तरह से अवशोषित ना हो जाए। इस तरीके से आप इस क्रीम को लगा सकते हैं। इन सभी क्रीम को केवल रात में ही प्रयोग करना चाहिए। धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।

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टॉप 5 क्रीम से अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

स्किनलाइट क्रीम का उपयोग कैसे करें? How to use Skinlite Cream?

डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। प्रभावित क्षेत्रों को ठीक करने के लिए दवा को पतला और पर्याप्त मात्रा में लगाएं। स्किनलाईट क्रीम आमतौर पर त्वचा के प्रभावित क्षेत्रों पर दिन में दो या तीन बार लगाया जाता है। इसको केवल रात में ही प्रयोग करना चाहिए।

क्या स्किनलाइट क्रीम त्वचा के लिए अच्छी होती है? Is Skinlite cream good for the skin?

हां। काले दाग, धब्बे, डार्क सर्कल, स्ट्रेच मार्क, हाइपरपिगमेंटेशन जैसी त्वचा की समस्याओं के लिए अच्छी है। यह इन्हीं समस्याओं को दूर करती है।

क्या स्किनलाइट चेहरे के लिए अच्छा है? Is Skinlite good for face?

हां।

स्किनलाइट क्रीम लगाने के क्या फायदे हैं?What are the benefits of using Skinlite Cream?

स्किनलाइट क्रीम से झाइयों की समस्या दूर की जाती है।

क्या स्किन लाइट क्रीम का कोई दुष्प्रभाव है? does skin lite cream have any side effects?

लगाने वाली जगह पर जलन, सूजन, खुजली, रेडनेस, ड्राई स्किन की समस्या हो सकती है।

ग्लोइंग स्किन के लिए कौन सी क्रीम बेस्ट है? Which cream is best for glowing skin?

स्किन लाइट क्रीम, नो स्कार्स क्रीम, नाइसगिलो क्रीम, आईजीकौन ब्यूटी क्रीम, मेलाज अलफा क्रीम

नाइस ग्लो क्रीम की कीमत क्या है? What is the cost of Nice Glow Cream?

MRP 120/15g

नाइस ग्लो क्रीम के दुष्प्रभाव क्या हैं? What are the side-effects of Nice Glow Cream?

लगाने वाली जगह पर जलन, सूजन, खुजली, रेडनेस, ड्राई स्किन की समस्या हो सकती है।

नाइस ग्लो क्रीम के क्या फायदे हैं? What are the benefits of Nice Glow Cream?

नाइस ग्लो क्रीम हाइपरपिगमेंटेशन, मेलाजमा, झाइयां, डार्क सर्कल, स्ट्रेच मार्क, निशान, कालापन दाग आदि समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

नाइस ग्लो क्रीम का उपयोग किस लिए किया जाता है? what is Nice Glow cream used for ?

नाइस ग्लो क्रीम का इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। जैसे कि मेलाज्मा, हाइपरपिगमेंटेशन, डार्क सर्कल, काले निशान, दाग, धब्बे, स्ट्रेच मार्क, एग्जिमा, सोरियासिस, डर्मेटाइटिस आदि।

क्या नाइस ग्लो क्रीम त्वचा के लिए अच्छी है? is Nice Glow cream good for skin ?

किसी विशेष समस्या के लिए इस्तेमाल की जाए तो अच्छी होती है। लेकिन बिना वजह इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है।

आईजीकोन ब्यूटी क्रीम का उपयोग कैसे करें? How to use IGCON Beauty Cream?

डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। अधिकतर मामलों में इस तरह से यूज की जा सकती है। सबसे पहले आपको अपने हाथों को व त्वचा को साफ करना है। साफ करने के बाद क्रीम को हल्की मसाज करते हुए लगाना है। मसाज तब तक करते रहना है, जब तक कि क्रीम स्किन में पूरी तरह से अवशोषित ना हो जाए। इस तरीके से आप इस क्रीम को लगा सकते हैं।

क्या आईजीकोन ब्यूटी क्रीम चेहरे के लिए अच्छा है? Is igcon beauty cream good for face?

किसी विशेष समस्या को ठीक करने लिए इस्तेमाल की जाए तो अच्छी होती है। लेकिन बिना वजह इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है।

मेलाज क्रीम लगाने से क्या फायदा होता है?What is the benefit of applying Melas Cream?

मेलाज क्रीम का इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। जैसे कि मेलाज्मा, हाइपरपिगमेंटेशन, डार्क सर्कल, काले निशान, दाग, धब्बे, स्ट्रेच मार्क, एग्जिमा, सोरियासिस, डर्मेटाइटिस आदि।

आप मेलास अल्फा क्रीम का उपयोग कैसे करते हैं? How do you use Melas Alfa Cream?

डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करके इस्तेमाल करते हैं। अधिकतर मामलों में इस तरह से यूज की जा सकती है। सबसे पहले आपको अपने हाथों को व त्वचा को साफ करना है। साफ करने के बाद क्रीम को हल्की मसाज करते हुए लगाना है। मसाज तब तक करते रहना है, जब तक कि क्रीम स्किन में पूरी तरह से अवशोषित ना हो जाए। इस तरीके से आप इस क्रीम को लगा सकते हैं।

क्या मेलाज क्रीम का इस्तेमाल सुरक्षित है? Is it safe to use Melas Cream?

किसी निश्चित समय तक व विशेष समस्या को ठीक करने लिए इस्तेमाल की जाए तो अच्छी होती है। लेकिन बिना वजह इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है।

लवक / Plastids

लवक / Plastids क्या है? प्रकार, संरचना एवं कार्य

लवक / Plastids क्या है? | What Is Plastid In Hindi

लवक / Plastids पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव में पाए जाने वाले गोल या अंडाकार संरचना हैं। इनमें पादपों के लिए महत्त्वपूर्ण रसायनों का निर्माण होता है। क्लोरोप्लास्ट नामक हरे रंग के लवक में जीव जगत की सबसे महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक क्रिया प्रकाश-संश्लेषण होती है। लवक की खोज सर्वप्रथम सन् 1865 में हैकेल ने की। लवक / Plastids शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ए.एफ.डब्ल्यू.एस. शिम्पर ने किया। क्रोमोप्लास्ट सामान्यतः पुष्पों के दलों या रंगीन फलों की भित्तियों में पाये जाते हैं। एमैलोप्लास्ट शर्करा को स्टार्च में परवर्तित करके अपने अंदर सञ्चित करते हैं।

लवक / Plastids के प्रकार | Plastid Type In Hindi

पादप कोशिका में लवक / Plastids तीन प्रकार के होते हैं।

1-वर्णी लवक (Chromoplasts)

2-अवर्णी लवक (Leucoplasts)

3-हरित लवक (Chloroplast)

1-वर्णी लवक क्या है? | Chromoplasts In Hindi

इन्हें रंगीन या क्रोमोप्लास्ट लवक भी कहते हैं। पेड़ पौधों में इसी लवक के कारण पुष्प, फल एवं पंखुड़ियों का एक विशेष रंग होता है। अतः सभी पादपों के पुष्पों एवं फलों के रंगीन होने में किसी न किसी लवक का विशेष योगदान होता है। जैसे- टमाटर का लाल रंग लाइकोपीन (Lycopene) लवक के कारण होता है। गाजर में कैरोटीन (Carotine) लवक के कारण होता है। चुकन्दर में बिटानीन (Betanin) लवक के कारण होता है। मिर्च का लाल रंग कैप्सेथीन लवक के कारण होता है।

वर्णी लवक की संरचना | Chromoplasts Diagram In Hindi

यह रंगीन लवक होते हैं। लाल-नारंगी रंग के होते हैं। इनमें जैनथोफिल और कैरोटीन वर्णक होते हैं ।

Chromoplasts

2-अवर्णी लवक क्या है? | Leucoplasts In Hindi

यह एक रंगहीन लवक है, जो जड़ों और भूमिगत तनों में पाए जाते हैं। ये स्टार्च के रूप में भोजन का संग्रह करते हैं। अतः इस लवक के कारण पेड पौधों का कोई विशेष रंग नहीं होता है। ये मुख्यतया तीन ये प्रकार के होते हैं।

अवर्णी लवक की संरचना | Leucoplasts Diagram In Hindi

अवर्णी लवक (ल्यूकोप्लास्ट) को तीन भागों में बांटा गया है।

a. एमाइलोप्लास्ट (Amyloplast)
b. एलयुरोप्लास्ट (Aleuroplast)
c. इलियोप्लास्ट (Eleoplast)

