सभी सजीव कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली असंख्य छोटी-छोटी राई या कणों के समान संरचनाएं राइबोसोम (Ribosome In Hindi) कहलाते हैं। इसके अतिरिक्त राइबोसोम कोशिका के कोशिकांग जैसे-माइटोकॉन्ड्रिया के द्रव्य तथा एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम और क्लोरोप्लास्ट (हरितलवक) मैं पाई जाती हैं। राइबोसोम कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं। इसीलिए इन्हें प्रोटीन की फैक्ट्री के नाम से जाना जाता है।
राइबोसोम एक संदेशधारक राइबोस न्यूक्लिक अम्ल (एमआरएनए) के साथ जुडा रहता है। जिसमें किसी विशेष प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल को सही क्रमानुसार लगाने का संदेश रहता है। अमीनो अम्ल संदेशवाहक आरएनए अणुओं के साथ संलग्न रहते हैं। इस प्रकार राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है लिपिड की उपापचयी क्रियाओं में भी सहायता करता है।
राइबोसोम की खोज 1955 के दशक में रुमानिया के वैज्ञानिक जॉर्ज पैलेड के द्वारा इसकी खोज की गई यह इतने छोटे कोशिकांग थे की इन को खोजने के लिए इन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ी और इन्हें इस खोज के लिए इन्हैं नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया इन सूक्ष्म कणों को राइबोसोम नाम वैज्ञानिक रिचर्ड बी राॅबर्ट्स ने दिया।
राइबोसोम पर अनेक शोधों के द्वारा पाया गया कि इनकी दो उपइकाइयां आपस में मिलकर प्रोटीन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं हैं। राइबोसोम की दोनों इकाइयों का गठन यूकैरियोटिक एवं प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में अलग अलग होता है।
Ribosome In Hindi के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।
राइबोसोम की परिभाषा | Ribosome Definition In Hindi
राइबोसोम आरएनए और प्रोटीन से बने सबसे महत्वपूर्ण कोशिकांग में से एक हैं, जो आनुवंशिक कोड को अमीनो अम्ल की श्रृंखला में परिवर्तित करते हैं।
राइबोसोम की संरचना | Structure of Ribosome In Hindi
राइबोसोम की संरचना दो उप इकाइयों से मिलकर बनी होती है। छोटी इकाई 70S की आकृति अण्डाकार एवं बड़ी इकाई 80S की आकृति गुंबद के आकार जैसी होती है। छोटी उप इकाई व बड़ी उप इकाई क्रमशः m- RNA को t- RNA से जोड़ने का काम करती है। राइबोसोम (Ribosome) का निर्माण न्यूक्लियोलस (केन्द्रक) में 40-60% प्रोटीन और 60-40% आरएनए द्वारा होता है। न्यूक्लियोलस को राइबोसोमल उत्पादक फैक्टरी (Ribosomal Manufactring Factory) कहा जाता है। 50S उपइकाई – 34% प्रोटीन + 23S और 5S आर-आरएनए 30S उपइकाई – 21% प्रोटीन + 16S आर-आरएनए 60S उपइकाई – 40% प्रोटीन + 28S, 5.8S और 5S आर-आरएनए40S उपइकाई 33% प्रोटीन + 18S आरआरएनए Ribosome का निर्माण न्यूक्लियोलस (केन्द्रक) में 40-60% प्रोटीन और 60-40% आरएनए द्वारा होता है।
राइबोसोम के प्रकार | Types of Ribosome In Hindi
राइबोसोम प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं के आधार पर दो प्रकार के होते हैं।
1-70S राइबोसोम
2-80S राइबोसोम
1-70S राइबोसोम (प्रोकैरियोटिक राइबोसोम)
प्रोकैरियोटिक कोशिका में 70S प्रकार के राइबोसोम पाए जाते हैं। जो दो उप इकाइयों 50S एवं 30S में होते हैं। 50S उपइकाई बड़ी होती है, जो 25S एवं 5S से मिलकर बनी होती है। छोटी उप इकाई 30S होती है ,जो 16S से मिलकर बनी होती है।
70S राइबोसोम की संरचना | Diagram of 70s Ribosome In Hindi
2-80S राइबोसोम (यूकैरियोटिक राइबोसोम)
यूकैरियोटिक कोशिका अर्थात केंद्रकयुक्त कोशिकाओं में देखने को मिलते हैं। यह राइबोसोम भी दो प्रकार की सब यूनिट जिनमें छोटी 40S और बड़ी 60S सब यूनिट्स से मिलकर बने होते हैं। यह सब यूनिट एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम की बाहरी सतह से चिपके रहते हैं तथा प्रत्येक सब यूनिट पर t-RNA की जांच होती है, जिनको p-site और A-site कहा जाता है। p-site के t-RNA अणु पर पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला और A-site पर t-RNA अणु पर पेप्टाइड श्रंखला से जुड़ने वाला अमीनो अम्ल का अणु लगा रहता है। m-RNA दोनों के बीच छोटे सब यूनिट के बीच छोटे सब यूनिट से संलग्न रहता है।
80S राइबोसोम की संरचना | Diagram of 80s Ribosome In Hindi
Top 5 Cream For Pigmentation In India के बारे जानकारी- हाइपरपिगमेंटेशन एक आम समस्या बनती जा रही है। हर कोई व्यक्ति कभी ना कभी हाइपरपिगमेंटेशन/मेलाज्मा/झाइयां की समस्या से पीड़ित जरूर हुआ है। हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या से बचने के लिए फार्मा कंपनियों तथा कॉस्मेटिक कंपनियों ने तरह-तरह की क्रीम व दवाइयों का निर्माण किया है। मार्केट में तमाम प्रकार की क्रीम व दवाइयां उपलब्ध है, जिनमें से कुछ क्रीम बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। उनमें से 5 क्रीम के बारे में जानकारी आप को मिलेगी। पांचों क्रीम के बारे में जानने से पहले आपको हाइपरपिगमेंटेशन के बारे में जानना होगा। आखिर हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या क्या होती है।
हाइपरपिगमेंटेशन/पिगमेंटेशन क्या है? | Hyperpigmentation In Hindi
हमारी स्किन में एक विशेष प्रकार के पिगमेंट का उत्पादन होता है, जिसे मेलानिन कहते हैं। जब हमारी स्किन में मेलानिन का उत्पादन अधिक होता है, तो हमारी त्वचा का रंग डार्क या सावला होता है। लेकिन जब मेलानिन का उत्पादन कम होता है। तो हमारी त्वचा का रंग फेयर या गोरा होता है। हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या होने पर व्यक्ति की त्वचा का रंग काला या सावला हो जाता है या त्वचा पर झाइयां, काले दाग धब्बे, निशान, डार्क सर्कल की समस्या होने लगती है। तो इसी समस्या को दूर करने के लिए एंटी पिगमेंटेशन क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। तो इस पोस्ट में आप Top 5 Cream For Pigmentation In India के बारे में जानेंगे।
1-स्किनलाइट क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 1 पर
Skinlite Cream Compositions
Hydroquinone
2%w/w
Tretinoin
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Mometasone Furoate