अवर्णी लवक

3-हरित लवक क्या है? | Chloroplast In Hindi

हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) को पादप कोशिका का रसोईघर कहा जाता है। जिस लवक में पर्णहरिम (क्लोरोफिल) वर्णक होता है, उसे हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट) कहते है। इनके कारण पत्तियों का रंग हरा होता है। जिससे पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते है। हरितलवक के रासायनिक विश्लेषण में पाया गया है कि इसके शुष्क भार में 30-35% प्रोटीन होता है। जिसमें 80% अघुलनशील प्रोटीन होता है। लिपिड्स में वसा 50% स्टीरॉल 20%, मोम 16% तथा फॉस्फेट 2.7% तक होते हैं। दो प्रकार के पर्णहरिम-a (पीला) 75% एवं पर्णहरिम-b (हरा-कला) 25% होता है। जैन्थोफिल 75% व कैरीटीन 25% होता है। हरितलवक में RNA 3-4% तक तथा DNA 0.02-0.1% तक होता है।

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हरित लवक की संरचना | Chloroplast Diagram In Hindi

लवक / Plastids

उच्च विकसित पौधों में ये गोलाकार, अण्डाकार लम्बे या बिम्बाकार होते हैं। ये 2μ से 8μ तक या कभी-कभी 100μ तक लम्बे तथा 3μ से 6μ तक व्यास वाले (मोटे) होते हैं। इसकी बाहरी झिल्ली सपाट परन्तु भीतरी झिल्ली गोल होती है। शैवालों में यह सर्पिलाकार, फीतासदृश, प्यालेनुमा, ताराकार, मेखला या पट्टिकावत या बिम्ब सदृश होते हैं। वस्तुतः इसमें बाहरी झिल्ली सपाट परन्तु भीतरी झिल्ली गोल पटलिका होती है, जिसे थायलेकॉइड कहते हैं। अनेक स्थानों पर यह थायलेकॉइड एक के ऊपर लगी होती है, जो ग्रेनम कहलाती है।

ग्रेनाओं को जोड़ने वाली पटलिकाएँ स्ट्रोमा पटलिकाएँ कहलाती हैं। हरे रंग के पदार्थ हरितलवक के कारण इसका रंग हरा होता है। यह हरितलवक दोहरे झिल्ली से घिरे होते हैं, जो लाइपोप्रोटीन की बनी होती है। इसके अन्दर की ओर एक तरल पारदर्शी पदार्थ होता है, जिसे स्ट्रोमा कहा जाता है। इस स्ट्रोमा में अनेक एन्जाइम, राइबोसोम आदि पदार्थ पाए जाते हैं। माइटोकॉण्ड्रिया की तरह लवक में अपना DNA और राइबोसोम होते हैं।

लवक / Plastids के कार्य | Plastids Functions In Hindi

लवक / Plastids के कार्य निम्नलिखित है।

  • पेड़ पौधों की पत्तियों का रंग हरा क्लोरोफिल या हरित लवक के कारण होता है।
  • पादपों में पुष्पों एवं फलों का विशेष रंग वर्णी लवक के कारण होता है।
  • कोशिका में हरित लवक कोशिका की रसोई इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि यह कार्बोहाइड्रेट का संचय करता है।
  • क्लोरोप्लास्ट प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करता है तथा प्रकृति में O₂ और CO₂ का संतुलन बनाये रखने का कार्य करता है।
  • पादपों की जड़ों एवं काष्ठ आदि का रंगहीन होना अवर्णी लवक का विशेष लक्षण होता है।
  • क्रोमोप्लास्ट का रूपांतरण फल पकने का संकेत होता है।
  • हरित लवक प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेटस का निर्माण करते हैं। इनमें ग्लूकोज से मण्ड, प्रोटीन, वसाएँ, विटामिन हार्मोन्स आदि का निर्माण भी होता है।
  • ल्यूकोप्लास्ट खाद्य पदार्थ जैसे स्टार्च, प्रोटीन और वसा का भण्डारण करता है।
  • जल का आयनीकरण एवं CO2 अपचयन के लिए NADPH+, H+ की उपलब्धि कराना हरितलवक का ही कार्य होता है।

लवक / Plastids के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions From Plastids In Hindi

लवक / Plastids कितने प्रकार के होते हैं ?

लवक तीन प्रकार के होते हैं- (1) वर्णी लवक(2) अवर्णी लवक (3) हरित लवक

वर्णी लवक कहां पाया जाता है?

वर्णी लवक पेड़-पौधों के पुष्पों एवं फलों में पाया जाता है।

पादपों अवर्णी लवक कहां पाया है?

पादपों में अवर्णी लवक जड़ों एवं तने में पाया जाता है।

ल्यूकोप्लास्ट का प्राथमिक कार्य क्या है?

ल्यूकोप्लास्ट प्लास्टिड्स हैं, जो वसा, तेल, स्टार्च, प्रोटीन इत्यादि जैसे पौधों के खाद्य पदार्थों को स्टोर करते हैं। क्लोरोप्लास्ट पौधों के प्रकाश संश्लेषक अंग हैं।

हरित लवक किसे कहते हैं?

पौधों की पत्तियों में पाए जाने वाले वर्णक को हरित लवक कहते हैं।

पपीता में कौन सा लवक पाया जाता है?

पिगमेंट अर्थात् कैरीकाक्संथिन की उपस्थिति के कारण पपीते पीले होते हैं।

ल्यूकोप्लास्ट कितने प्रकार के होते हैं?

ल्यूकोप्लास्ट्स 3 प्रकार के होते हैं। एमाइलोप्लास्ट्स, एल्यूरोप्लास्ट्स और इलायोप्लास्ट्स। एमाइलोप्लास्ट स्टार्च को स्टोर करते हैं।

प्लास्टिड शब्द किसने दिया?

प्लास्टिड शब्द हैकल के द्वारा दिया गया।

प्लास्टिड को क्लोरोप्लास्ट नाम किसने दिया?

प्लास्टिड को क्लोरोप्लास्ट नाम शिम्पर (Schimper) के द्वारा दिया गया।

लवक की आंतरिक एवं बाह्य संरचना किस पदार्थ की बनी होती है?

लवक की आंतरिक एवं बाह्य संरचना फाॅस्फोलिपिड की बनी होती है।

Mitochondria Diagram

Mitochondria (माइटोकाॅण्ड्रिया) क्या है? खोज, संरचना व कार्य

माइटोकाॅण्ड्रिया क्या है? | Mitochondria In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड की बनी होती है। इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। माइटोकॉण्ड्रिया की खोज 1890 ई. में अल्टमेन (Altman) नामक वैज्ञानिक ने की थी। अल्टमेन ने इसे बायोब्लास्ट तथा बेण्डा ने माइटोकॉण्डिया कहा। जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहा जाता हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।

माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना | Structure Of Mitochondria In Hindi

Mitochondria

माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। कोशिका के अंदर एक नलिकाकार, वेलनाकार, अंडाकार संरचना कोशिका द्रव्य में बिखरी अवस्था में पड़ी रहती है तथा कोशिका में यह दो प्रकार की झिल्लियों से घिरी रहती है। बाह्य झिल्ली (outer membrane) तथा आंतरिक झिल्ली (inner membrane) कहलाती है। भिन्न-भिन्न कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी संरचना भिन्न-भिन्न हो सकती है, परन्तु निम्नलिखित भाग हमेशा पाए जाते हैं।

  • बाहरी झिल्ली (Outer Membrane)
  • आन्तरिक झिल्ली (Inner Membrane)
  • क्रिस्टी (Cristae)
  • आधात्री (Matrix)
  • माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA)
  • राइबोसोम (Ribosome)

बाहरी झिल्ली (Outer Membrane) क्या होती है? | Mitochondria Outer Membrane In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड की बनी होती है। इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। इसकी मोटाई 60-70 Å होती है। माइटोकॉन्ड्रिया की यह भित्ति लचीली अर्ध पारगम्य तथा अणुओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाली होती है, जो अपने आंतरिक भागों में पोषक पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज, बसा, प्रोटीन आदि को क्रेब साइकिल तथा ग्लाइकोलाइसिस के माध्यम से जाने देती है। माइटोकॉन्ड्रिया में बड़ी संख्या में धंसे हुए प्रोटीन (Integral Proteins) होते हैं, जिन्हें पोरिन (Porins) कहा जाता है।

आंतरिक झिल्ली (Inner Membrane) क्या होती है? | Mitochondria Inner Membrane In Hindi

यह आन्तरिक झिल्ली है जिसके बीच में एक रिक्त स्थान होता है जिसमें आन्तरिक रूप से उंगलियों के समान बहुत से उभार पाये जाते हैं। इन उँगली सदृश उभारों को माइटोकान्ड्रियल क्रेस्ट या क्रिस्टी कहते हैं। क्रस्टी केन्द्रीय रिक्त स्थान को आपसी सम्बन्धित कोष्ठकों में विभाजित करती है। आन्तरिक झिल्ली में दो सतह होती है जिन्हें क्रमशः बाह्य तथा आन्तरिक सतह (Outer and inner surface) कहते हैं।

क्रिस्टी (Cristae) क्या होती हैं? | Mitochondria Cristae In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया में अंगुलाकार प्रवर्धों में अनेक छोटे-छोटे कणों के समान संरचनाएं लगी होती है। जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं। इन्हीं कृस्टियों में क्रेब्स साइकिल संचालित होती है। जो शरीर को लगातार संचालित करने के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराती है अतः क्रिस्टी माइटोकॉन्ड्रिया एवं मानव शरीर का एक विशेष अंग है। क्रिस्टी में टेनिस के रेकेट के समान संरचना होती है। जिन्हें ऑक्सीसोम या F2 कण या आंतरिक झिल्लिका उप इकाई (inner membrane subunit) कहा जाता है।

आधात्री (Matrix) क्या होता है? | Mitochondrial Matrix In Hindi

माइटोकांड्रिया के अंदर द्रव के रूप में एक पदार्थ भरा रहता है। जो माइटोकॉन्ड्रिया में उपस्थित माइटोकॉन्ड्रियल अंगक जैसे (माइटोकॉन्ड्रियल DNA, राइबोसोम) आदि को एक दूसरे से अलग करता है एवं उन्हें एक दूसरे में घिसने से बचाता है। अतः यह माइटोकॉन्ड्रिया में इंजन ऑयल (Engine Oil) की भांति काम करता है। माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स या द्रव पदार्थ कहलाता है।

माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA) क्या होता है? | Mitochondrial DNA In Hindi

मानव शरीर की समस्त कोशिकाओं में डीएनए कोशिका की कुल डीएनए का 1% मात्रा में उपस्थित होता है अतः इसमें भी दोनों क्षारकें प्यूरीन एवं पाइरामिडीन समान अनुपात में होती हैं। जैसे- (एडीनिन-ग्वानिन) एवं (साइटोसिन-थायमीन) माइटोकॉन्ड्रिया में माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mt-DNA) उपस्थित होता है। जिसके कारण यह अपने प्रोटीन एवं एंजाइमों का निर्माण खुद कर सकता है।

राइबोसोम (Ribosome) क्या होते है? | Mitochondrial Ribosome In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया के मैट्रिक्स में अनेक छोटे-छोटे दानेदार कणों के रूप में संरचनाएं पड़ी रहती हैं जिन्हें राइबोसोम कहते हैं। राइबोसोम समस्त कोशिकाओं के कोशिका द्रव एवं माइट्रोकांड्रियल द्रव्य में उपस्थित होते हैं, यह दो उप इकाइयों 70S एवं 80S हो सकती हैं। राइबोसोम में प्रोटीन का निर्माण होता है अतः राइबोसोम को प्रोटीन की फैक्ट्री के नाम से जाना जाता है।

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माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य क्या है? | Functions Of Mitochondria In Hindi

  • माइटोकॉन्ड्रिया का सबसे महत्वपूर्ण कार्य ऑक्सीडेटिव फास्फारिलीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन करना है । यह निम्नलिखित प्रक्रिया में भी शामिल है।
  • कोशिका की चयापचय गतिविधि को नियंत्रित करता है।
  • नई कोशिकाओं और से गुणन के विकास को बढ़ावा देता है।
  • लीवर की कोशिकाओं में अमोनिया को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
  • एपोप्टोसिस या प्रोग्राम्ड सेल डेथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • रक्त के कुछ हिस्सों और विभिन्न हार्मोन जैसे टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन के निर्माण के लिए जिम्मेदार सेल के डिब्बों के भीतर कैल्शियम आयनों की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह विभिन्न कोशिकीय गतिविधियों जैसे कोशिकीय विभेदन, कोशिका संकेतन, कोशिका जीर्णता, कोशिका चक्र को नियंत्रित करने और कोशिका वृद्धि में भी शामिल है।
  • कोशिका के अंदर यही कोशिकांग कोशिकीय श्वसन संपन्न कराता है एवं एटीपी का निर्माण करता है।
  • क्रेब्स साइकिल का संचालन माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर क्रिस्टी में होता है। जिससे ऊर्जा मुक्त होती है।
  • ग्लूकोस के एक अणु के ऑक्सीकरण से 673 किलो कैलोरी या 38 एटीपी का निर्माण होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about Mitochondria In Hindi

माइटोकॉन्ड्रिया की खोज किसके द्वारा की गई।

माइटोकांड्रिया की खोज अल्टमैन ने 1886 में की थी।

माइटोकॉन्ड्रिया का दूसरा नाम क्या है?

माइटोकॉन्ड्रिया को अन्य दूसरे नाम सूत्रकणिका के नाम से भी जाना जाता है। माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा का पावर हाउस भी कहते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा का पावर हाउस क्यों कहते हैं?

क्योंकि माइटोकॉन्ड्रिया की क्रिस्टी में ऊर्जा एटीपी के रूप में संरक्षित रहती है। अतः इस प्रकार इसे ऊर्जा का पावर हाउस कहते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया को ग्रीक भाषा में क्या कहते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया नाम 1898 में बेंडा द्वारा पेश किया गया था और शुक्राणुजनन के दौरान इन संरचनाओं की उपस्थिति का जिक्र करते हुए ग्रीक “मिटोस” (धागा) और “चोंड्रोस” (ग्रेन्युल) से उत्पन्न होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम कहां स्थित होते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम माइटोकॉन्ड्रिया के द्रव में स्थित होते हैं।

माइटोकॉन्ड्रिया में क्रिस्टी किसे कहते हैं?

माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक भित्ति में अनेक उभार समान संरचनाए पाई जाती हैं, जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं।

अपच

अपच / बदहजमी के लक्षण, कारण, निदान व उपाय 2023

अपच को अजीर्ण या बदहजमी भी कहते हैं। भोजन के रूप में लिया गया आहार अच्छी तरह से ना पचना या हजम ना होना अपच कहलाता है। अपच किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है। जैसे कि पेप्टिक अल्सर, GERD, पेट में संक्रमण व गलग्रंथि की बीमारी आदि।

अपच होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि गरिष्ठ भोजन करना, रात्रि में अधिक जागना, अधिक मिर्च मसालेदार भोजन करना, चाय, कॉफी, शराब व तंबाकू का सेवन अधिक करना, शारीरिक परिश्रम ना करना, मानसिक परिश्रम ज्यादा करना, बिना समय भोजन करना, खाना चबा चबा चबाकर न खाना, अधिक मात्रा में खाना, भोजन के तुरंत बाद पानी पीना आदि।

अपच से ग्रसित व्यक्ति में कई तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं। जैसे कि पेट में गैस बनना, शरीर में आलस, जी मिचलाना, दिल की धड़कन बढ़ना, सिर में भारीपन, पेट फूलना, उल्टी होना, छाती में जलन होना, खट्टी डकार आना, भूख ना लगना आदि।

अपच
Indigestion

अपच के कारण क्या हैं | Indigestion Causes In Hindi

बदहजमी के कारण निम्नलिखित हैं।

  • पेप्टिक अल्सर
  • एसिड रिफ्लक्स
  • हेलीकोबेक्टर पाईलोरी संक्रमण
  • पेट में संक्रमण
  • पेट में सूजन
  • मोटापा
  • चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू का अधिक सेवन
  • बासी भोजन
  • अत्यधिक मिर्च मसालेदार भोजन
  • रात्रि में अधिक जागना
  • भय, क्रोध, ईर्ष्या, मन में गिलानी
  • अरुचिकर भोजन जबरदस्ती सेवन करना
  • भोजन के बाद अधिक मात्रा में पानी पीना
  • मानसिक परिश्रम अधिक करना
  • शारीरिक परिश्रम कम करना
  • बिना चबाए भोजन निगलना
  • कुसमय भोजन करना
  • गरिष्ठ भोजन करना
  • पेट का कैंसर