0.1%w/w
स्किनलाइट क्रीम तीन दवाओं से मिलकर बनी है, हाइड्रोक्नोन, ट्रेटिनोइन और मोमेटासोन फुरोएट। स्किन लाइट क्रीम हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या को दूर करती है। साथ ही साथ ऐक्ने तथा कुछ एलर्जिक समस्याओं को भी दूर करती है। जैसे कि खुजली, जलन, सूजन, रेडनेस, एग्जिमा, सोरायसिस, डर्मेटाइटिस आदि। यह क्रीम zudus Geo Company द्वारा मार्केटेड की जाती है।
2-नो स्कार्स क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 2 पर
Hydroquinone
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Tretinoin
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Mometasone Furoate
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नो स्कार्स क्रीम भी हाइड्रोक्नोन, ट्रेटिनोइन और मोमेटासोन फुरोएट से मिलकर बनी है। यह क्रीम भी मेलाजमा या हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या को दूर करती है। इस क्रीम के इस्तेमाल से काले डार्क सर्कल, काले निशान, धब्बे, स्ट्रेच मार्क आदि की समस्या दूर होती है। नो स्कार्स क्रीम Torque फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का प्रोडक्ट है।
3-आईजीकोन ब्यूटी क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 3 पर
Hydroquinone
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Tretinoin
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Mometasone Furoate
0.1%w/w
आईजीकौन ब्यूटी क्रीम भी त्वचा की हाइपरपिगमेंटेशन यानी मेलाज्मा की समस्या को दूर करती है। यह एक नाइट क्रीम है। इस क्रीम से काले दाग, निशान, धब्बे, डार्क सर्कल, स्ट्रेच मार्क आदि की समस्या दूर की जा सकती है। इस क्रीम को भी केवल रात में इस्तेमाल किया जाता है। आईजीकौन ब्यूटी क्रीम लाइफकॉम फार्मास्यूटिकल कंपनी का प्रोडक्ट है।
4-नाइस ग्लो क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 4 पर
Hydroquinone
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Tretinoin
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Mometasone Furoate
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नाइस ग्लो क्रीम एक नाइट क्रीम है, जो त्वचा और निशान के हाइपरपिग्मेंटेशन जैसी विभिन्न समस्याओं में त्वचा के रंग को हल्का करती है। इसके अलावा यह क्रीम काले दाग, धब्बे निशान, डार्क सर्कल, स्ट्रेच मार्क की समस्या को भी दूर करती है यह क्रीम निक्स फार्मा कंपनी द्वारा मार्केट की जाती है।
5-मेलाज अल्फा क्रीम | Top 5 Cream For Pigmentation में नंबर 5 पर
Hydroquinone
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Tretinoin
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Mometasone Furoate
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मेलाज अल्फा क्रीम त्वचा और निशान के हाइपरपिग्मेंटेशन जैसी विभिन्न समस्याओं में त्वचा के रंग को हल्का करता है। यह एक नाइट क्रीम है। सभी क्रीम जैसा कंपोजीशन इस क्रीम में भी है। जैसे कि हाइड्रोक्नोन, ट्रेटिनोइन और मोमेटासोन फुरोएट। इस क्रीम का इस्तेमाल केवल रात में ही करना चाहिए। मेलाज अलफा क्रीम mediaid हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का प्रोडक्ट है।
इस्तेमाल करने का सही तरीका
सबसे पहले आपको अपने हाथों को व त्वचा को साफ करना है। साफ करने के बाद क्रीम को हल्की मसाज करते हुए लगाना है। मसाज तब तक करते रहना है, जब तक कि क्रीम स्किन में पूरी तरह से अवशोषित ना हो जाए। इस तरीके से आप इस क्रीम को लगा सकते हैं। इन सभी क्रीम को केवल रात में ही प्रयोग करना चाहिए। धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
स्किनलाइट क्रीम का उपयोग कैसे करें? How to use Skinlite Cream?
डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। प्रभावित क्षेत्रों को ठीक करने के लिए दवा को पतला और पर्याप्त मात्रा में लगाएं। स्किनलाईट क्रीम आमतौर पर त्वचा के प्रभावित क्षेत्रों पर दिन में दो या तीन बार लगाया जाता है। इसको केवल रात में ही प्रयोग करना चाहिए।
क्या स्किनलाइट क्रीम त्वचा के लिए अच्छी होती है? Is Skinlite cream good for the skin?
हां। काले दाग, धब्बे, डार्क सर्कल, स्ट्रेच मार्क, हाइपरपिगमेंटेशन जैसी त्वचा की समस्याओं के लिए अच्छी है। यह इन्हीं समस्याओं को दूर करती है।
क्या स्किनलाइट चेहरे के लिए अच्छा है? Is Skinlite good for face?
हां।
स्किनलाइट क्रीम लगाने के क्या फायदे हैं?What are the benefits of using Skinlite Cream?
स्किनलाइट क्रीम से झाइयों की समस्या दूर की जाती है।
क्या स्किन लाइट क्रीम का कोई दुष्प्रभाव है? does skin lite cream have any side effects?
लगाने वाली जगह पर जलन, सूजन, खुजली, रेडनेस, ड्राई स्किन की समस्या हो सकती है।
ग्लोइंग स्किन के लिए कौन सी क्रीम बेस्ट है? Which cream is best for glowing skin?
नाइस ग्लो क्रीम की कीमत क्या है? What is the cost of Nice Glow Cream?
MRP 120/15g
नाइस ग्लो क्रीम के दुष्प्रभाव क्या हैं? What are the side-effects of Nice Glow Cream?
लगाने वाली जगह पर जलन, सूजन, खुजली, रेडनेस, ड्राई स्किन की समस्या हो सकती है।
नाइस ग्लो क्रीम के क्या फायदे हैं? What are the benefits of Nice Glow Cream?
नाइस ग्लो क्रीम हाइपरपिगमेंटेशन, मेलाजमा, झाइयां, डार्क सर्कल, स्ट्रेच मार्क, निशान, कालापन दाग आदि समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
नाइस ग्लो क्रीम का उपयोग किस लिए किया जाता है? what is Nice Glow cream used for ?
नाइस ग्लो क्रीम का इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। जैसे कि मेलाज्मा, हाइपरपिगमेंटेशन, डार्क सर्कल, काले निशान, दाग, धब्बे, स्ट्रेच मार्क, एग्जिमा, सोरियासिस, डर्मेटाइटिस आदि।
क्या नाइस ग्लो क्रीम त्वचा के लिए अच्छी है? is Nice Glow cream good for skin ?
किसी विशेष समस्या के लिए इस्तेमाल की जाए तो अच्छी होती है। लेकिन बिना वजह इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है।
आईजीकोन ब्यूटी क्रीम का उपयोग कैसे करें? How to use IGCON Beauty Cream?
डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। अधिकतर मामलों में इस तरह से यूज की जा सकती है। सबसे पहले आपको अपने हाथों को व त्वचा को साफ करना है। साफ करने के बाद क्रीम को हल्की मसाज करते हुए लगाना है। मसाज तब तक करते रहना है, जब तक कि क्रीम स्किन में पूरी तरह से अवशोषित ना हो जाए। इस तरीके से आप इस क्रीम को लगा सकते हैं।
क्या आईजीकोन ब्यूटी क्रीम चेहरे के लिए अच्छा है? Is igcon beauty cream good for face?
किसी विशेष समस्या को ठीक करने लिए इस्तेमाल की जाए तो अच्छी होती है। लेकिन बिना वजह इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है।
मेलाज क्रीम लगाने से क्या फायदा होता है?What is the benefit of applying Melas Cream?
मेलाज क्रीम का इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। जैसे कि मेलाज्मा, हाइपरपिगमेंटेशन, डार्क सर्कल, काले निशान, दाग, धब्बे, स्ट्रेच मार्क, एग्जिमा, सोरियासिस, डर्मेटाइटिस आदि।
आप मेलास अल्फा क्रीम का उपयोग कैसे करते हैं? How do you use Melas Alfa Cream?
डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करके इस्तेमाल करते हैं। अधिकतर मामलों में इस तरह से यूज की जा सकती है। सबसे पहले आपको अपने हाथों को व त्वचा को साफ करना है। साफ करने के बाद क्रीम को हल्की मसाज करते हुए लगाना है। मसाज तब तक करते रहना है, जब तक कि क्रीम स्किन में पूरी तरह से अवशोषित ना हो जाए। इस तरीके से आप इस क्रीम को लगा सकते हैं।
क्या मेलाज क्रीम का इस्तेमाल सुरक्षित है? Is it safe to use Melas Cream?
किसी निश्चित समय तक व विशेष समस्या को ठीक करने लिए इस्तेमाल की जाए तो अच्छी होती है। लेकिन बिना वजह इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है।
माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड की बनी होती है। इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। माइटोकॉण्ड्रिया की खोज 1890 ई. में अल्टमेन (Altman) नामक वैज्ञानिक ने की थी। अल्टमेन ने इसे बायोब्लास्ट तथा बेण्डा ने माइटोकॉण्डिया कहा। जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए दोहरी झिल्ली आबंध कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहा जाता हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।
माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना | Structure Of Mitochondria In Hindi
माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। कोशिका के अंदर एक नलिकाकार, वेलनाकार, अंडाकार संरचना कोशिका द्रव्य में बिखरी अवस्था में पड़ी रहती है तथा कोशिका में यह दो प्रकार की झिल्लियों से घिरी रहती है। बाह्य झिल्ली (outer membrane) तथा आंतरिक झिल्ली (inner membrane) कहलाती है। भिन्न-भिन्न कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी संरचना भिन्न-भिन्न हो सकती है, परन्तु निम्नलिखित भाग हमेशा पाए जाते हैं।
बाहरी झिल्ली (Outer Membrane)
आन्तरिक झिल्ली (Inner Membrane)
क्रिस्टी (Cristae)
आधात्री (Matrix)
माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA)
राइबोसोम (Ribosome)
बाहरी झिल्ली (Outer Membrane) क्या होती है? | Mitochondria Outer Membrane In Hindi
माइटोकॉन्ड्रिया की बाहरी झिल्ली प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड की बनी होती है। इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। इसकी मोटाई 60-70 Å होती है। माइटोकॉन्ड्रिया की यह भित्ति लचीली अर्ध पारगम्य तथा अणुओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाली होती है, जो अपने आंतरिक भागों में पोषक पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज, बसा, प्रोटीन आदि को क्रेब साइकिल तथा ग्लाइकोलाइसिस के माध्यम से जाने देती है। माइटोकॉन्ड्रिया में बड़ी संख्या में धंसे हुए प्रोटीन (Integral Proteins) होते हैं, जिन्हें पोरिन (Porins) कहा जाता है।
आंतरिक झिल्ली (Inner Membrane) क्या होती है? | Mitochondria Inner Membrane In Hindi
यह आन्तरिक झिल्ली है जिसके बीच में एक रिक्त स्थान होता है जिसमें आन्तरिक रूप से उंगलियों के समान बहुत से उभार पाये जाते हैं। इन उँगली सदृश उभारों को माइटोकान्ड्रियल क्रेस्ट या क्रिस्टी कहते हैं। क्रस्टी केन्द्रीय रिक्त स्थान को आपसी सम्बन्धित कोष्ठकों में विभाजित करती है। आन्तरिक झिल्ली में दो सतह होती है जिन्हें क्रमशः बाह्य तथा आन्तरिक सतह (Outer and inner surface) कहते हैं।
क्रिस्टी (Cristae) क्या होती हैं? | Mitochondria Cristae In Hindi
माइटोकॉन्ड्रिया में अंगुलाकार प्रवर्धों में अनेक छोटे-छोटे कणों के समान संरचनाएं लगी होती है। जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं। इन्हीं कृस्टियों में क्रेब्स साइकिल संचालित होती है। जो शरीर को लगातार संचालित करने के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराती है अतः क्रिस्टी माइटोकॉन्ड्रिया एवं मानव शरीर का एक विशेष अंग है। क्रिस्टी में टेनिस के रेकेट के समान संरचना होती है। जिन्हें ऑक्सीसोम या F2 कण या आंतरिक झिल्लिका उप इकाई (inner membrane subunit) कहा जाता है।
आधात्री (Matrix) क्या होता है? | Mitochondrial Matrix In Hindi
माइटोकांड्रिया के अंदर द्रव के रूप में एक पदार्थ भरा रहता है। जो माइटोकॉन्ड्रिया में उपस्थित माइटोकॉन्ड्रियल अंगक जैसे (माइटोकॉन्ड्रियल DNA, राइबोसोम) आदि को एक दूसरे से अलग करता है एवं उन्हें एक दूसरे में घिसने से बचाता है। अतः यह माइटोकॉन्ड्रिया में इंजन ऑयल (Engine Oil) की भांति काम करता है। माइटोकॉन्ड्रिया मैट्रिक्स या द्रव पदार्थ कहलाता है।
माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA) क्या होता है? | Mitochondrial DNA In Hindi
मानव शरीर की समस्त कोशिकाओं में डीएनए कोशिका की कुल डीएनए का 1% मात्रा में उपस्थित होता है अतः इसमें भी दोनों क्षारकें प्यूरीन एवं पाइरामिडीन समान अनुपात में होती हैं। जैसे- (एडीनिन-ग्वानिन) एवं (साइटोसिन-थायमीन) माइटोकॉन्ड्रिया में माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mt-DNA) उपस्थित होता है। जिसके कारण यह अपने प्रोटीन एवं एंजाइमों का निर्माण खुद कर सकता है।
राइबोसोम (Ribosome) क्या होते है? | Mitochondrial Ribosome In Hindi
माइटोकॉन्ड्रिया के मैट्रिक्स में अनेक छोटे-छोटे दानेदार कणों के रूप में संरचनाएं पड़ी रहती हैं जिन्हें राइबोसोम कहते हैं। राइबोसोम समस्त कोशिकाओं के कोशिका द्रव एवं माइट्रोकांड्रियल द्रव्य में उपस्थित होते हैं, यह दो उप इकाइयों 70S एवं 80S हो सकती हैं। राइबोसोम में प्रोटीन का निर्माण होता है अतः राइबोसोम को प्रोटीन की फैक्ट्री के नाम से जाना जाता है।
माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य क्या है? | Functions Of Mitochondria In Hindi
माइटोकॉन्ड्रिया का सबसे महत्वपूर्ण कार्य ऑक्सीडेटिव फास्फारिलीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन करना है । यह निम्नलिखित प्रक्रिया में भी शामिल है।
कोशिका की चयापचय गतिविधि को नियंत्रित करता है।
नई कोशिकाओं और से गुणन के विकास को बढ़ावा देता है।
लीवर की कोशिकाओं में अमोनिया को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
एपोप्टोसिस या प्रोग्राम्ड सेल डेथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रक्त के कुछ हिस्सों और विभिन्न हार्मोन जैसे टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन के निर्माण के लिए जिम्मेदार सेल के डिब्बों के भीतर कैल्शियम आयनों की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने में मदद करता है।
यह विभिन्न कोशिकीय गतिविधियों जैसे कोशिकीय विभेदन, कोशिका संकेतन, कोशिका जीर्णता, कोशिका चक्र को नियंत्रित करने और कोशिका वृद्धि में भी शामिल है।
कोशिका के अंदर यही कोशिकांग कोशिकीय श्वसन संपन्न कराता है एवं एटीपी का निर्माण करता है।
क्रेब्स साइकिल का संचालन माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर क्रिस्टी में होता है। जिससे ऊर्जा मुक्त होती है।
ग्लूकोस के एक अणु के ऑक्सीकरण से 673 किलो कैलोरी या 38 एटीपी का निर्माण होता है।
माइटोकॉन्ड्रिया के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about Mitochondria In Hindi
माइटोकॉन्ड्रिया को अन्य दूसरे नाम सूत्रकणिका के नाम से भी जाना जाता है। माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा का पावर हाउस भी कहते हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया को ऊर्जा का पावर हाउस क्यों कहते हैं?
क्योंकि माइटोकॉन्ड्रिया की क्रिस्टी में ऊर्जा एटीपी के रूप में संरक्षित रहती है। अतः इस प्रकार इसे ऊर्जा का पावर हाउस कहते हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया को ग्रीक भाषा में क्या कहते हैं?
माइटोकॉन्ड्रिया नाम 1898 में बेंडा द्वारा पेश किया गया था और शुक्राणुजनन के दौरान इन संरचनाओं की उपस्थिति का जिक्र करते हुए ग्रीक “मिटोस” (धागा) और “चोंड्रोस” (ग्रेन्युल) से उत्पन्न होता है।
माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम कहां स्थित होते हैं?
माइटोकॉन्ड्रिया में राइबोसोम माइटोकॉन्ड्रिया के द्रव में स्थित होते हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया में क्रिस्टी किसे कहते हैं?
माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक भित्ति में अनेक उभार समान संरचनाए पाई जाती हैं, जिन्हें क्रिस्टी कहते हैं।
Endoplasmic Reticulum (अंत: प्रद्रव्ययी जालिका) कोशिकांग सभी सुकेंद्रकीय कोशिकाओं (यूकैरियोटिक कोशिका) में पाया जाता है इसका अध्ययन सर्वप्रथम सूक्ष्मदर्शी से कीथ आर पोर्टर के द्वारा किया गया था। यह उपापचयी रूप से सक्रिय कोशिकांग है जो सभी केंद्रक युक्त कोशिका में पाया जाता है। यह कोशिका में केंद्रक एवं कोशिका झिल्ली दोनों को जोड़ने वाली नलिकायें होती हैं, इन्हें कोशिका में थैली के नाम से जाना जाता है।
अंत: प्रद्रव्ययी जालिका की संरचना | Structure of Endoplasmic Reticulum In Hindi
यह कोशिका में एक सतत तंत्र की तरह फैली रहती है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर यह चपटी नलिकाओं का जाल-सा प्रतीत होता है। इसमें एकल झिल्लियाॅ होती है, जो प्रोटीन एवं फास्फोलिपिड की बनी होती हैं।
अंत: प्रद्रव्ययी जालिका के भाग | Parts Of Endoplasmic Reticulum In Hindi
अंत: प्रद्रव्ययी जालिका निम्नलिखित तीन भिन्न संरचनाओं से मिलकर बनी होती है।
1-सिस्टर्नी(Cisternae)
2-पुटिका (Vesicle)
3-नलिकाएँ (Tubule)
1-सिस्टर्नी (Cisternae) क्या होती है?
यह लंबी चपटी एवं समानांतर नलिकाएँ (Tubule) होती हैं। जो एक दूसरे के समानांतर व्यवस्थित होकर लैमिली (lamellae) का निर्माण करती हैं। इनका व्यास 30 से 50 माइक्रोमीटर होता है। यह खुरदरी खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) में अच्छी तरह से विकसित होती है।
2-पुटिका (Vesicle) क्या होती है?
यह कोशिका के कोशिका द्रव्य में बिखरी पड़ी हुई थैलेनुमा गोल अंडाकार संरचनाएं होती है, जो चिकनी अन्तः प्रदव्ययीजालिका (Smooth endoplasmic reticulum– SER) में प्रचुर मात्रा में पायी जाती हैं। इनका व्यास 25 से 500 माइक्रोमीटर तक हो सकता है।
3-नलिकाएँ (Tubule) क्या होती है?