अपच के लक्षण क्या हैं | Indigestion Symptoms In Hindi

बदहजमी के लक्षण निम्नलिखित है।

  • जी मिचलाना
  • उल्टी आना
  • गैस पेट में जलन
  • पेट में दर्द
  • पेट में भारीपन
  • वजन घटना
  • भूख न लगना
  • छाती में जलन
  • खट्टी डकार आना
  • मुंह में पानी भर आना
  • ह्रदय में जलन होना
  • खट्टी उल्टी आना
  • गले में जलन होना
  • कब्ज की समस्या होना

अपच का निदान कैसे किया जाता है | Indigestion Diagnosis In Hindi

सबसे पहले आपके डॉक्टर आपसे आपके खानपान की आदतों के बारे में व चिकित्सा संबंधी इतिहास के बारे में पूछताछ करेंगे। कुछ लक्षणों के आधार पर निदान कर सकते हैं या फिर समस्या गंभीर होने पर कुछ टेस्ट भी करा सकते हैं। अपच की समस्या का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट व नमूनों का सहारा ले सकते हैं, जैसे कि रक्त, मल के नमूने, एंडोस्कोपी, एक्स-रे, सांस परीक्षण, एंटीजन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, USG abdomen आदि।

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अपच का इलाज क्या है | Indigestion Treatment In Hindi

अपच की समस्या को ठीक करने के लिए मार्केट में बहुत सारी दवाइयां उपलब्ध है। जिनमें से कुछ आयुर्वेदिक और कुछ एलोपैथिक दवाइयां सबसे ज्यादा उपयोग में लाई जाती है। अपच से पीड़ित व्यक्ति के लिए अलग-अलग दवाइयां दी जा सकती है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की मेडिकल कंडीशन अलग-अलग हो सकती है। इसलिए मेडिकल कंडीशन के आधार पर अलग-अलग दवाइयां दी जाती है। कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां जो अधिकतर मामलों में दी जाती है, वह निम्नलिखित हैं।

  • Unienzyme Tablet/Syrup
  • Albendazole Tablet/Syrup
  • Iron Supplement
  • Folic Acid Supplement
  • Zinc Supplement
  • Cyproheptadine Hydrochloride
  • Protein Supplement
  • Proton Pump Inhibitors
  • Simethicon
  • Some Other Antacids

अपच की रोकथाम | अपच से बचाव कैसे करें?

अपच की समस्या से बचने के लिए कुछ आदतों में सुधार लाना चाहिए। जिससे ना केवल अपच से ही बल्कि कई तरह की अन्य बीमारियों से बच सकते हैं।

  • रात में देर तक नहीं जागना चाहिए।
  • भोजन को चबा चबा कर खाना चाहिए।
  • भोजन के बीच बीच में पानी नहीं पीना चाहिए।
  • मानसिक तनाव से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए।
  • सुबह सूर्योदय से पहले घूमने जाना चाहिए।
  • शारीरिक व्यायाम करना चाहिए।
  • सुबह खाली पेट एक से दो गिलास पानी पीना चाहिए।
  • भोजन के बाद कॉफी पीने से हल्कापन और स्फूर्ति आ जाती है।
  • रात में दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • गुटखा, बीड़ी, तंबाकू, सिगरेट व शराब आदि से बचना चाहिए।
  • अधिक मिर्च मसालेदार भोजन से बचना चाहिए।
  • अधिक वसायुक्त भोजन, बासी भोजन, अधपका भोजन नहीं खाना करना चाहिए।
  • देर से बचने वाले गरिष्ठ भोजन को नहीं खाना चाहिए।

बदहजमी के जोखिम कारक क्या क्या हो सकते हैं | Indigestion Risk Factors In Hindi

  • मिर्च मसालेदार भोजन
  • अधिक वसायुक्त गरिष्ठ भोजन
  • गुटखा, तंबाकू, पान मसाला, चाय, कॉफी, शराब आदि का सेवन
  • आरामदायक जीवन व्यतीत करना
  • शारीरिक मेहनत बिल्कुल भी नहीं करना
  • देर रात तक जागते रहना
  • कुछ बीमारी का संक्रमण

बदहजमी की जटिलताएं क्या है | Indigestion Complications In Hindi

वैसे तो बदहजमी एक मामूली सी समस्या मानी जाती है। लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज ना किया जाए, तो बहुत सारी कॉम्प्लिकेशंस हो सकती हैं। जैसे कि भोजन की नली का सिकुड़ना, GERd की समस्या होना, सीने में दर्द, निगलने में कठिनाई होना, पायलोरिक स्टेनोसिस, एसोफैगस कैंसर आदि।

बदहजमी या अपच में परहेज क्या करें | What To Avoid In indigestion in Hindi

बदहजमी से पीड़ित मरीजों के लिए निम्नलिखित चीजों को नहीं खाना चाहिए।

  • दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • बीड़ी, गुटखा, पान मसाला, सिगरेट, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
  • भोजन करने के तुरंत बाद पानी ना पिए।
  • तेज मिर्च मसालेदार, अधिक वसायुक्त भोजन का सेवन ना करें।
  • भोजन जल्दी जल्दी ना करें।

अपच के घरेलू उपाय क्या हैं | Home Remedies For Indigestion In Hindi

  • शारीरिक व्यायाम करें।
  • सूरज उगने से पहले घूमने जरूर जाएं।
  • सुबह दो से तीन गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।
  • भोजन के बाद कॉफी का सेवन करना चाहिए।
  • दिन भर खूब पानी पिए।
  • हल्का व सुपाच्य भोजन करना चाहिए।
  • नींबू का पानी पीना चाहिए।
  • अदरक को किसी भी रूप में खा सकते हैं।

बदहजमी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Indigestion Frequently Asked Questions In Hindi

अपच क्या है?

बदहजमी या अपच एक पाचन संबंधी रोग है। इस बीमारी में व्यक्ति का भोजन अच्छे तरीके से नहीं पचता है। तथा पेट में भारीपन, पेट में दर्द, जलन, छाती में जलन, गैस बनना, उल्टी आना आदि समस्याएं होने लगती हैं।

अपच क्यों होता है?

बदहजमी होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि कुसमय भोजन करना, अधिक मिर्च मसालेदार भोजन करना, भोजन के तुरंत बाद पानी पीना, पेप्टिक अल्सर की समस्या होना, पेट में संक्रमण होना, देर रात तक जागना, परिश्रम ना करना, मानसिक परिश्रम ज्यादा करना व अन्य कारण हो सकते हैं।

अपच जल्दी कैसे ठीक करें?

नींबू का पानी पीने से अपच जल्दी राहत मिलती है। लॉन्ग को चबाने से अपच से तुरंत राहत मिलती है। अदरक को किसी भी रूप में खाया जा सकता है। अदरक अपच में बहुत ही फायदेमंद है।

अपच की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

बदहजमी के लिए बहुत सारी दवाइयां उपलब्ध है लेकिन हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह से ही इस्तेमाल करना चाहिए। घरेलू दवा के रूप में आप अदरक का सेवन कर सकते हैं।

अपच के साथ आप कैसे सोते हैं?

सोने से 2 घण्टे पूर्व भोजन करना चाहिए तथा बाई तरफ करवट लेकर सोना चाहिए।

खाना न पचने का कारण क्या है?

खाना ना पचने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि तीखे मिर्च मसालेदार भोजन, किसी बीमारी का संक्रमण, तनाव भरा जीवन व्यतीत करना, शारीरिक मेहनत ना करना, देर रात तक जागना, और भी कई कारण हो सकते हैं।

बदहजमी की गोलियाँ क्या करती हैं?