ये पुटिका तथा सिस्टर्नी से अलग-थलग और शाखित संरचना हैं, जो चिकनी अन्तः प्रदव्यीजालिका में अच्छी तरह से विकसित है। इनका व्यास 50 से 100 माइक्रोमीटर तक हो सकता है।
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के प्रकार | Types of Endoplasmic Reticulum In Hindi
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका निम्नलखित दो प्रकार की होती है।
खुरदरी अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (RER) का खुरदरापन उस पर स्थित राइबोसोम के कारण होता है। राइवोसोम पर प्रोटीन का संश्लेषण होता है। RER में राइबोसोम की बड़ी इकाई पाई जाती है। RER में राइबोसोम जालिका के सभी भागों पर उपस्थित होते हैं, जिससे इनका आकार छिद्र युक्त दिखाई देता है।
ऐसी जालिका जिसमें राइबोसोम नहीं पाए जाते हैं।जिसके कारण इनकी सतह चिकनी होती है। अतः इन्हें चिकनी जालिका भी कहा जाता है। अतः इसमें प्रोटीन संश्लेषण नहीं होता है और यह कोशिकाएं अनेक कार्यों में प्रयोग की जाती है। टेस्टोस्टेरोन तथा प्रोजेस्ट्रोन का स्राव करने वाली कोशिकाओं में पाया जाता है। अतः यह कोशिकाओं में जनन कोशिका में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है।
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य | Endoplasmic Reticulum Functions In Hindi
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के कार्य निम्नलिखित होते हैं।
1 प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करना
2 कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना
3 पदार्थों का विनिमय करना
4 कोशिका उपापचय
5 कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण
6 कोशिका ढांचा तैयार करना
1-प्रोटीन संश्लेषण
कोशिका झिल्ली का निर्माण करने वाले प्रोटीन, कोशिका द्रव्य में पाई जाने वाली खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका द्वारा संश्लेषित होती है। लिपिड का निर्माण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका द्वारा कार्बनिक कणों के स्रवण से होता है। ये प्रोटीन व लिपिड़ ही कोशिका झिल्ली का निर्माण करते हैं।
2-कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना
कोशिका में उपस्थित खुरदरी एवं चिकनी जालिका केंद्रक एवं कोशिका झिल्ली से लगी होती है। अतः कोशिका में उपस्थित कोशिकांग एवं कोशिका झिल्ली को संकुचित होने से बचाती है एवं उसको यांत्रिक सहारा प्रदान करती है।
3-पदार्थों का विनिमय करना
चूँकि ER मैट्रिक्स को अनेक कक्षों में बाँटता है, इन कक्षों में भिन्न सान्द्रता वाले कोष्ठ बनते हैं, जो ER की अर्द्ध-पारगम्य (Semi-permeable) झिल्ली की वजह से सम्भव होता है, इसी झिल्ली से भिन्न कक्षों के बीच आयनों व पदार्थों का विनिमय होता है।
4-कोशिका उपापचय
कोशिका में उपस्थित प्रोटीन अनेक क्रियाओ जैसे कोशिका झिल्ली का संकुचन, कोशिकांग तथा कोशिका की गति, कोशिका में उपस्थित एंजाइम एवं हार्मोन आदि का नियंत्रण कोशिका के द्वारा किया जाता है।
5-कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण
कोशिका में उपस्थित भोज्य पदार्थों के अवयवी कण जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन आदि का भी संश्लेषण कोशिका में उपस्थित अन्तः प्रदृव्ययी जालिका में होता है।
6-कोशिका ढांचा तैयार करना
कोशिकाद्रव्य में ER नलिकाओं का जाल-सा फैला होता है। यह मैट्रिक्स को अनेक कक्षों में बाँटता है और कोलॉइडी मैट्रिक्स को अवलम्बन प्रदान करता है। अतः इस प्रकार यह कोशिका को एक नियमित स्वरूप प्रदान करने का कार्य भी करता है।
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently asked questions about endoplasmic reticulum In Hindi
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कितने प्रकार की होती है?
अन्तः प्रद्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है। 1-खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका 2-चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका
एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम क्या है?
एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम झिल्ली का एक ट्यूबलर नेटवर्क है, जो यूकेरियोटिक कोशिका के साइटोप्लाज्म के भीतर पाया जाता है।
Rough endoplasmic reticulum (RER) क्या है?
राइबोसोम युक्त जालिका को Rough endoplasmic reticulum (खुरदरी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका) कहते हैं।
एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज किसने की?
एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम की खोज एमिलियो वेराट्टी ने 1902 में की गयी। लेकिन कुछ सालों बाद कीथ आर पोर्टर ने इसे पहली बार इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप से देखा और इसका एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम नाम रखा।
चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका क्या है?
ऐसी जालिका जिस पर राइबोसोम नहीं होते हैं, वह चिकनी अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कहलाती है।
सिस्टर्नी कहां स्थित होती हैं?
ये खुरदरी अन्त: प्रद्रव्यी जालिका (Rough endoplasmic reticulum or RER) में अच्छी तरह से विकसित होती है।
Acidity एक ऐसा रोग है, जो आमाशय में एसिड की मात्रा बढ़ जाने के कारण उत्पन्न होता है। दूसरे शब्दों में जब पेट की गैस्ट्रिक ग्लैंड एसिड का उत्पादन आवश्यकता से अधिक करने लगती है, तब एसिडिटी की समस्या उत्पन्न जाती है। फास्ट फूड के इस जमाने में हर तीसरा व्यक्ति एसिडिटी से पीड़ित रहता है।
Acidity की समस्या कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जैसे कि अधिक मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन करना, चाय, कॉफी, तंबाकू, गुटखा, सिगरेट, चिंता, क्रोध, देर रात तक जागना, लंबे समय तक खाली पेट रहना, मानसिक तनाव, अधपका भोजन व अन्य कारण आदि।
Acidity से पीड़ित व्यक्ति में पेट व छाती में जलन, खट्टी डकार, मुंह में पानी भर आना, पेट में दर्द, भारीपन, गैस की शिकायत होना, कलेजा जलता प्रतीत होना, खट्टी उल्टी आना, गले में जलन होना, जी मिचलाना, कब्ज की समस्या होना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं।
एसिडिटी के कारण क्या हैं? | Acidity Couses In Hindi
एसिडिटी के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
एसिड रिफ्लक्स
नॉनवेज फूड
मिर्च मसालेदार भोजन
अधपका का खाना
मानसिक तनाव
अधिक समय तक भूखा रहने
दर्द निवारक गोलियों का सेवन
देर रात तक जागने
क्रोध
चिंता
चाय
कॉफी
तंबाकू
गुटखा
सिगरेट
पेप्टिक अल्सर
शराब
किसी बीमारी का संक्रमण होना आदि।
एसिडिटी के लक्षण क्या है? | Acidity Symptoms In Hindi
एसिडिटी के लक्षण निम्नलिखित है-
जी मिचलाना
पेट में जलन होना
छाती में जलन होना
खट्टी डकारें आना
मुंह में पानी भर आना
पेट में दर्द
पेट में भारीपन
गैस की समस्या
हृदय में जलन
खट्टी उल्टी आना
गले में जलन होना
कब्ज की समस्या होना
एसिडिटी से बचने के उपाय | Prevention Of Acidity In Hindi
एसिडिटी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।
मिर्च मसालेदार भोजन के सेवन से बचना चाहिए
गरिष्ठ आहार नहीं लेना चाहिए।
तेल से तली हुई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
चटपटी तथा अधिक नमक युक्त पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
शराब, चाय, कॉफी, तंबाकू आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
अचार, चटनी, मांस, मछली, अंडा आदि का सेवन कब करना चाहिए।
भोजन के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
मिठाईयां व सॉफ्ट ड्रिंक्स के सेवन से बचना चाहिए।
देर रात तक नहीं जागना चाहिए।
लंबे समय तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए।
खाली पेट दर्द निवारक दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए।
क्रोध, चिंता, मानसिक तनाव से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए।
सुबह खाली पेट नियमित घूमने जाना चाहिए।
एसिडिटी से राहत पाने के घरेलू उपचार | Home Remedies For Acidity And Gas Problem In Hindi
एसिडिटी से राहत पाने के लिए घर पर यह उपाय जरूर अपनाएं।
नारियल पानी– इसमें बायोएक्टिव एंजाइम व पाए जाते हैं, जो कि पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसमें पोटेशियम व इलेक्ट्रोलाइट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एसिडिटी में नारियल पानी का सेवन किया जा सकता है।
दालचीनी– दालचीनी के पानी में इम्यूनिटी बूस्टर एंटीफंगल, एंटीवायरल तथा एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी पाई जाती है। दालचीनी का पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर होती है। इसीलिए यह एसिडिटी की समस्या में भी लाभदायक है।
गुड– इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है, आंखों की कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी तथा पाचन संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है।
तुलसी– तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से तुरंत राहत मिलती है।
केला-केले का सेवन किया जा सकता है, क्योंकि केले में भरपूर मात्रा में पोटेशियम तथा अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं केला पेट में अधिक एसिड बनने को रोकता है।
ठंडा दूध– दूध में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो पीएच स्तर को मेंटेन करता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है तथा पेट में होने वाली जलन तथा एसिड रिफ्लक्स से होने वाली जलन से तुरंत राहत देता है।
जीरा– जीरे में प्राकृतिक तेल पाए जाते हैं, जो हमारी लार ग्रंथियों को एक्टिवेट करते हैं और पेट एसिड की वजह से होने वाली जलन को कम करते है। दस्त और पेट फूलने की समस्या में भी जीरे का इस्तेमाल किया जा सकता है।
अजवाइन– इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल्स तथा पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे हैं। अजवाइन के नियमित सेवन से पेट में दर्द, पेट में गैस, पेट में जलन, भारीपन, पेट फूलना आदि समस्याएं दूर हो जाती है।
सौंफ– सौंफ को पूरी रात के लिए पानी में भिगोकर रखें और सुबह उठकर सौंफ का पानी पीएं। इसके नियमित इस्तेमाल से एसिडिटी तथा पाचन संबंधी अन्य समस्याएं भी दूर होगी।
पपीता– पपीता का सेवन करने से जल्दी राहत मिलती है। सुबह प्रतिदिन खाली पेट पपीता के सेवन से पेट की जलन तथा पेट से संबंधित अन्य समस्याएं दूर होती है।
खीरा– खीरे में भरपूर मात्रा में पानी पाया जाता है, जो शरीर को हाइड्रेट करता है। यह पेट में जलन, गैस और एसिड रिफ्लक्स की समस्या को दूर करता है।
लौकी– लौकी का रस पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है तथा पाचन तंत्र संबंधी अनेकों समस्याओं को दूर करता है। लौकी के रस को पीने से एसिडिटी, पेट में जलन, कब्ज, बेड कोलेस्ट्रॉल आदि समस्याएं दूर हो जाती हैं।
सुबह खाली पेट पानी– एसिडिटी का रामबाण उपाय माना जाता है। क्योंकि सुबह खाली पेट पानी पीने से ना केवल एसिडिटी की समस्या दूर होती है बल्कि 50 प्रकार से ज्यादा बीमारियों से बचे रहते हैं।
एसिडिटी का इलाज क्या है? | Treatment Of Acidity In Hindi
एसिडिटी की समस्या का इलाज आयुर्वेदिक, एलोपैथिक, होम्योपैथिक व अन्य पद्धतियां में मौजूद है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित एलोपैथिक पद्धति में कुछ दवाइयां एसिडिटी में दी जाती है, जो कि निम्नलिखित है।
Ranitidine
Omeprazole
Pantaprazole
Lansoprazole
Rabeprazole
Esomeprazole
Sodium Bicarbonate
Dexlansoprazole
Alluminium Hydroxide
Magnesium Carbohydrates
Magnesium Hydroxide
Magnesium Trisilicate
Calcium Carbonate
Others
एसिडिटी से पीड़ित लोगों के लिए शारीरिक व्यायाम
पवनमुक्तासन
हलासन
उष्ट्रासन
वज्रासन
तिर्यक ताड़ासन
रनिंग
तैराकी
टहलना
हल्का वजन उठाना
एसिडिटी कम करने के प्राकृतिक तरीके क्या है? | Natural Ways To Reduce Acidity In Hindi
प्रकृति में तरह-तरह की फल, सब्जियां, अनाज, आयुर्वेदिक औषधियां पाई जाती हैं। जो हमारे शरीर को प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ रखने के लिए सक्षम होती है। जिनमें से कुछ चीजें निम्नलिखित हैं जो एसिडिटी में लाभदायक सिद्ध होती हैं।
नारियल का पानी
तुलसी के पत्ते
अदरक
केला
सेब
पपीता
ठंडा दूध
अजवाइन
सौंफ व
अन्य खाद्य पदार्थ
एसिडिटी का निदान कैसे किया जाता है? | Acidity Diagnosis In Hindi
एसिडिटी के निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं।
एंडोस्कोपी
Ph मॉनिटरिंग
बेरियम एक्स-रे
सोनोग्राफी
क्या एसिडिटी के लिए तत्काल देखभाल के लिए जाना चाहिए? | When To Go For Acidity Care In Hindi
यदि व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है, निगलने में कठिनाई होती है, घुटन, ब्लैक स्टूल, पेट में असहनीय दर्द आदि समस्याएं होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
एसिडिटी और गैस में क्या अंतर है?
जब हमारे पेट में आवश्यकता से अधिक एसिड बनने लगता है, तो इस कंडीशन को एसिडिटी कहते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद या कार्बोहाइड्रेट के किण्वन के बाद डकार आना, पेट फूलना इस प्रकार की समस्या की समस्या को गैस कहते हैं।
एसिडिटी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
एसिडिटी से आपके शरीर में क्या होता है?
एसिडिटी होने के बाद हमारे शरीर में पेट में जलन, छाती में जलन, पेट भारी होना, पेट फूलना, खट्टी डकार आना, पेट दर्द हृदय में जलन आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं।
एसिडिटी का क्या कारण है?
एसिडिटी के मुख्य कारण तेज मिर्च मसालेदार भोजन, तले हुए भोजन का सेवन करना, चाय, कॉफी, शराब का अधिक सेवन, मानसिक तनाव आदि हो सकते हैं।
एसिडिटी कैसे होती है?
हमारे गलत खानपान की वजह से पेट में आवश्यकता से अधिक एसिड बनने लगता है, तो इस कंडीशन को एसिडिटी कहा जाता है।
एसिडिटी का खतरा किसे होता है?