बदहजमी और एसीडिटी की समस्या को दूर करने के लिए एंटासिड दवाइयां दी जाती है, जो एसिड को न्यूट्रलाइज करती है। जिस कारण अपच और एसीडिटी से राहत मिलती है।

Endoplasmic Reticulum क्या है? संरचना, प्रकार व कार्य

Endoplasmic Reticulum (अंत: प्रद्रव्ययी जालिका) कोशिकांग सभी सुकेंद्रकीय कोशिकाओं (यूकैरियोटिक कोशिका) में पाया जाता है इसका अध्ययन सर्वप्रथम सूक्ष्मदर्शी से कीथ आर पोर्टर के द्वारा किया गया था। यह उपापचयी रूप से सक्रिय कोशिकांग है जो सभी केंद्रक युक्त कोशिका में पाया जाता है। यह कोशिका में केंद्रक एवं कोशिका झिल्ली दोनों को जोड़ने वाली नलिकायें होती हैं, इन्हें कोशिका में थैली के नाम से जाना जाता है।

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका की संरचना | Structure of Endoplasmic Reticulum In Hindi

यह कोशिका में एक सतत तंत्र की तरह फैली रहती है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर यह चपटी नलिकाओं का जाल-सा प्रतीत होता है। इसमें एकल झिल्लियाॅ होती है, जो प्रोटीन एवं फास्फोलिपिड की बनी होती हैं।

Structure of Endoplasmic Reticulum

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका के भाग | Parts Of Endoplasmic Reticulum In Hindi

अंत: प्रद्रव्ययी जालिका निम्नलिखित तीन भिन्न संरचनाओं से मिलकर बनी होती है।

  • 1-सिस्टर्नी(Cisternae)
  • 2-पुटिका (Vesicle)
  • 3-नलिकाएँ (Tubule)

1-सिस्टर्नी (Cisternae) क्या होती है?

यह लंबी चपटी एवं समानांतर नलिकाएँ (Tubule) होती हैं। जो एक दूसरे के समानांतर व्यवस्थित होकर लैमिली (lamellae) का निर्माण करती हैं। इनका व्यास 30 से 50 माइक्रोमीटर होता है। यह खुरदरी खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) में अच्छी तरह से विकसित होती है।

2-पुटिका (Vesicle) क्या होती है?

यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में बिखरी पड़ी हुई थैलेनुमा गोल अंडाकार संरचनाएं होती है, जो चिकनी अन्तः प्रदव्ययीजालिका (Smooth endoplasmic reticulum– SER) में प्रचुर मात्रा में पायी जाती हैं। इनका व्यास 25 से 500 माइक्रोमीटर तक हो सकता है।

3-नलिकाएँ (Tubule) क्या होती है?

ये पुटिका तथा सिस्टर्नी से अलग-थलग और शाखित संरचना हैं, जो चिकनी अन्तः प्रदव्यीजालिका में अच्छी तरह से विकसित है। इनका व्यास 50 से 100 माइक्रोमीटर तक हो सकता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के प्रकार | Types of Endoplasmic Reticulum In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका निम्नलखित दो प्रकार की होती है।

1-खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum)

2-चिकनी अन्तः प्रदव्यीजालिका (Smooth endoplasmic reticulum)

1-खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Rough Endoplasmic Reticulum)

खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (RER) का खुरदरापन उस पर स्थित राइबोसोम के कारण होता है। राइवोसोम पर प्रोटीन का संश्लेषण होता है। RER में राइबोसोम की बड़ी इकाई पाई जाती है। RER में राइबोसोम जालिका के सभी भागों पर उपस्थित होते हैं, जिससे इनका आकार छिद्र युक्त दिखाई देता है।

2-चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Smooth Endoplasmic Reticulum)

ऐसी जालिका जिसमें राइबोसोम नहीं पाए जाते हैं।जिसके कारण इनकी सतह चिकनी होती है। अतः इन्हें चिकनी जालिका भी कहा जाता है। अतः इसमें प्रोटीन संश्लेषण नहीं होता है और यह कोशिकाएं अनेक कार्यों में प्रयोग की जाती है। टेस्टोस्टेरोन तथा प्रोजेस्ट्रोन का स्राव करने वाली कोशिकाओं में पाया जाता है। अतः यह कोशिकाओं में जनन कोशिका में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य | Endoplasmic Reticulum Functions In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य निम्नलिखित होते हैं।

1 प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करना

2 कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना

3 पदार्थों का विनिमय करना

4 कोशिका उपापचय

5 कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण

6 कोशिका ढांचा तैयार करना

1-प्रोटीन संश्लेषण

कोशिका झिल्ली का निर्माण करने वाले प्रोटीन, कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा संश्लेषित होती है। लिपिड का निर्माण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका द्वारा कार्बनिक कणों के स्रवण से होता है। ये प्रोटीन व लिपिड़ ही कोशिका झिल्ली का निर्माण करते हैं।

2-कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना

कोशिका में उपस्थित खुरदरी एवं चिकनी जालिका केंद्रक एवं कोशिका झिल्ली से लगी होती है। अतः कोशिका में उपस्थित कोशिकांग एवं कोशिका झिल्ली को संकुचित होने से बचाती है एवं उसको यांत्रिक सहारा प्रदान करती है।

3-पदार्थों का विनिमय करना

चूँकि ER मैट्रिक्स को अनेक कक्षों में बाँटता है, इन कक्षों में भिन्न सान्द्रता वाले कोष्ठ बनते हैं, जो ER की अर्द्ध-पारगम्य (Semi-permeable) झिल्ली की वजह से सम्भव होता है, इसी झिल्ली से भिन्न कक्षों के बीच आयनों व पदार्थों का विनिमय होता है।

4-कोशिका उपापचय

कोशिका में उपस्थित प्रोटीन अनेक क्रियाओ जैसे कोशिका झिल्ली का संकुचन, कोशिकांग तथा कोशिका की गति, कोशिका में उपस्थित एंजाइम एवं हार्मोन आदि का नियंत्रण कोशिका के द्वारा किया जाता है।

5-कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण

कोशिका में उपस्थित भोज्य पदार्थों के अवयवी कण जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि का भी संश्लेषण कोशिका में उपस्थित अन्तः प्रदृव्ययी जालिका में होता है।

6-कोशिका ढांचा तैयार करना

कोशिकाद्रव्य में ER नलिकाओं का जाल-सा फैला होता है। यह मैट्रिक्स को अनेक कक्षों में बाँटता है और कोलॉइडी मैट्रिक्स को अवलम्बन प्रदान करता है। अतः इस प्रकार यह कोशिका को एक नियमित स्वरूप प्रदान करने का कार्य भी करता है।

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about endoplasmic reticulum In Hindi

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कितने प्रकार की होती है?

अन्तः प्रद्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है।
1-खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका
2-चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम क्या है?

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम झिल्ली का एक ट्यूबलर नेटवर्क है, जो यूकेरियोटिक कोशिका के साइटोप्लाज्म के भीतर पाया जाता है।

Rough endoplasmic reticulum (RER) क्या है?

राइबोसोम युक्त जालिका को Rough endoplasmic reticulum (खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका) कहते हैं।

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज किसने की?

एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज एमिलियो वेराट्टी ने 1902 में की गयी। लेकिन कुछ सालों बाद कीथ आर पोर्टर ने इसे पहली बार इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप से देखा और इसका एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम नाम रखा।

चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका क्या है?

ऐसी जालिका जिस पर राइबोसोम नहीं होते हैं, वह चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कहलाती है।

सिस्टर्नी कहां स्थित होती हैं?

ये खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) में अच्छी तरह से विकसित होती है।

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एसिडिटी

Acidity क्या है? कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपाय

एसिडिटी क्या है? | Acidity In Hindi

Acidity एक ऐसा रोग है, जो आमाशय में एसिड की मात्रा बढ़ जाने के कारण उत्पन्न होता है। दूसरे शब्दों में जब पेट की गैस्ट्रिक ग्लैंड एसिड का उत्पादन आवश्यकता से अधिक करने लगती है, तब एसिडिटी की समस्या उत्पन्न जाती है। फास्ट फूड के इस जमाने में हर तीसरा व्यक्ति एसिडिटी से पीड़ित रहता है।

Acidity की समस्या कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जैसे कि अधिक मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन करना, चाय, कॉफी, तंबाकू, गुटखा, सिगरेट, चिंता, क्रोध, देर रात तक जागना, लंबे समय तक खाली पेट रहना, मानसिक तनाव, अधपका भोजन व अन्य कारण आदि।

Acidity से पीड़ित व्यक्ति में पेट व छाती में जलन, खट्टी डकार, मुंह में पानी भर आना, पेट में दर्द, भारीपन, गैस की शिकायत होना, कलेजा जलता प्रतीत होना, खट्टी उल्टी आना, गले में जलन होना, जी मिचलाना, कब्ज की समस्या होना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।

Acidity

एसिडिटी के कारण क्या हैं? | Acidity Couses In Hindi

एसिडिटी के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

  • एसिड रिफ्लक्स
  • नॉनवेज फूड
  • मिर्च मसालेदार भोजन
  • अधपका का खाना
  • मानसिक तनाव
  • अधिक समय तक भूखा रहने
  • दर्द निवारक गोलियों का सेवन
  • देर रात तक जागने
  • क्रोध
  • चिंता
  • चाय
  • कॉफी
  • तंबाकू
  • गुटखा
  • सिगरेट
  • पेप्टिक अल्सर
  • शराब
  • किसी बीमारी का संक्रमण होना आदि।