एसिडिटी का खतरा किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, जो व्यक्ति तेज मिर्च मसालेदार भोजन, मांसाहारी भोजन, तले हुए खाद्य पदार्थ, चाय, कॉफी, शराब, धूम्रपान का आवश्यकता से अधिक सेवन करता है।
एसिडिटी की जांच कैसे की जाती है?
एसिडिटी की जांच कुछ लक्षणों से भी की जा सकती है। या कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं जैसे कि एंडोस्कोपी, सोनोग्राफी, पीएच मॉनिटरिंग व बेरियम x-ray आदि।
एसिडिटी के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है?
एसिडिटी की दवा लक्षणों के आधार पर डॉक्टर द्वारा अलग-अलग दवा लिखी की जा सकती है।
एसिडिटी होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?
एसिडिटी को उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे कि तेज मिर्च मसालेदार भोजन तले हुए खाद्य पदार्थ अचार चटनी अधपका हुआ खाना, चाय, कॉफी, शराब व खाद्य पदार्थ आदि।
एसिडिटी में कौन सा फल खाना चाहिए?
केला
एसिडिटी से तुरंत राहत कैसे पाएं?
एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के लिए ठंडा दूध, जीरा, अजवाइन, सौंफ, दालचीनी, केला, नारियल पानी, तुलसी, आंवला आदि। इनमें से किसी एक का सेवन करने से एसिडिटी में तुरंत राहत मिलेगी।
एसिडिटी बढ़ने से क्या होता है?
एसिडिटी बढ़ने से पेट में जलन, छाती में जलन, पेट में दर्द, खट्टी डकार आना, खट्टी उल्टी आना, गले में जलन, हृदय में जलन, पेट फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
एसिडिटी को जड़ से कैसे खत्म करें?
एसिडिटी को जड़ से खत्म करने के लिए अपनी जीवन शैली में बदलाव करें।
क्या विटामिन सी एसिडिटी के लिए अच्छा है?
विटामिन सी पहले से एसिडिक होता है। यह आपकी एसिडिटी को और अधिक बढ़ा सकता है।
कौन से खाद्य पदार्थ एसिडिटी को कम करते हैं?
ठंडा दूध, अजवाइन, जीरा, दालचीनी, गुड़, केला नारियल पानी, तुलसी, आंवला, सोंठ, गिलोय व अन्य पदार्थ एसिडिटी को कम कर सकते हैं।
दूध पीने से एसिडिटी होती है क्या?
ठंडा दूध पीने से एसिडिटी कम होती है।
क्या चाय पीने से एसिडिटी बढ़ती है?
हां। चाय पीने से एसिडिटी बढ़ती है।
क्या मीठा खाने से एसिडिटी बढ़ती है?
कुछ चीजों से एसिडिटी बढ़ती है और कुछ चीजें जैसे फल खाने से एसिडिटी कम भी होती है।
आप अपने शरीर में एसिड कैसे कम करते हैं?
रोज सुबह खाली पेट पानी पीने से एसिडिटी कम हो जाती है
मुझे रात में एसिडिटी क्यों होती है?
एसिडिटी होने के कई कारण हो सकते हैं, या तो आपका गलत खानपान या फिर कोई बीमारी का संकेत।
पेट का एसिड कैसे चेक करें?
पेट में एसिड का पीएच मॉनिटरिंग, बेरियम x-ray, एंडोस्कोपी, सोनोग्राफी या लक्षणों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है।
गैस और एसिडिटी को खत्म कैसे करें?
अपनी जीवनशैली में बदलाव करके, एसिडिटी और गैस उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों से बचाव करके या डॉक्टर से इलाज कराके भी एसिडिटी को खत्म कर सकते हैं?
बार बार एसिडिटी क्यों होती है?
एसिड को उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों को बार-बार खाने से एसिडिटी की समस्या हो सकती है या फिर किसी बीमारी के कारण एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
IGCON Acne Cream का इस्तेमाल त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे कि एक्ने, पिंपल्स तथा बैक्टीरियल इनफेक्शन आदि। IGCON Acne Cream एक कॉम्बिनेशन दवा है, इसमें ट्रेटिनोइन, क्लिंडामाइसिन, निकोटिनामाइड का संयोजन है। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।
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IGCON Acne Cream एक प्रिसक्रिप्शन दवा है। IGCON Acne Cream उपयोग करने का तरीका और खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि मरीज की उम्र, वजन, लिंग, पुरानी मेडिकल कंडीशन, रोग की गंभीरता, रोग का प्रकार, उपचार की प्रतिक्रिया, दवा देने का तरीका, टेस्ट की रिपोर्ट्स व अन्य कारक आदि। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।
IGCON Acne Cream के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जैसे कि लगाने वाली जगह पर जलन, सूजन, रेडनेस, खुजली, ड्राई स्किन आदि। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।
IGCON Acne Cream का इस्तेमाल करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में जरूर रखना चाहिए जैसे कि गर्भवती महिलाओं के लिए, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए, लिवर से जुड़ी गंभीर बीमारी, किडनी से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी, शुगर की बीमारी, मिर्गी की बीमारी, अस्थमा की बीमारी, ड्राइविंग करते समय, अल्कोहल का सेवन करते समय इस दवा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।
IGCON Acne Cream का कुछ अन्य दवाइयों के साथ इंटरेक्शन हो सकता है जिस कारण आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती है इसीलिए इस दवा के साथ साथ कोई भी दूसरी की दवा का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए नीचे वाले खंड को देखें।
Product Name
IGCON Acne Cream
Manufacturer/Marketer
Lifecom Pharmaceuticals (india) Pvt.Ltd.
Compositions
Tretinoin, Clindamycin, Nicotinamide
Price
Rs 150.00/20 g
Category/Properties
Anti acne, Antibacterial
Dosage Form
Cream
Storage
Below 30°c
Prescription/OTC
Prescription
Uses and Benefits
For Acne, Pimples, Bacterial Infections
Dosage/How to Use
As Directed by the Physician
Works/Mode of Action
See below
Side Effects
Burning, Itching, Redness, Swelling, Irritation
Precautions
Consult your Doctor
Interactions with
Consult Your Doctor
IGCON Acne Cream
IGCON Acne Cream Composition in Hindi | आईजीकॉन एक्ने क्रीम का कम्पोजीशन
Tretinoin B.P.
0.025% w/w
Clindamycin Phosphate I.P.
1.0% w/w
Nicotinamide I.P.
4.0 % w/w
IGCON Acne Cream Uses In Hindi | आईजीकॉन एक्ने क्रीम के उपयोग व फायदे
IGCON Acne Cream का इस्तेमाल निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जा सकता है।
ऐक्ने
पिंपल्स तथा
बैक्टीरियल इनफेक्शन
IGCON Acne Cream Dosage and How to Use in Hindi | आइजीकोन ऐक्ने क्रीम की खुराक व उपयोग करने का तरीका
IGCON Acne Cream को कैसे लगाएं?