एसिडिटी के लक्षण क्या है? | Acidity Symptoms In Hindi

एसिडिटी के लक्षण निम्नलिखित है-

  • जी मिचलाना
  • पेट में जलन होना
  • छाती में जलन होना
  • खट्टी डकारें आना
  • मुंह में पानी भर आना
  • पेट में दर्द
  • पेट में भारीपन
  • गैस की समस्या
  • हृदय में जलन
  • खट्टी उल्टी आना
  • गले में जलन होना
  • कब्ज की समस्या होना

एसिडिटी से बचने के उपाय | Prevention Of Acidity In Hindi

एसिडिटी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।

  • मिर्च मसालेदार भोजन के सेवन से बचना चाहिए
  • गरिष्ठ आहार नहीं लेना चाहिए।
  • तेल से तली हुई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • चटपटी तथा अधिक नमक युक्त पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • शराब, चाय, कॉफी, तंबाकू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • अचार, चटनी, मांस, मछली, अंडा आदि का सेवन कब करना चाहिए।
  • भोजन के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
  • मिठाईयां व सॉफ्ट ड्रिंक्स के सेवन से बचना चाहिए।
  • देर रात तक नहीं जागना चाहिए।
  • लंबे समय तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए।
  • खाली पेट दर्द निवारक दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • क्रोध, चिंता, मानसिक तनाव से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए।
  • सुबह खाली पेट नियमित घूमने जाना चाहिए।

एसिडिटी से राहत पाने के घरेलू उपचार | Home Remedies For Acidity And Gas Problem In Hindi

एसिडिटी से राहत पाने के लिए घर पर यह उपाय जरूर अपनाएं।

  • नारियल पानी– इसमें बायोएक्टिव एंजाइम व पाए जाते हैं, जो कि पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसमें पोटेशियम व इलेक्ट्रोलाइट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एसिडिटी में नारियल पानी का सेवन किया जा सकता है।
  • दालचीनी– दालचीनी के पानी में इम्यूनिटी बूस्टर एंटीफंगल, एंटीवायरल तथा एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी पाई जाती है। दालचीनी का पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर होती है। इसीलिए यह एसिडिटी की समस्या में भी लाभदायक है।
  • गुड– इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है, आंखों की कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी तथा पाचन संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है।
  • तुलसी– तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से तुरंत राहत मिलती है।
  • केला-केले का सेवन किया जा सकता है, क्योंकि केले में भरपूर मात्रा में पोटेशियम तथा अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं केला पेट में अधिक एसिड बनने को रोकता है।
  • ठंडा दूध– दूध में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो पीएच स्तर को मेंटेन करता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है तथा पेट में होने वाली जलन तथा एसिड रिफ्लक्स से होने वाली जलन से तुरंत राहत देता है।
  • जीरा– जीरे में प्राकृतिक तेल पाए जाते हैं, जो हमारी लार ग्रंथियों को एक्टिवेट करते हैं और पेट एसिड की वजह से होने वाली जलन को कम करते है। दस्त और पेट फूलने की समस्या में भी जीरे का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • अजवाइन– इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल्स तथा पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे हैं। अजवाइन के नियमित सेवन से पेट में दर्द, पेट में गैस, पेट में जलन, भारीपन, पेट फूलना आदि समस्याएं दूर हो जाती है।
  • सौंफ– सौंफ को पूरी रात के लिए पानी में भिगोकर रखें और सुबह उठकर सौंफ का पानी पीएं। इसके नियमित इस्तेमाल से एसिडिटी तथा पाचन संबंधी अन्य समस्याएं भी दूर होगी।
  • पपीता– पपीता का सेवन करने से जल्दी राहत मिलती है। सुबह प्रतिदिन खाली पेट पपीता के सेवन से पेट की जलन तथा पेट से संबंधित अन्य समस्याएं दूर होती है।
  • खीरा– खीरे में भरपूर मात्रा में पानी पाया जाता है, जो शरीर को हाइड्रेट करता है। यह पेट में जलन, गैस और एसिड रिफ्लक्स की समस्या को दूर करता है।
  • लौकी– लौकी का रस पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है तथा पाचन तंत्र संबंधी अनेकों समस्याओं को दूर करता है। लौकी के रस को पीने से एसिडिटी, पेट में जलन, कब्ज, बेड कोलेस्ट्रॉल आदि समस्याएं दूर हो जाती हैं।
  • सुबह खाली पेट पानी– एसिडिटी का रामबाण उपाय माना जाता है। क्योंकि सुबह खाली पेट पानी पीने से ना केवल एसिडिटी की समस्या दूर होती है बल्कि 50 प्रकार से ज्यादा बीमारियों से बचे रहते हैं।

एसिडिटी का इलाज क्या है? | Treatment Of Acidity In Hindi

एसिडिटी की समस्या का इलाज आयुर्वेदिक, एलोपैथिक, होम्योपैथिक व अन्य पद्धतियां में मौजूद है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित एलोपैथिक पद्धति में कुछ दवाइयां एसिडिटी में दी जाती है, जो कि निम्नलिखित है।

  • Ranitidine
  • Omeprazole
  • Pantaprazole
  • Lansoprazole
  • Rabeprazole
  • Esomeprazole
  • Sodium Bicarbonate
  • Dexlansoprazole
  • Alluminium Hydroxide
  • Magnesium Carbohydrates
  • Magnesium Hydroxide
  • Magnesium Trisilicate
  • Calcium Carbonate
  • Others

एसिडिटी से पीड़ित लोगों के लिए शारीरिक व्यायाम

  • पवनमुक्तासन
  • हलासन
  • उष्ट्रासन
  • वज्रासन
  • तिर्यक ताड़ासन
  • रनिंग
  • तैराकी
  • टहलना
  • हल्का वजन उठाना

एसिडिटी कम करने के प्राकृतिक तरीके क्या है? | Natural Ways To Reduce Acidity In Hindi

प्रकृति में तरह-तरह की फल, सब्जियां, अनाज, आयुर्वेदिक औषधियां पाई जाती हैं। जो हमारे शरीर को प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ रखने के लिए सक्षम होती है। जिनमें से कुछ चीजें निम्नलिखित हैं जो एसिडिटी में लाभदायक सिद्ध होती हैं।

  • नारियल का पानी
  • तुलसी के पत्ते
  • अदरक
  • केला
  • सेब
  • पपीता
  • ठंडा दूध
  • अजवाइन
  • सौंफ व
  • अन्य खाद्य पदार्थ

एसिडिटी का निदान कैसे किया जाता है? | Acidity Diagnosis In Hindi

एसिडिटी के निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं।

  • एंडोस्कोपी
  • Ph मॉनिटरिंग
  • बेरियम एक्स-रे
  • सोनोग्राफी

क्या एसिडिटी के लिए तत्काल देखभाल के लिए जाना चाहिए? | When To Go For Acidity Care In Hindi

यदि व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है, निगलने में कठिनाई होती है, घुटन, ब्लैक स्टूल, पेट में असहनीय दर्द आदि समस्याएं होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

एसिडिटी और गैस में क्या अंतर है?

जब हमारे पेट में आवश्यकता से अधिक एसिड बनने लगता है, तो इस कंडीशन को एसिडिटी कहते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद या कार्बोहाइड्रेट के किण्वन के बाद डकार आना, पेट फूलना इस प्रकार की समस्या की समस्या को गैस कहते हैं।

एसिडिटी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

एसिडिटी से आपके शरीर में क्या होता है?

एसिडिटी होने के बाद हमारे शरीर में पेट में जलन, छाती में जलन, पेट भारी होना, पेट फूलना, खट्टी डकार आना, पेट दर्द हृदय में जलन आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं।

एसिडिटी का क्या कारण है?

एसिडिटी के मुख्य कारण तेज मिर्च मसालेदार भोजन, तले हुए भोजन का सेवन करना, चाय, कॉफी, शराब का अधिक सेवन, मानसिक तनाव आदि हो सकते हैं।

एसिडिटी कैसे होती है?

हमारे गलत खानपान की वजह से पेट में आवश्यकता से अधिक एसिड बनने लगता है, तो इस कंडीशन को एसिडिटी कहा जाता है।

एसिडिटी का खतरा किसे होता है?