IGCON Acne Cream का उपयोग करने का तरीका व खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि मरीज की उम्र, वजन, लिंग, पुरानी मेडिकल कंडीशन, रोग की गंभीरता, रोग का प्रकार, दवा देने का तरीका, उपचार की प्रतिक्रिया व अन्य कारक आदि। इसीलिए हमेशा आपको अपने चिकित्सक के अनुसार उपयोग करना चाहिए।
सबसे पहले आप किसी फेसवॉश से अपनी स्किन को साफ करें, फिर सुखाएं और फिर इस क्रीम को लगाएं। इस क्रीम को पतली परत बनाते हुए व मसाज करते हुए लगाएं। मसाज तब तक करते रहे जब तक कि क्रीम पूरी तरह से स्किन में अवशोषित ना हो जाए।
ओवर मात्रा लेने से बचना चाहिए।
यदि कोई खुराक छूट जाती है तो उसे जल्दी से जल्दी लेने की कोशिश करना चाहिए लेकिन ध्यान रहे यदि दूसरी खुराक का समय नजदीक हो तो क्षतिपूर्ति करने के लिए दोनों खुराक एक साथ नहीं लेना चाहिए।
इस दवा से आंख, नाक, कान और मुंह को बचा कर रखें।
इस दवा को केवल प्रभावित त्वचा पर ही लगाना चाहिए।
इस क्रीम को लगाने के बाद लंबे समय तक धूप में नहीं रहना चाहिए।
इस क्रीम का अच्छा फायदा पाने के लिए प्रतिदिन लगाना चाहिए।
यह दवा केवल बाहरी स्किन पर लगाना चाहिए।
डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देश अनुसार इस दवा का प्रयोग करना चाहिए।
इस क्रीम को दिन में 2 बार लगाया जा सकता है। लेकिन आपको हमेशा अपने चिकित्सक के अनुसार इस्तेमाल करना चाहिए।
इस दवा को ठंडे, सूखे व 30 डिग्री से कम तापमान वाली जगह पर रखना चाहिए।
IGCON Acne Cream Works In Hindi | आइजीकोन ऐक्ने क्रीम कैसे काम करती है?
IGCON Acne Cream इन तीन (Tretinoin, Clindamycin Phosphate, Nicotinamide) दवाओं से मिलकर बनी है l तीनों का work व mode of action निम्नलिखित है।
Tretinoin– यह एक विटामिन A का रूप है। जो विषेश रूप से एक्ने व मुंहासे की समस्या को दूर करती है। Tretinoin स्किन को नवीकृत होने में मदद करती है।
Clindamycin Phosphate- यह एक एंटीबायोटिक दवा है जो बैक्टीरियल इंफेक्शन को खत्म करती है। यह बैक्टीरिया की प्रोटीन संश्लेषण क्रिया को रोकती है जिस कारण बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
Nicotinamide– यह एक बिटामिन B3 का रूप है। जो मुहाँसे तथा मुहाँसे की सूजन को कम करती है। Nicotinamide नई कोशिकाओं के निर्माण में मदद करती है तथा सूरज की रोशनी, प्रदूषण, जहरीले पदार्थों के नकारात्मक प्रभाव से भी बचाती है। निकोटिनामाइड Niacin की कमी को भी पूरा करती है।
IGCON Acne Cream Side Effects In Hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम के साइड इफेक्ट्स
सूजन (Swelling)
जलन (Irritation)
खुजली (Itching)
लालिमा (Redness)
सूखी त्वचा (Dry Skin)
IGCON Acne Cream Related Precautions And Warning in hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम से जुड़ी सावधानियां व चेतावनियां
एलर्जी की समस्या में- Tretinoin, Clindamycin Phosphate, Nicotinamide ड्रग से एलर्जिक व्यक्तियों को इस दवा का उपयोग नही करना चाहिए।
गर्भावस्था में- इस दवा से गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसान हो सकता है। इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
स्तनपान में – स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित हो सकती है, लेकिन हमेशा चिकित्सक की सलाह के बाद ही इस्तेमाल करें।
लिवर से जुड़ी बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति को लिवर से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
किडनी से जुड़ी बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति की किडनी खराब है या अच्छे तरीके से काम नहीं कर रही है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए भी इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारी में- अगर किसी व्यक्ति को हृदय से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है जैसे कि हार्ट फैलियर, हर्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, लो ब्लड प्रेशर आदि अगर इस प्रकार की कोई बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
शुगर की बीमारी में – डायबिटीज के मरीजों के लिए भी इस दवा का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
अस्थमा की बीमारी में – अस्थमा के मरीजों के लिए भी डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
दौरे की बीमारी में – अगर किसी व्यक्ति को दौरे की समस्या है या मिर्गी की बीमारी है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए भी इस दवा का प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
एल्कोहल – इस दवा का प्रयोग करते समय शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
ओवरडोज – ओवर मात्रा में इस्तेमाल करने पर कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं, इसीलिए कभी भी ओवर मात्रा में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
ड्राइविंग करते समय – इसका प्रयोग करने के बाद ड्राइविंग करने में कोई परेशानी नहीं होती है लेकिन अगर किसी व्यक्ति को ड्राइविंग करते समय कोई परेशानी होती है । जैसे कि नींद आना, चक्कर आना तो ऐसे व्यक्तियों को इस दवा का प्रयोग नहीं करना चाहिए या इस क्रीम का उपयोग करने के बाद ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए।
अन्य दवाइयों का सेवन करते समय – अगर किसी व्यक्ति की पहले से कोई दवाइयां चल रही है तो ऐसे व्यक्तियों के लिए इस दवा का प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
Interaction Of IGCON Acne Cream with Other Medications In Hindi | आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का अन्य दवाइयों के साथ इंटरेक्शन
आईजीकॉन ऐक्ने क्रीम का कई प्रकार की दवाइयों के साथ इंटरेक्शन हो सकता है तथा कुछ गंभीर साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें
1. ड्रग-ड्रग का इंटरेक्शन (Drug-Drug Interactions)
कुछ ड्रग्स के साथ इंटरेक्शन हो सकता है। जो निम्नलिखित हैं।
Warferin
Methotrexate
Herbal Supplements
Clarithromycin
Aminolevulinic acid
Aminolevulinic acid topical
Benzoyl peroxide topical
Clascoterone topical
Isotretinoin
Methoxsalen
Methyl aminolevulinate topical
Porfimer
Alcohol
Others medicine
2. फूड-ड्रग का इंटरेक्शन (Food -Drug Interactions)
कोई भी इंटरेक्शन नहीं देखा गया है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
3. ड्रग-बीमारी का इंटरेक्शन (Drug-Disease Interactions)
अस्थमा की बीमारी में, डायबिटीज की बीमारी में, लिवर की बीमारी में, किडनी की बीमारी में, हृदय की बीमारी में, ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या में, कोलाइटिस की समस्या में, दौरे की समस्या में इस दवा के प्रयोग से नुकसान हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।