एसिडिटी का खतरा किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, जो व्यक्ति तेज मिर्च मसालेदार भोजन, मांसाहारी भोजन, तले हुए खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफी, शराब, धूम्रपान का आवश्यकता से अधिक सेवन करता है।

एसिडिटी की जांच कैसे की जाती है?

एसिडिटी की जांच कुछ लक्षणों से भी की जा सकती है। या कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं जैसे कि एंडोस्कोपी, सोनोग्राफी, पीएच मॉनिटरिंग व बेरियम x-ray आदि।

एसिडिटी के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

एसिडिटी की दवा लक्षणों के आधार पर डॉक्टर द्वारा अलग-अलग दवा लिखी की जा सकती है।

एसिडिटी होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

एसिडिटी को उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे कि तेज मिर्च मसालेदार भोजन तले हुए खाद्य पदार्थ अचार चटनी अधपका हुआ खाना, चाय, कॉफी, शराब व खाद्य पदार्थ आदि।

एसिडिटी में कौन सा फल खाना चाहिए?

केला

एसिडिटी से तुरंत राहत कैसे पाएं?

एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के लिए ठंडा दूध, जीरा, अजवाइन, सौंफ, दालचीनी, केला, नारियल पानी, तुलसी, आंवला आदि। इनमें से किसी एक का सेवन करने से एसिडिटी में तुरंत राहत मिलेगी।

एसिडिटी बढ़ने से क्या होता है?

एसिडिटी बढ़ने से पेट में जलन, छाती में जलन, पेट में दर्द, खट्टी डकार आना, खट्टी उल्टी आना, गले में जलन, हृदय में जलन, पेट फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

एसिडिटी को जड़ से कैसे खत्म करें?

एसिडिटी को जड़ से खत्म करने के लिए अपनी जीवन शैली में बदलाव करें।

क्या विटामिन सी एसिडिटी के लिए अच्छा है?

विटामिन सी पहले से एसिडिक होता है। यह आपकी एसिडिटी को और अधिक बढ़ा सकता है।

कौन से खाद्य पदार्थ एसिडिटी को कम करते हैं?

ठंडा दूध, अजवाइन, जीरा, दालचीनी, गुड़, केला नारियल पानी, तुलसी, आंवला, सोंठ, गिलोय व अन्य पदार्थ एसिडिटी को कम कर सकते हैं।

दूध पीने से एसिडिटी होती है क्या?

ठंडा दूध पीने से एसिडिटी कम होती है।

क्या चाय पीने से एसिडिटी बढ़ती है?

हां। चाय पीने से एसिडिटी बढ़ती है।

क्या मीठा खाने से एसिडिटी बढ़ती है?

कुछ चीजों से एसिडिटी बढ़ती है और कुछ चीजें जैसे फल खाने से एसिडिटी कम भी होती है।

आप अपने शरीर में एसिड कैसे कम करते हैं?

रोज सुबह खाली पेट पानी पीने से एसिडिटी कम हो जाती है

मुझे रात में एसिडिटी क्यों होती है?

एसिडिटी होने के कई कारण हो सकते हैं, या तो आपका गलत खानपान या फिर कोई बीमारी का संकेत।

पेट का एसिड कैसे चेक करें?

पेट में एसिड का पीएच मॉनिटरिंग, बेरियम x-ray, एंडोस्कोपी, सोनोग्राफी या लक्षणों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है।

गैस और एसिडिटी को खत्म कैसे करें?

अपनी जीवनशैली में बदलाव करके, एसिडिटी और गैस उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों से बचाव करके या डॉक्टर से इलाज कराके भी एसिडिटी को खत्म कर सकते हैं?

बार बार एसिडिटी क्यों होती है?

एसिड को उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों को बार-बार खाने से एसिडिटी की समस्या हो सकती है या फिर किसी बीमारी के कारण एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

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IGCON Acne Cream

IGCON Acne Cream 20g के बारे में पूरी जानकारी

IGCON Acne Cream का इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे कि एक्ने, पिंपल्स तथा बैक्टीरियल इनफेक्शन आदि। IGCON Acne Cream एक कॉम्बिनेशन दवा है, इसमें ट्रेटिनोइन, क्लिंडामाइसिन, निकोटिनामाइड का संयोजन है। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream में मौजूद ट्रेटिनोइन दवा एक विटामिन का रूप है जो कि एक्ने की समस्या को दूर करती है। क्लिंडामाइसिन एक एंटीबायोटिक दवा है जो कि बैक्टीरियल इनफेक्शन को खत्म करती है तथा निकोटिनामाइड एक विटामिन B3 का रूप है जो कि मुंहासे तथा मुंहासे की सूजन को कम करती है। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream एक प्रिसक्रिप्शन दवा है। IGCON Acne Cream उपयोग करने का तरीका और खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि मरीज की उम्र, वजन, लिंग, पुरानी मेडिकल कंडीशन, रोग की गंभीरता, रोग का प्रकार, उपचार की प्रतिक्रिया, दवा देने का तरीका, टेस्ट की रिपोर्ट्स व अन्य कारक आदि। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जैसे कि लगाने वाली जगह पर जलन, सूजन, रेडनेस, खुजली, ड्राई स्किन आदि। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream का इस्तेमाल करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में जरूर रखना चाहिए जैसे कि गर्भवती महिलाओं के लिए, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए, लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारी, किडनी से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी, शुगर की बीमारी, मिर्गी की बीमारी, अस्थमा की बीमारी, ड्राइविंग करते समय, अल्कोहल का सेवन करते समय इस दवा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

IGCON Acne Cream का कुछ अन्य दवाइयों के साथ इंटरेक्शन हो सकता है जिस कारण आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती है इसीलिए इस दवा के साथ साथ कोई भी दूसरी की दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।

Igcon Acne cream
Igcon Acne cream
Product NameIGCON Acne Cream
Manufacturer/MarketerLifecom Pharmaceuticals (india) Pvt.Ltd.
CompositionsTretinoin, Clindamycin, Nicotinamide
PriceRs 150.00/20 g
Category/Properties Anti acne, Antibacterial
Dosage FormCream
StorageBelow 30°c
Prescription/OTCPrescription
Uses and BenefitsFor Acne, Pimples, Bacterial Infections
Dosage/How to UseAs Directed by the Physician
Works/Mode of ActionSee below
Side EffectsBurning, Itching, Redness, Swelling, Irritation
PrecautionsConsult your Doctor
Interactions withConsult Your Doctor
IGCON Acne Cream

IGCON Acne Cream Composition in Hindi | आईजीकॉन एक्ने क्रीम का कम्पोजीशन

Tretinoin B.P.0.025% w/w
Clindamycin Phosphate I.P. 1.0% w/w
Nicotinamide I.P.4.0 % w/w

IGCON Acne Cream Uses In Hindi | आईजीकॉन एक्ने क्रीम के उपयोग व फायदे

IGCON Acne Cream का इस्तेमाल निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जा सकता है।

  • ऐक्ने
  • पिंपल्स तथा
  • बैक्टीरियल इनफेक्शन

IGCON Acne Cream Dosage and How to Use in Hindi | आइजीकोन ऐक्ने क्रीम की खुराक व उपयोग करने का तरीका

IGCON Acne Cream को कैसे लगाएं?

  • IGCON Acne Cream का उपयोग करने का तरीका व खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि मरीज की उम्र, वजन, लिंग, पुरानी मेडिकल कंडीशन, रोग की गंभीरता, रोग का प्रकार, दवा देने का तरीका, उपचार की प्रतिक्रिया व अन्य कारक आदि। इसीलिए हमेशा आपको अपने चिकित्सक के अनुसार उपयोग करना चाहिए।
  • सबसे पहले आप किसी फेसवॉश से अपनी स्किन को साफ करें, फिर सुखाएं और फिर इस क्रीम को लगाएं। इस क्रीम को पतली परत बनाते हुए व मसाज करते हुए लगाएं। मसाज तब तक करते रहे जब तक कि क्रीम पूरी तरह से स्किन में अवशोषित ना हो जाए।
  • ओवर मात्रा लेने से बचना चाहिए।
  • यदि कोई खुराक छूट जाती है तो उसे जल्दी से जल्दी लेने की कोशिश करना चाहिए लेकिन ध्यान रहे यदि दूसरी खुराक का समय नजदीक हो तो क्षतिपूर्ति करने के लिए दोनों खुराक एक साथ नहीं लेना चाहिए।
  • इस दवा से आंख, नाक, कान और मुंह को बचा कर रखें।
  • इस दवा को केवल प्रभावित त्वचा पर ही लगाना चाहिए।
  • इस क्रीम को लगाने के बाद लंबे समय तक धूप में नहीं रहना चाहिए।
  • इस क्रीम का अच्छा फायदा पाने के लिए प्रतिदिन लगाना चाहिए।
  • यह दवा केवल बाहरी स्किन पर लगाना चाहिए।
  • डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देश अनुसार इस दवा का प्रयोग करना चाहिए।
  • इस क्रीम को दिन में 2 बार लगाया जा सकता है। लेकिन आपको हमेशा अपने चिकित्सक के अनुसार इस्तेमाल करना चाहिए।
  • इस दवा को ठंडे, सूखे व 30 डिग्री से कम तापमान वाली जगह पर रखना चाहिए।

IGCON Acne Cream Works In Hindi | आइजीकोन ऐक्ने क्रीम कैसे काम करती है?

IGCON Acne Cream इन तीन (Tretinoin, Clindamycin Phosphate, Nicotinamide) दवाओं से मिलकर बनी है l तीनों का work व mode of action निम्नलिखित है।

Tretinoin– यह एक विटामिन A का रूप है। जो विषेश रूप से एक्ने व मुंहासे की समस्या को दूर करती है। Tretinoin स्किन को नवीकृत होने में मदद करती है।

Clindamycin Phosphate- यह एक एंटीबायोटिक दवा है जो बैक्टीरियल इंफेक्शन को खत्म करती है। यह बैक्टीरिया की प्रोटीन संश्लेषण क्रिया को रोकती है जिस कारण बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।

Nicotinamide– यह एक बिटामिन B3 का रूप है। जो मुहाँसे तथा मुहाँसे की सूजन को कम करती है। Nicotinamide नई कोशिकाओं के निर्माण में मदद करती है तथा सूरज की रोशनी, प्रदूषण, जहरीले पदार्थों के नकारात्मक प्रभाव से भी बचाती है। निकोटिनामाइड Niacin की कमी को भी पूरा करती है।

IGCON Acne Cream Side Effects In Hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के साइड इफेक्ट्स

  • सूजन (Swelling)
  • जलन (Irritation)
  • खुजली (Itching)
  • लालिमा (Redness)
  • सूखी त्वचा (Dry Skin)

IGCON Acne Cream Related Precautions And Warning in hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम से जुड़ी सावधानियां व चेतावनियां

  • एलर्जी की समस्या में- Tretinoin, Clindamycin Phosphate, Nicotinamide ड्रग से एलर्जिक व्यक्तियों को इस दवा का उपयोग नही करना चाहिए।
  • गर्भावस्था में- इस दवा से गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसान हो सकता है। इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • स्तनपान में – स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित हो सकती है, लेकिन हमेशा चिकित्सक की सलाह के बाद ही इस्तेमाल करें।
  • लिवर से जुड़ी बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति को लिवर से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • किडनी से जुड़ी बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति की किडनी खराब है या अच्छे तरीके से काम नहीं कर रही है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए भी इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारी में- अगर किसी व्यक्ति को हृदय से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है जैसे कि हार्ट फैलियर, हर्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, लो ब्लड प्रेशर आदि अगर इस प्रकार की कोई बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
  • शुगर की बीमारी में – डायबिटीज के मरीजों के लिए भी इस दवा का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
  • अस्थमा की बीमारी में – अस्थमा के मरीजों के लिए भी डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
  • दौरे की बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति को दौरे की समस्या है या मिर्गी की बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए भी इस दवा का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
  • एल्कोहल – इस दवा का प्रयोग करते समय शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • ओवरडोज – ओवर मात्रा में इस्तेमाल करने पर कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं, इसीलिए कभी भी ओवर मात्रा में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • ड्राइविंग करते समय – इसका प्रयोग करने के बाद ड्राइविंग करने में कोई परेशानी नहीं होती है लेकिन अगर किसी व्यक्ति को ड्राइविंग करते समय कोई परेशानी होती है । जैसे कि नींद आना, चक्कर आना तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए या इस क्रीम का उपयोग करने के बाद ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए।
  • अन्य दवाइयों का सेवन करते समय – अगर किसी व्यक्ति की पहले से कोई दवाइयां चल रही है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए इस दवा का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

Interaction Of IGCON Acne Cream with Other Medications In Hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का अन्य दवाइयों के साथ इंटरेक्शन

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का कई प्रकार की दवाइयों के साथ इंटरेक्शन हो सकता है तथा कुछ गंभीर साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें

1. ड्रग-ड्रग का इंटरेक्शन (Drug-Drug Interactions)

कुछ ड्रग्स के साथ इंटरेक्शन हो सकता है। जो निम्नलिखित हैं।

  • Warferin
  • Methotrexate
  • Herbal Supplements
  • Clarithromycin
  • Aminolevulinic acid
  • Aminolevulinic acid topical
  • Benzoyl peroxide topical
  • Clascoterone topical
  • Isotretinoin
  • Methoxsalen
  • Methyl aminolevulinate topical
  • Porfimer
  • Alcohol
  • Others medicine

2. फूड-ड्रग का इंटरेक्शन (Food -Drug Interactions)

कोई भी इंटरेक्शन नहीं देखा गया है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

3. ड्रग-बीमारी का इंटरेक्शन (Drug-Disease Interactions)

अस्थमा की बीमारी में, डायबिटीज की बीमारी में, लिवर की बीमारी में, किडनी की बीमारी में, हृदय की बीमारी में, ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या में, कोलाइटिस की समस्या में, दौरे की समस्या में इस दवा के प्रयोग से नुकसान हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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Frequently Asked Questions From I GCON Acne Cream In Hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का उपयोग किस लिए किया जाता है?

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का इस्तेमाल ऐक्ने, मुंहासे तथा बैक्टिरियल इंफेक्शन के इलाज के लिए किया जाता है

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम त्वचा के लिए अच्छी है?

हां

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का कोई साइड इफेक्ट है?

हां। आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हो जैसे कि खुजली, जलन, सूजन, रेडनेस आदि।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का इस्तेमाल कैसे करें? 

डॉक्टर की सलाह अनुसार इस्तेमाल करना चाहिए।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम निर्धारित से अधिक लेने पर अधिक प्रभावी होगी?

नहीं। शायद और अधिक नुकसान हो सकता है।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम मुंहासों को दूर कर सकती है?

हां ।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम काम करती है?

हां

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का साइड इफेक्ट क्या है?

कुछ लोगों को लगाने वाली जगह पर यह साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे कि खुजली, जलन, सूजन, रेडनेस, ड्राई स्किन आदि।

क्या मैं रोजाना आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का इस्तेमाल कर सकता हूं?

हां

हम कब तक आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं?

जब तक आपकी समस्या दूर ना हो जाए तब तक आप इस क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। या अपने चिकित्सक की सलाह अनुसार।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम कितनी अच्छी है? 

बहुत अच्छी। आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम से एक्ने, पिंपल्स की समस्या दूर की जा सकती है।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम को काम करने में कितना समय लगता है? 

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम 1 से 2 घंटे में अपना काम करना शुरू कर देती है।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम पुराने निशान मिटा सकती है?

नहीं।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम डार्क स्पॉट्स को दूर कर सकती है? 

नहीं ।

क्या चेहरे पर आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम लगा सकते हैं? 

हां ।

भारत में आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम की कीमत कितनी है? 

₹130/20g

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम डार्क सर्कल्स के लिए अच्छा है? 

नहीं ।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम अच्छी या बुरी है

अधिकतर मामलों अच्छी होती है।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम परिणाम क्या है?

कुछ लोगों के लिए शानदार रिजल्ट मिलते हैं। लेकिन कुछ लोगों के लिए नुकसानदायक भी हो सकती है।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के फायदे क्या है?

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम से एक्ने, पिंपल्स तथा बैक्टेरियल संक्रमण की समस्या दूर की जा सकती है।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम बैन ?

अभी तक तो नहीं

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम कब लगाये?

सुबह शाम लगा सकते हैं। या डॉक्टर की सलाह अनुसार

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम एक ब्लीचिंग क्रीम है?

नहीं ।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम त्वचा के लिए अच्छी है?

हां ।

आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का उपयोग क्या है?

एक्ने, पिंपल्स की समस्या को दूर करने के लिए उपयोग की जाती है।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम हानिकारक है?

कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है लेकिन सभी के लिए नहीं।

क्या आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम त्वचा को गोरा करती है?

नहीं ।

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